ये 2013 वाला भारत नहीं, 10 साल में मजबूत हुई स्थिति: मोदी सरकार के सुधारों का लोहा मॉर्गन स्टेनली ने भी माना, कहा- 2024 में बहुमत जरूरी

पीएम मोदी और मॉर्गन स्टेनली (साभार: स्वराज्य/ANI)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा साल 2014 में सँभालने के बाद भाजपा सरकार द्वारा जमीनी स्तर तक किए गए सुधारों का असर दिखने लगा है। इसका खुलासा अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी मॉर्गन स्टेनली (Morgan Stanley) की रिपोर्ट में हुआ है। मॉर्गन स्टेनली ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 10 साल की छोटी-सी अवधि में भारत ने दुनिया में अपनी स्थिति मजबूत की है।

अमेरिकी बहुराष्ट्रीय निवेश बैंक और वित्तीय सेवा कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने अपनी रिपोर्ट ‘India Equity Strategy and Economics: How India Has Transform in Less than a Decade’ में कहा है कि भारत द्वारा किए गए सुधारों से बड़े पैमाने पर और बाजार परिदृश्य के लिए महत्वपूर्ण सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत द्वारा किए नीतिगत सुधारों के कारण 10 बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। इसके कारण माइक्रो (Micro) और मैक्रो (Macro) इकोनॉमी और बाजार पर साफ दिखाई दे रहा है। यह भारत साल 2013 के भारत की तुलना में अलग है। इसने विश्व व्यवस्था में महत्पूर्ण स्थान हासिल किया है।

रिपोर्ट के अनुसार, “हम भारत को लेकर काफी संशय में हैं, खासकर विदेशी निवेशकों के मामले में, जो कहते हैं कि दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होने और पिछले 25 वर्षों में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले शेयर बाजारों में से एक होने के बावजूद भारत ने अपनी क्षमता का प्रदर्शन अब तक नहीं किया है। भारत में इक्विटी मूल्यांकन बहुत समृद्ध हैं।”

रिपोर्ट का कहना है कि इस तरह का दृष्टिकोण भारत में हुए महत्वपूर्ण बदलावों की अनदेखी करता है, खासकर 2014 के बाद से। भारत ने इन 10 सालों में आपूर्ति संबंधी नीतिगत सुधार, अर्थव्यवस्था का औपचारिकरण, रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, सामाजिक हस्तांतरण का डिजिटलीकरण, दिवालिया कानून, लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण, एफडीआई पर ध्यान केंद्रित करना, भारत का 401 (K) मोवमेंट, कॉरपोरेट मुनाफे के लिए सरकारी समर्थन और बहु-वर्षीय उच्च स्तर पर एमएनसी सेंटीमेंट्स आदि में बेहतरीन प्रदर्शन किए हैं। 

आपूर्ति पक्ष के नीतिगत सुधारों के आँकड़े को तैयार करने से संबंधित शोध में भारत के कॉरपोरेट टैक्स और बुनियादी ढाँचे से जुड़े आँकड़े इकट्ठा किए गए हैं। पिछले 10 साल में भारत में कॉरपोरेट कर की टैक्स 25 प्रतिशत से नीचे रही है, जबकि 24 मार्च से पहले परिचालन शुरू करने वाली नई कंपनियों के लिए यह 15 प्रतिशत पर बनी हुई है।

रिपोर्ट में बुनियादी ढाँचे के विकास के संदर्भ में रिपोर्ट में राष्ट्रीय राजमार्गों, ब्रॉडबैंड ग्राहक आधार, नवीकरणीय ऊर्जा और रेलवे मार्ग जैसे कई महत्वपूर्ण कारकों की भी चर्चा की गई है। इसके अलावा, इसमें जीएसटी संग्रह को भी आधार बनाया गया है, जिसमें पिछले कुछ वर्षों में लगातार वृद्धि देखी गई है। वहीं, डिजिटल लेनदेन भी अब सकल घरेलू उत्पाद का 76 प्रतिशत तक बढ़ गया है।

वहीं, भारत में विनिर्माण और कैपेक्स क्षेत्र में मॉर्गन स्टेनली ने 2031 तक 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है। निर्यात में हिस्सेदारी दोगुनी होगी और साल 2031 तक यह बढ़कर 4.5 प्रतिशत हो जाएगा। ये साल 2021 के स्तर से लगभग दोगुना है। इसके अलावा, वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात से भारत को फायदे में रहने की बात कही गई है। निर्यात बढ़ने से भारत का चालू खाता घाटा कम होगा।

मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, भारत में अभी प्रति व्यक्ति आय करीब 2200 अमेरिकी डॉलर (लगभग 1.82 लाख रुपए) है, जो साल 2032 तक बढ़कर 5200 अमेरिकी डॉलर (लगभग 4.30 लाख रुपए) हो जाएगी। बैंकर का कहना है कि इससे लोगों के काफी रकम आएगी और वे इसे खरीद सकेंगे। मॉर्गन स्टेनली ने यह भी कहा है कि दुनिया के पूँजी प्रवाह बाजार में भारत की निर्भरता कम हो गई है। इससे भी उसकी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर नहीं पड़ा है।

रिपोर्ट में कुछ आशंकाएँ भी दर्शाई गई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर वैश्विक स्तर पर मंदी आई, 2024 के लोकसभा चुनावों में किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिला, आपूर्ति में कमी हुई और इससे चीजों के दाम बढ़े तो भारत के लिए दिक्कत हो सकती है।

मॉर्गन स्टेनली ने 18 मई 2023 को कहा था कि भारत चालू वित्त वर्ष 2023-24 में 6.2 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने के लिए तैयार है। चेतन अहया, डेरिक वाई काम, क्यूशा पेंग और जोनाथन चेउंग द्वारा लिखित ‘एशिया इकोनॉमिक्स: द व्यूपॉइंट: एड्रेसिंग द पुशबैक टू आवर कंस्ट्रक्टिव व्यू’ नामक एक रिपोर्ट में मॉर्गन स्टेनली ने कहा कि भारत को चक्रीय और संरचनात्मक दोनों तरह से चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

इसके लेखकों ने कहा, “हम देख रहे हैं कि घरेलू माँग में मजबूत रुझानों को बनाए रखने के लिए अच्छी बैलेंस शीट है। वृहद स्थिरता में सुधार का मतलब है कि मौद्रिक नीति को प्रतिबंधात्मक नहीं होना पड़ेगा, जिससे आर्थिक वृद्धि जारी रहेगी।”

 

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया