तलाक नहीं, ‘खुला’ से टूटी सानिया मिर्जा और शोएब मलिक की जोड़ी: अब्बा के दावे के बाद जानिए क्या होता है ये, पूर्व टेनिस खिलाड़ी को ‘इद्दत’ का करना पड़ेगा पालन

शोएब मलिक ने सना जावेद के साथ किया निकाह, सानिया मिर्जा ने दिया 'खुला' (फोटो साभार : X_ANI/IndiaToday)

पाकिस्तान के पूर्व इंटरनेशनल क्रिकेटर शोएब मलिक ने पाकिस्तानी एक्ट्रेस, मॉडल सना जावेद के साथ निकाह किया है। ये उनकी तीसरी शादी है। उन्होंने सानिया मिर्जा से अलगाव के बाद ये निकाह किया है। शोएब मलिक और सानिया मिर्जा के बीच तलाक की अफवाहें काफी लंबे समय से चल रही थी, लेकिन अब सानिया मिर्जा के पिता इमरान मिर्जा ने साफ कर दिया है कि दोनों के बीच अलगाव तलाक के जरिए नहीं हुआ है, बल्कि ये अलगाव ‘खुला’ के जरिए हुआ है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सानिया मिर्जा के पिता इमरान मिर्जा ने दोनों के अलगाव पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि ये तलाक नहीं, बल्कि ‘खुला’ था। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि ये ‘खुला’ आखिर है क्या? क्योंकि लोग तलाक के बारे में तो जानते हैं, लेकिन ‘खुला’ के बारे में चर्चा नहीं होती। दरअसल, अगर अलगाव पुरुष द्वारा शुरू किया जाता है, तो ये तलाक कहलाता है, जबकि महिला अपने शौहर से अलगाव चाहे, तो उसे ‘खुला’ कहते हैं।

पुरुषों द्वारा महिलाओं को तलाक देने की कई प्रक्रियाएँ होती हैं, तो महिलाएँ भी अपने शौहर को छोड़ने के लिए तलाक जैसा कदम उठा सकती हैं। इस लेख में हम बता रहे मुस्लिम महिलाएँ तलाक के लिए क्या प्रक्रियाएँ अपना सकती हैं। इसमें औपचारिक तरीका है तलाक-ए-तहवीज का, तो खुला और मुबारत अनौपचारिक तरीका है।

तलाक-ए-तफवीज: इस तरह का समझौता निकाह के समय ही हो जाता है। अगर इस समझौते की शर्तें पूरी नहीं की जाती, तो महिला तलाक माँग सकती है। इसमें पति इस समझौते को मानता है कि अगर वो महिला द्वारा या आपस में रखी गई शर्तों का पालन नहीं कर पाया, तो उसे महिला तलाक दे सकती है। ये एकमात्र तरीका है, जिसमें कोई महिला एकतरफा तरीके से निकाह को खत्म कर सकती है।

खुला: मुस्लिम महिलाएँ आपसी सहमति से तलाक की प्रक्रिया खुला के जरिए पूरी कर सकती हैं। इसके मुताबिक, शौहर और बीवी में लेन-देन भी होता है। कई बार महिला को अपने शौहर से पीछा छुड़ाने के लिए उसे अपनी संपत्ति का हिस्सा भी देना पड़ता है। इसे मेहर की रकम के तौर पर भी देखा जाता है, जिसमें शौहर को भुगतान करना पड़ता है। हालाँकि ये मियाँ-बीवी के बीच बिना लेनदेन के भी हो सकता है, अगर निकाह के दौरान मेहर की रकम न तय हो या मियाँ-बीवी इस बात पर सहमत हों कि वो अब साथ नहीं रहना चाहते और बिना किसी विवाद के अपना निकाह खत्म करना चाहते हैं। इस दौरान इद्दत का पालन करना होगा है।

मुबारत: शौहर से मुक्ति के लिए महिला ये कदम भी उठा सकती है। हालाँकि इसमें दोनों पक्ष आपस में बैठते हैं, इसमें एक पक्ष दूसरे को अलगाव का ऑफर देता है। अगर इस पर दूसरा पक्ष सहमत होता है, तो फिर तलाक की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। हालाँकि इसमें भी इद्दत का पालन करना अनिवार्य होता है।

क्या है इद्दत?

इस्लाम में इद्दत या इद्दाह वह अवधि है, जिसका पालन करना किसी महिला के लिए अनिवार्य है। यह अवधि तब होती है जब किसी मुस्लिम महिला के पति की मृत्यु हो जाती है या उसे तलाक मिल जाता है। इस अवधि के दौरान महिला किसी अन्य पुरुष से निकाह नहीं कर सकती।

इद्दत की अवधि

पति की मृत्यु के बाद 4 महीने और 10 दिन

तलाक के बाद तीन महीने

अगर इद्दत की अवधि के दौरान महिला गर्भवती है, तो प्रसव की तारीख तक

इद्दत के बारे में कुछ और बातें:

इद्दत का मकसद यह है कि अगर महिला गर्भवती है, तो इसका पता चल सके।

इद्दत के दौरान महिला किसी गैर मर्द के सामने नहीं आती।

इद्दत की अवधि के दौरान महिला का पति अपना मन बदल सकता है और तलाक़ वापस ले सकता है। इसके बाद दोनों ही फिर से शादीशुदा जीवन एक साथ शुरू कर सकते हैं।

चूँकि इस मामले में शोएब मलिक और सानिया मिर्जा के बीच ‘खुला’ के जरिए तलाक हुआ है। ऐसे में दोनों का अलगाव किन शर्तों पर हुआ है, ये बात अभी बाहर नहीं आ पाई है। ये तलाक कब हुआ, इस बात की भी जानकारी नहीं है। चूँकि ये प्रक्रिया पाकिस्तान या यूएई में अपनाई गई है, ऐसे में ये तलाक पूरा माना जा सकता है। वहीं, अगर ये प्रक्रिया भारत में अपनाई जाती और पति ‘खुला’ को नकार देता है, तो अलगाव को पूरा नहीं माना जा सकता।

श्रवण शुक्ल: Shravan Kumar Shukla (ePatrakaar) is a multimedia journalist with a strong affinity for digital media. With active involvement in journalism since 2010, Shravan Kumar Shukla has worked across various mediums including agencies, news channels, and print publications. Additionally, he also possesses knowledge of social media, which further enhances his ability to navigate the digital landscape. Ground reporting holds a special place in his heart, making it a preferred mode of work.