कंगना-रंगोली के खिलाफ कासिफ खान की याचिका मुंबई कोर्ट ने खारिज की, तबलीगी जमात पर ट्वीट से था नाराज

कंगना रनौत और रंगोली चंदेल को तबलीगी जमात से जुड़े केस में राहत

तबलीगी जमात मामले पर किए गए एक ट्वीट और उसका समर्थन करने के कारण कंगना रनौत और रंगोली चंदेल के ख़िलाफ़ मुंबई के कासिफ अली खान देशमुख नामक वकील ने एक केस किया हुआ था, अब इसी केस पर मुंबई की अंधेरी कोर्ट ने दोनों बहनों को राहत देते हुए कासिफ की याचिका को खारिज कर दिया है।

याचिकाकर्ता ने अपनी शिकायत में कहा था कि पिछले साल 15 अप्रैल को रंगोली ने अपने ट्विटर अकाउंट पर तबलीगी जमात के खिलाफ एक आपत्तिजनक बयान पोस्ट किया था। इसके तुरंत बाद, ट्विटर ने उनका सोशल मीडिया अकाउंट सस्पेंड कर दिया। कासिफ के मुताबिक चूँकि कंगना ने भी रंगोली के बयान का समर्थन दिया था तो इसलिए वह कहते हैं कि इन दोनों ने विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दिया और असामंजस्य को पैदा किया। उनके अनुसार, दोनों आरोपितों ने मुस्लिम समुदाय की भावनाओं का अपमान किया था और उन्हें उकसाया था।

इस शिकायत के मिलने के बाद कोर्ट ने अंबोली थाने से आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 202 के तहत जाँच रिपोर्ट माँगी थी। रिपोर्ट मिलने के बाद मजिस्ट्रेट भागवत टी जीरापे (Bhagawat T Zirape) ने कहा कि आरोपितों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153-ए, 153-बी, 295-ए और धारा 505 के तहत कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकार या जिला मजिस्ट्रेट की मंजूरी मिलना जरूरी है। इसलिए वह बिन मंजूरी के केस को आगे नहीं बढ़ा सकते।

मजिस्ट्रेट ने सीपीसी की धारा 196 का हवाला देते हुए कहा कि वो बिन केंद्रीय सरकार, राज्य सरकार या डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की मंजूरी के मामले पर संज्ञान नहीं ले सकते और शिकायत में ऐसी किसी अनुमति को जोड़ा नहीं गया है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की शिकायत में कानूनी तौर पर दोष है। मंजूरी लिए बिना जारी किया गया आदेश टिकाऊ नहीं है। इसलिए उन्हें (कोर्ट को) इस केस को आगे बढ़ाने के पर्याप्त आधार नहीं मिले। वहीं कासिफ ने इंडिया टुडे से बात करते हुए कहा कि वो कलेक्टर से मंजूरी के लिए एप्लीकेशन दे रहे हैं। केस सिर्फ मंजूरी आदेश न होने के कारण डायरेक्ट नहीं खारिज हो सकता। 

क्या था रंगोली का ट्वीट:

बता दें कि पिछले साल मुरादाबाद में डॉक्टरों पर हुए हमले को लेकर रोष जताने के बाद ट्विटर ने रंगोली का अकॉउंट सस्पेंड किया था। जिस ट्वीट पर यह कार्रवाई हुई थी। वह था:-

“एक जमाती की कोरोना से मौत हो गई, जब पुलिस और डॉक्टर उसके परिवार को चेक करने गए तो उन्होंने उनपर (पुलिस और डॉक्टर) हमला किया और उन्हें मारा। धर्मनिरपेक्ष मीडिया और इन मुल्लाओं को एक पंक्ति में खड़ा कर गोली मार देनी चाहिए। इतिहास में वे हमें नाजी कह सकते हैं, किसे चिंता है, जिदंगी फेक इमेज से ज्यादा जरूरी है।“

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया