सार्वजनिक सड़क पर अपनी गाड़ी में होने पर भी वह सार्वजनिक स्थल ही माना जाएगा: सुप्रीम कोर्ट

सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़े ने सुप्रीम कोर्ट के मध्यस्थता पैनल को लिखा पत्र

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (जुलाई 1, 2019) को अपने एक फैसले में स्पष्ट किया है कि बिहार एक्साइज एक्ट 2016 के तहत, सार्वजनिक सड़क पर चलने वाला निजी वाहन भी ‘सार्वजनिक स्थान’ ही माना जाएगा। दरअसल, यह एक्ट राज्य में शराब के उपभोग पर प्रतिबंध लगाता है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि इस तरह के वाहन में शराब पीने वाले या नशे की अवस्था में पाए जाने वाले व्यक्ति को बिहार में अपराधी माना जाएगा।

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दरअसल, बिहार में पूर्ण शराबबंदी है और अपीलकर्ता सतविंदर पर बिहार में एक निजी वाहन के अंदर शराब के नशे में पाए जाने का आरोप लगा था। सतविंदर जून 25, 2016 को कुछ लोगों के साथ पटना से झारखंड के गिरडीह जा रहे थे। वाहन जैसे ही बिहार के नवादा जिले में पहुँचा तो एक पुलिस चौकी पर उनका वाहन चेकिंग के लिए रोका गया। वाहन चेकिंग के दौरान इसमें से शराब या फिर कोई नशीली चीज तो बरामद नहीं हुई, लेकिन ब्रीद एनलाइजर टेस्ट में पाया गया कि वे नशे में थे।

इसके बाद याचिकाकर्ता ने बिहार के एक्साइज ऐक्ट के प्रावधान को चुनौती दी थी लेकिन पटना हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अर्जी खारिज कर दी थी। जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि वह शराब नहीं पी रहा था और गिरफ्तारी के समय उसके वाहन से शराब की बोतल नहीं मिली। इसके साथ ही सतविंदर का कहना था कि वो निजी वाहन में सफर कर थे, इसलिए इस मुकदमे को रद्द कर देना चाहिए।

जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने सतविंदर की दलील पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि ये बात सही है कि निजी वाहन में बिना अनुमति के कोई प्रवेश नहीं किया जा सकता। इसकी अनुमति वाहन का मालिक ही दे सकता है। लेकिन, यदि वाहन सार्वजनिक स्थल पर खड़ा है तो पब्लिक के पास प्राइवेट वाहन को अप्रोच करने का अवसर होता है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया