‘राजाराज चोल नहीं थे हिंदू राजा’: PS-1 आने के बाद तमिल डायरेक्टर का विवादित बयान; कमल हासन ने समर्थन में कहा- ‘तब हिंदू धर्म का नामों निशान भी नहीं था’

तमिल डायरेक्टर के दावे को कमल हासन का समर्थन (फोटो साभार: (तमिल सिनेमा/ इंडिया टुडे/onmanorma)

चोल वंश के राजा की जिंदगी पर आधारित फिल्म ‘पोन्नियिन सेल्वन-1’ को दक्षिण भारत के साथ-साथ उत्तर भारत में भी काफी पसंद किया जा रहा है। फिल्म वर्ल्डवाइड बॉक्स ऑफिस पर 300 करोड़ का जादुई आँकड़ा पार कर चुकी है। इसी फिल्म में राजाराज चोल की भी चर्चा की गई है। राजाराज चोल प्रथम इस साम्राज्य के सबसे प्रतापी राजाओं में से थे।

फिल्म कि रिलीज के कुछ दिनों बाद तमिल डायरेक्टर वेत्रिमारन ने चोल वंश को लेकर विवादित बयान दिया है। वेत्रिमारन ने एक कार्यक्रम में दावे के साथ कहा, “राजाराज चोल हिंदू राजा नहीं थे। हमारे प्रतीक लगातार हमसे छीने जा रहे हैं। तिरुवल्लुवर का भगवाकरण करना या राजाराज चोल को हिंदू राजा कहना इसका ताजा उदाहरण है। सिनेमा आम आदमी के लिए है, इसलिए पीछे की राजनीति को समझना जरूरी है।”

दक्षिण भारत में भव्य और विशाल मंदिरों का निर्माण करने वाले चोल राजाओं पर वेत्रिमारन की विवादित टिप्पणी पर भाजपा ने पलटवार किया है। भाजपा नेता एच राजा ने कहा कि राजाराज चोल एक हिंदू राजा थे। उन्होंने कहा,

“मैं वेत्रिमारन की तरह इतिहास से अच्छी तरह वाकिफ नहीं हूँ, लेकिन वह राजाराज चोल द्वारा बनाए गए दो चर्चों और मस्जिदों के नाम बता सकते हैं? उन्होंने खुद को शिवपद सेकरन कहा। क्या वह तब हिंदू नहीं थे?”

भाजपा नेता एच राजा द्वारा वेत्रिमारन के दावे पर आपत्ति जताए जाने के बाद अभिनेता से नेता बने कमल हासन डायरेक्टर के समर्थन में आ गए हैं।

कमल हासन ने कहा, “राजाराज चोल के काल में हिंदू धर्म का नामों-निशान तक नहीं था। उस समय वैष्णव, शैव थे। वो अंग्रेज थे, जिन्होंने ‘हिंदू’ शब्द गढ़ा, क्योंकि वे नहीं जानते थे कि इसे सामूहिक रूप से कैसे व्यक्त किया जाए। यह ठीक उसी तरह है, जैसे उन्होंने थुथुकुडी को तूतीकोरिन में बदल दिया।” हासन ने आगे कहा कि आठवीं सदी में कई धर्म और आस्थाएँ लोगों के बीच पनप रही थीं।

बता दें कि हाल में कमल हासन ने कलाकारों और क्रू के साथ फिल्म ‘पोन्नियिन सेल्वन-1’ देखने के बाद कहा था कि यह इतिहास पर आधारित एक कथा का जश्न मनाने का क्षण है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा, “हमारे इतिहास को बढ़ा-चढ़ाकर पेश न करें और न ही इसमें भाषा के मुद्दे को शामिल करें।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया