आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार (अगस्त 17, 2019) को कहा कि लोगों के बीच इस धारणा को बदलने की जरूरत है कि सिर्फ अंग्रेजी ज्ञान से ही अच्छा पैसा कमाया जा सकता है। उन्होंने मातृभाषाओं को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि अध्ययन के अन्य विषयों के साथ आध्यात्मिक ज्ञान देने की भी जरूरत है।
संघ प्रमुख ने शिक्षा प्रणाली में भारतीयता की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति आजीविका चलाने के लिए पढ़ता है, तो यह शिक्षा नहीं है क्योंकि समाज में ऐसे कई उदाहरण हैं जहाँ अशिक्षित लोगों ने शिक्षित लोगों को नौकरियाँ दी हैं।
भागवत ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय में आरएसएस से संबद्ध शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास (एसएसयूएन) द्वारा आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि जब शिक्षा में आध्यात्मिकता के बारे में बात की जाती है, तो कुछ लोगों की भौहें तन जाती हैं लेकिन मानविकी, वाणिज्य और विज्ञान जैसे अन्य विषयों के साथ इसकी भी आवश्यकता है। भागवत का कहना है कि लोगों ने ऐसी धारणा बना ली है कि कोई व्यक्ति केवल तभी अच्छा पैसा कमा सकता है, जब उसे अंग्रेजी भाषा का अच्छा ज्ञान हो। लेकिन, इस धारणा को बदलने करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि जो लोग सिर्फ अपनी मूल भाषा जानते हैं, वो भी वह अच्छा पैसा कमा सकते हैं। इस दौरान उन्होंने विभिन्न विकसित देशों के उदाहरण दिए, जहाँ अधिकांश लोग केवल अपनी मातृभाषा को ही जानते हैं। मोहन भागवत ने कहा कि समाज में लोगों का कहना है कि शिक्षा प्रणाली को बदला जाना चाहिए, और यह लोगों द्वारा किया जा सकता है, क्योंकि भारत में शिक्षा प्रणाली पूरी तरह से सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं है और समाज का भी इस पर कुछ नियंत्रण है। अगर समाज को लगता है कि शिक्षा प्रणाली में बदलाव होना चाहिए, तो यह निश्चित रूप से होगा।