आधी रात, ट्रक के पीछे, सीट के नीचे… कैसे बची जान, हिरोइन संदीपा धर ने बताई: कहा- द कश्मीर फाइल्स मेरी अपनी कहानी

द कश्मीर फाइल्स ने हिरोइन संदीपा धर को याद दिलाई परिवार की आपबीती

कश्मीरी हिंदुओं की त्रासदी को लेकर 11 मार्च 2022 को फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री की फिल्म द कश्मीर फाइल्स रिलीज हुई। इसके बाद से देशभर के कश्मीरी हिंदू एक-एक कर सामने आ रहे हैं और अपने साथ हुई बर्बरता की कहानी को दुनिया के सामने रख रहे हैं। इसी क्रम में एक्ट्रेस संदीपा धर ने भी अपनी कहानी दुनिया के सामने रखी है। फिल्म देखने के बाद एक्ट्रेस ने सोशल मीडिया पर उस समय को याद किया है, जब नब्बे के दशक में उनके परिवार को कश्मीर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

संदीपा धर ने इंस्टाग्राम पर शेयर स्टोरी में अपने पुश्तैनी घर की तस्वीर के साथ ही उस घटना के बारे में बताया है। उन्होंने लिखा है, “उस दिन उन लोगों ने ऐलान किया कि कश्मीरी पंडित अपनी महिलाओं को यहीं छोड़कर चले जाएँ। मेरे परिवार ने तुरंत अपनी मातृभूमि छोड़ने का फैसला किया। हम एक ट्रक के पीछे छिप गए, मेरी चचेरी बहन को पीछे वाली सीट के नीचे मेरे पापा के पैरों के पास छिपा दिया गया। चुपचाप आधी रात में हम वहाँ से भाग निकले।”

आगे उन्होंने कहा है, “कश्मीर फाइल्स के दृश्य ने मेरे दिल को झकझोर दिया, क्योंकि यह मेरी अपनी कहानी है। अपने घर, अपनी जमीन लौटने के इतंजार में मेरी दादी की मौत हो गई। मेरे परिवार के लिए ये बहुत ही बुरा रहा। मेरा परिवार इस पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर (PTSD) से अभी तक उबरने की कोशिश कर रहा है। ये वो महत्वपूर्ण कहानी है, जिसे बताने में बहुत अधिक समय लग गया। याद रखिए, ये केवल एक फिल्म है, अभी तक हमें न्याय नहीं मिला है।”

गौरतलब है कि एक टीवी कार्यक्रम में द कश्मीर फाइल्स के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने बताया था कि इस फिल्म के लिए रिसर्च करते वक्त उन्होंने 700 से अधिक कश्मीरी हिंदुओं का इंटरव्यू लिया, जिनमें से सभी की कहानियाँ एक ही तरह की थीं। उन्होंने कहा, “मेरा मानना ​​​​है कि लोगों के लिए अपना दर्द और उनके चोट को बताने का समय बीत चुका है। अगर इस दर्द को दबा दिया जाए तो कोई इलाज नहीं होगा।”

गिरिजा टिक्कू के साथ हुई क्रूरता का जिक्र करते हुए कहा कि यह फिल्म देश और दुनिया के हर बच्चे को दिखाई जानी चाहिए। यह घटना पूरी मानवता के लिए कलंक है। विवेक अग्निहोत्री ने कहा कि अब समय आ गया है कि लोग खुद को दोषी महसूस करें, लोग इस मुद्दे पर चर्चा करें और बहस करें ताकि भविष्य में भारत में एक और कश्मीर न बनें। 

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया