गोधरा में जलाए गए हिंदू स्वरा भास्कर को याद नहीं, अंसारी की तस्वीर पोस्ट कर लिखा- कभी नहीं भूलना

स्वरा भास्कर (फाइल फोटो)

किसी भी मामले में सच्चाई को अपने मनमुताबिक तोड़-मरोड़कर पेश करना स्वरा भास्कर की पहचान है। बात चाहे दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगों में इस्लामी दंगाइयों के हिंसक रूप को छिपाने की हो या फिर दंगों के मुख्य आरोपित उमर खालिद के साथ खड़े होने की, स्वरा भास्कर हर जगह नजर आती हैं। 28 फरवरी 2021 को दोबारा स्वरा ने यही सब किया। इस बार मामला गुजरात दंगों से जुड़ा था। स्वरा ने एक मुस्लिम व्यक्ति की तस्वीर शेयर की और लिखा, ‘कभी न भूलना।’

https://twitter.com/ReallySwara/status/1366102522436349952?ref_src=twsrc%5Etfw

स्वरा शायद गुजरात दंगे याद दिलाना चाहती थीं, मगर लगता है उन्हें ये नहीं पता कि ये सब शुरू कहाँ से हुआ था। तभीं, वह भूल गईं ये बताना कि गुजरात दंगे उस गोधरा कांड के रोष में भड़के थे जहाँ ट्रेन के डिब्बे में आग लगा दी गई और जिसमें 59 कारसेवक जलकर खाक हो गए थे।

27 फरवरी 2002 की सुबह गोधरा रेलवे स्टेशन पर रुकी साबरमती एक्सप्रेस में 59 कारसेवक मारे गए थे, जिसके बाद गुजरात में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे। पूरी 6 साल की पड़ताल के बाद ये बात सामने आई थी कि उस दिन ट्रेन में आग लगाने के पीछे मुस्लिम भीड़ का हाथ था।

स्वरा न केवल इस्लामी बर्बरता पर पर्दा डाल रहीं हैं बल्कि ये भी बता रही हैं कि उन दंगों को नहीं भुलाया जाना चाहिए, जो गोधरा कांड के आक्रोश में भड़के। इसके अलावा वह एक मुस्लिम व्यक्ति ‘कुतुबुद्दीन अंसारी’ की तस्वीर दिखा कर उन हिंदुओं की हत्या पर भी पर्दा डाल रही हैं जो बर्बरता से मारे गए। शर्मनाक बात यह है कि तस्वीरों में दिखने वाले कुतुबुद्दीन अंसारी वही शख्स हैं जो साल 2016 में निवेदन कर चुके हैं कि उनकी तस्वीर इस्तेमाल कर राजनीतिक प्रोपेगेंडा न चलाया जाए।

मुंबई मिरर को दिए इंटरव्यू में अंसारी ने कहा था, “मैं 43 साल का हूँ। पिछले 14 साल में राजनीतिक पार्टियों, बॉलीवुड और आतंकी संगठनों द्वारा मेरा इस्तेमाल और गलत इस्तेमाल दोनों हुआ। काश मैं 2002 में मर जाता, क्योंकि मैं अपने बच्चों को जवाब नहीं दे पाता, जब वो पूछते हैं कि पापा जब भी हम आपकी तस्वीर देखते हैं तो आप रोते हुए या भीख माँगते हुए क्यों दिखते हो।”

उक्त बयान उसी व्यक्ति का है जिसकी तस्वीर स्वरा ने शेयर की, लेकिन उन्हें इन सब बातों से क्या? उन्हें क्या मतलब है कि कोई व्यक्ति किस मानसिक प्रताड़ना से गुजर रहा है, उन्हें बस अपना प्रोपेगेंडा चलाना है। कुतुबुद्दीन अंसारी के आँसू से वामपंथियों लिबरलों का कोई वास्ता नहीं है, इसलिए वे गुजरात दंगों की बात आते ही उनकी तस्वीर इस्तेमाल करने लगते हैं।

याद दिला दें कि अभी बीते साल इसी तरीके को हिंदुओं के विरुद्ध माहौल बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया था। उस समय स्वरा भास्कर ने उमर खालिद का साथ दिया था उसे एक्टिविस्ट कहा था। इसके बाद जब खालिद पर यूएपीए लगा तब भी स्वरा खुल कर उसका साथ देने से नहीं चूकी थीं और यूएपीए हटाने की माँग की थी।

बता दें कि दिल्ली पुलिस की एफआईआर के मुताबिक दिल्ली दंगे सुनियोजित साजिश का थे जिसे उमर खालिद और उसके साथियों ने मिलकर रचा था। साजिश के तहत खालिद ने दो अलग-अलग जगहों पर भड़काऊ भाषण दिए थे और लोगों से अपील की थी कि जब अमेरिकी राष्ट्रपति देश में आए तो उन्हें अपना विरोध उनके आगे दिखाना है ताकि इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिले।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया