नीरज चोपड़ा थे जूनियर, हाथ कटा तो आत्महत्या करने जा रहे थे सुंदर सिंह गुर्जर: कोच ने उबारा, पैरालंपिक में ब्रॉन्ज पर मारा भाला

जूनियर शिविर में साथ-साथ थे नीरज चोपड़ा और सुंदर सिंह गुर्जर

टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा ने अपने भाले से स्वर्ण पर निशाना साध इतिहास रचा। इसी तरह टोक्यो पैरालंपिक के जैवलिन थ्रो स्पर्धा में देवेंद्र सिंह गुर्जर ने कटे हाथ भाले से कांस्य पदक हासिल किया। सुंदर 2015 तक शारीरिक तौर पर पूरी तरह सक्षम थे। यहाँ तक कि जूनियर राष्ट्रीय शिविर में वे और नीरज साथ-साथ थे। फिर एक हादसे ने सुंदर का हाथ छीन लिया और वे आत्महत्या करने की सोचने लगे। इस तरह के हालात से कोच ने उन्हें उबारा और अब पैरालंपिक के बाद हर तरफ उनके हौसले की चर्चा हो रही है।

पैरालंपिक की सफलता के बाद 25 साल के सुंदर ने अपने कोच महावीर सैनी को विशेष तौर पर आभार जताया है। उन्होंने पीटीआई को दिए इंटरव्यू में बताया है कि कैसे एक मित्र के घर पर उनके साथ हादसा हुआ। फिर 2016 के पैरालंपिक में उन्हें डिस्क्वालिफाई कर दिया गया। इसके बाद वे पूरी तरह टूट गए थे और कोच ने उन्हें सँभाला।

उन्होंने बताया, “मैंने वापसी की और 2016 पैरालंपिक के लिए क्वालिफाई भी हो गया। लेकिन डिस्क्वालिफाई होने के बाद यह सोचकर टूट गया था कि सब कुछ खत्म हो चुका है। मेरे लिए कुछ भी नहीं बचा है।” उल्लेखनीय है कि एक दोस्त के घर टिन की छत सुंदर के ऊपर गिर गई थी। इसके बाद उनका बायाँ हाथ काटना पड़ा था। इस हादसे के बावजूद उनका हौसला कम नहीं हुआ और बतौर पैरा खिलाड़ी उन्होंने अपना करियर आगे बढ़ाया। हादसे के एक साल के भीतर ही 2016 के रियो पैरालंपिक के लिए क्वालिफाई भी कर लिया। लेकिन, यहाँ 52 सेकेंड की देरी की वजह से डिस्क्वालिफाई किए जाने के बाद वे पूरी तरह टूट गए थे।

सुंदर ने बताया, “मैंने आत्महत्या करने के बारे में सोचा। उस समय मेरे कोच (महावीर सैनी) को लगा कि मेरे दिमाग में कुछ गलत चल रहा है। कुछ महीनों तक उन्होंने चौबीस घंटे मुझे अपने साथ रखा। मुझे अकेला नहीं छोड़ा। समय बीतने के साथ मेरे विचार बदल गए। मुझे लगा कि मैं दोबारा खेलना शुरू कर सकता हूँ।”

रियो पैरालंपिक में हुई घटना के संबंध में उन्होंने बताया, “2016 पैरालंपिक के दौरान मैं अपनी स्पर्धा में शीर्ष पर चल रहा था। लेकिन कॉल रूम में 52 सेकेंड देर से पहुँचा और मुझे डिस्क्वालिफाई कर दिया गया। इसके बाद मेरा दिल टूट गया।”

अपनी जिंदगी और करियर बदलने का श्रेय महावीर सैनी को देते हुए सुंदर कहते हैं, “मैं 2009 से खेलों से जुड़ा था। शुरुआत में मैं गोला फेंक का हिस्सा था। मैंने राष्ट्रीय गोला फेंक स्पर्धा में पदक भी जीता। मैंने डेढ़ साल तक गोला फेंक में हिस्सा लिया। इसके बाद कोच महावीर सैनी ने मुझे कहा कि अगर तुम्हें अपने करियर में अच्छा करना है तो गोला फेंक छोड़, भाला फेंक से जुड़ना होगा।” सुंदर ने बताया कि सैनी ने उनके अंदर प्रतिभा देखी। इसके बाद उन्हें प्रशिक्षण दिया और उनका हौसला बनाए रखा।

नीरज चोपड़ा के साथ शिविर के दिनों को याद करते हुए उन्होंने बताया, “वह मेरा दो साल जूनियर था। मैं अंडर-20 में हिस्सा लेता था और वह अंडर-18 में। हम युवा स्तर पर कुछ प्रतियोगिताओं में एक साथ खेले।” सुंदर ने बताया, “जूनियर भारतीय शिविर में मैं और नीरज 2013-14 में साई सोनीपत शिविर में साथ थे। इसके बाद 2015 में मेरे साथ दुर्घटना हुई और मुझे पैरा स्पर्धा में हिस्सा लेना पड़ा।”

पैरालंपिक में मेडल जीतने के बावजूद सुंदर संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने बताया, “मुझे लगता है कि अब भी मेरे में कुछ कमी है। मैंने पैरालंपिक में मेडल जीता है। लेकिन मैं संतुष्ट नहीं हूँ क्योंकि मेरा लक्ष्य गोल्ड जीतना था और उम्मीद है कि 2024 पेरिस पैरालंपिक में इसे हासिल करने में सफल रहूँगा।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया