6 महीने से बोलने में हो रही थी दिक्कत, 7 दिन में 100 बार मिनी स्ट्रोक: दिमाग वाला नस ही हो गया था ब्लॉक, जानिए कैसे बची जान

बुजुर्ग को एक सप्ताह में आए 100 मिनी स्ट्रोक (प्रतीकात्मक फोटो, साभार: healthimaging.com)

65 साल के एक बुजुर्ग को एक सप्ताह में 100 बार मिनी स्ट्रोक आए। दिल्ली के एक अस्पताल में सर्जरी के बाद अब उनकी सेहत में सुधार आया है। बताया जा रहा है कि बुजुर्ग को करीब छह महीने से हाथ-पैर में कमजोरी महसूस हो रही थी। साथ ही बोलने और समझने में भी दिक्कत आ रही थी।

BLK मैक्स अस्पताल में इलाज के लिए आने से पहले बुजुर्ग ने कई डॉक्टरों से परामर्श किया था। लेकिन उनकी बीमारी पकड़ में नहीं आ रही थी। दरअसल स्मोकिंग की वजह से बुजुर्ग के दिमाग की एक नस में ब्लॉकेज हो गया था। जिसके कारण रक्त के प्रवाह में रुकावट आ रही थी। इसके कारण उन्हें बार-बार ट्रांजिएंट इस्केमिक अटैक (TIA) यानी मिनी स्ट्रोक झेलना पड़ा।

दरअसल, स्ट्रोक दो तरह के होते हैं। इस्केमिक और हेमोरेजिक। इस्केमिक स्ट्रोक दिमाग में खून के प्रवाह में रुकावट की वजह से होता है और हेमोरेजिक या रक्तस्रावी स्ट्रोक दिमाग में धमनियों में ब्लीडिंग से होता है। डॉक्टरों ने बुजुर्ग के दिमाग की दाहिनी आंतरिक कैरोटिड धमनी में रुकावट को दूर करने के लिए इंट्राक्रैनियल स्टेंटिंग का इस्तेमाल कर उनकी जिंदगी को नया रूख दिया।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार हापुड़ के निवास जौहार (Niwash Johar) नाम के बुजुर्ग को एक हफ्ते में 100 से अधिक बार मिनी स्ट्रोक पड़े थे। बीएलके मैक्स अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक एंजियोग्राफी (डीएसए) में पता चला कि स्मोकिंग की वजह से जौहर के दिमाग की रक्त वाहिकाएँ सिकुड़ गई थीं। दाहिनी ओर खून की आपूर्ति केवल 90 फीसदी थी और बाईं ओर से बंद थी। इसलिए, दिमाग में रक्त और ऑक्सीजन की कमी की वजह से बार-बार स्ट्रोक आ रहा था।

कमजोरी महसूस होने पर बुजुर्ग ने कई डॉक्टरों को दिखाया लेकिन कोई भी उनकी परेशानी का पता नहीं लगा सका। BLK मैक्स अस्पताल के एसोसिएट डायरेक्टर न्यूरोलॉजी और हेड न्यूरोवास्कुलर इंटरवेंशन डॉ विनित बंगा ने बताया कि बीते छह महीनों से निवाश जौहर को दाहिने हाथ और पैर में कमजोरी के साथ-साथ बोलने और समझने में मुश्किल हो रही थी।

डॉ बंगा बताया, “शुरुआत में, उन्हें हर हफ्ते 1-2 बार मिनी हार्ट स्ट्रोक आते थे और ये पाँच मिनट से भी कम वक्त का होता था। लेकिन धीरे-धीरे इन अटैक की संख्या हर दिन बढ़ने के साथ शरीर पर उनके असर का वक्त भी बढ़ता गया। जो अटैक पहले 5 मिनट तक रहते थे वो 10-15 मिनट तक होने लगे थे।”

डॉ बंगा ने बताया कि रक्त वाहिकाओं में सिकुड़न मधुमेह, उच्च रक्तचाप, धूम्रपान, खराब जीवनशैली के साथ-साथ हाई कोलेस्ट्रॉल के वजह से भी हो सकती है। उनका कहना था कि इस तरह अटैक का इलाज दवाओं और बेहतर जीवनशैली अपनाकर इसके खतरों को कम किया जा सकता है। हालाँकि उन केसों में स्टेंटिंग की जरूरत होती है, जब रक्त वाहिकाएँ बहुत सिकुड़ गई होती हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया