मोदी सरकार ने दिए ₹12543 करोड़, 389 विदेशी सैटेलाइट लॉन्च कर ₹3300 करोड़ कमाए भी: जानिए UPA जमाने के मुकाबले कैसे अंतरिक्ष पर बदला भारत का फोकस

भारत सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में 9 वर्षों के अंदर अपने बजट को दोगुना किया (चित्र साभार- NDTV)

चंद्रयान 3 मिशन की सफलता के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने बुधवार (23 अप्रैल 2023) को अंतरिक्ष क्षेत्र में कामयाबियों की रिपोर्ट कार्ड पेश की। यह रिपोर्ट कार्ड साल 2014 से 2023 के बीच का है। इस रिपोर्ट में सिलसिलेवार ढंग से बताया गया है कि वर्तमान सरकार ने अंतरिक्ष बजट में 100% से अधिक की बढ़ोतरी की है। साथ ही, इन 9 वर्षों में लगभग 3,300 करोड़ रुपए की कमाई के साथ भारत द्वारा कई देशों से अंतरिक्ष जगत में की गई साझेदारी का भी जिक्र है।

मोदी सरकार ने पिछले 9 साल का लेखा-जोखा माइक्रोब्लॉगिंग साइट X पर शेयर किया है। रिपोर्ट कार्ड की हेडिंग ‘अंतरिक्ष में भारत का शानदार दशक’ दी गई है। रिपोर्ट के शुरुआत में साल 2020 से 140 स्टार्टअप को लेकर जानकारी दी गई है। इसके फायदे के तौर पर लोगों में अंतरिक्ष के प्रति रूचि बढ़ना और ब्रह्माण्ड के बारे में नई खोजें होना बताया गया है।

इसी रिपोर्ट कार्ड में भारत की अंतरिक्ष जगत में दुनिया के बाकी देशों से की गई साझेदारियों का जिक्र गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत अब नासा (NASA) के नेतृत्व वाले समूह से जुड़ गया है। अब नासा और भारत मिलकर एक साथ कई अंतरिक्ष खोजों पर काम कर रहे हैं।

रिपोर्ट कार्ड के मुताबिक, पिछले 9 वर्षों में भारत सरकार ने अंतरिक्ष जगत से युवाओं को भी बड़े पैमाने पर जोड़ने और उनकी सहभागिता सुनिश्चित करने में सफलता पाई है। इसमें बताया गया है कि SSLV D 2 से 3 उपग्रह लॉन्च किए गए हैं। इन उपग्रहों के नाम EOS-7, AzaadiSAT-2 और Janus-1 हैं।

इन तीनों की लॉन्चिंग में 750 छात्राओं ने अपना योगदान दिया है। 25 नवंबर 2022 को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नई उड़ान का दिन बताया गया है। इस दिन प्राइवेट लॉन्चपैड और मिशन कंट्रोल सेंटर की भी स्थापना की गई थी।

जारी रिपोर्ट कार्ड के मुताबिक पिछले 3 वर्षों में अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े देश के अलग-अलग स्थानों पर संस्थानों में 603 छात्रों ने एडमिशन लिया। ये संस्थान त्रिवेंद्रम, जम्मू और अगरतला में मौजूद हैं जहाँ पढ़ने वाले छात्रों का 100% प्लेसमेंट किया गया।

इस प्रयास को सरकार ने भावी वैज्ञानिकों की पौध तैयार करने का प्रयास बताया है, जिसे ‘युवा विज्ञानी कार्यक्रम’ नाम दिया गया है। भारत सरकार के अनुसार, चंद्रयान 2 का ऑर्बिटर ज्ञान का भंडार है, जिसका डाटा पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है।

मोदी सरकार द्वारा पेश रिपोर्ट कार्ड के मुताबिक, साल 2014 से पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की छात्र सैटेलाइट प्रक्षेपण की सीमा 4 हुआ करती थी। यह संख्या बढ़कर अब 11 हो चुकी है। साथ ही साल 2014 से पहले का 1.2 वार्षिक लॉन्च रेट अब बढ़कर 2014 के बाद से 5.7 हो चुका है।

भारत सरकार के मुताबिक, पिछले 9 वर्षों में कुल 389 विदेशी उपग्रह लॉन्च किए गए हैं। इन लॉन्चिंग के चलते साल 2014 से अब तक कुल ₹3,300 करोड़ से अधिक की कमाई भी हुई है। इस बढ़ोतरी को भारत की उभरती अंतरिक्ष शक्ति और वैश्विक साझेदारी का एक प्रमाण बताया गया है।

रिपोर्ट कार्ड में भारत के अंतरिक्ष बजट को लेकर भी चर्चा की गई है। इसमें कहा गया है कि पिछले 10 वर्षों में भारत ने अपने अंतरिक्ष बजट में 100% से अधिक की बढ़ोतरी की है। 2013-14 के लिए सरकार द्वारा यह 5,615 करोड़ रुपए बजट हुआ करता था, जो कि 2023-24 में बढ़कर 12,543 करोड़ रुपए का हो गया है।

भारत सरकार ने अपनी रिपोर्ट कार्ड में यह भी बताया है कि पिछले 9 वर्षों में अंतरिक्ष के लिए कुल 424 विदेशी उपग्रहों को लॉन्च किया गया है। इस लॉन्चिंग में 389 उपग्रह सफलतापूर्वक अपनी कक्षा में स्थापित हो गए। यह संख्या साल 2014 से पहले महज 35 थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया