रेड सिग्नल पार करने वाली ट्रेनों को भी रोक देता है कवच, फिर क्यों कंचनजंगा एक्सप्रेस से भिड़ गई मालगाड़ी: जानिए सब कुछ

हावड़ा-गुवाहाटी रूट पर नहीं लगा था कवच सिस्टम (चित्र साभार: Trainsofindia/X)

पश्चिम बंगाल के न्यूजलपाईगुड़ी में एक भीषण रेल हादसा हुआ है। सोमवार (17 जून, 2024) को सुबह 9 बजे सियालदह से अगरतला जा रही कंचनजंगा एक्सप्रेस में एक मालगाड़ी पीछे से जाकर भिड़ गई। इस हादसे में 15 लोगों की मौत की सूचना है। 60 लोग घायल हुए हैं। हादसे में मालगाड़ी के लोको पायलट और एक्सप्रेस के गार्ड की मौत हो गई। इस घटना का आरम्भिक कारण मानव भूल को माना जा रहा है। हादसे की जगह पर राहत बचाव का काम चल रहा है। केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव घटनास्थल पर पहुँचे हैं।

हादसे के बाद रेलवे बोर्ड की चेयरमैन जया वर्मा सिन्हा ने स्पष्ट किया है कि जिस हावड़ा गुवाहाटी रूट पर यह हादसा हुआ है, उस पर कवच सिस्टम नहीं लगा था। इस रूट पर आगे कवच सिस्टम लगाए जाने की योजना है। मामले की जाँच अभी जारी है, रेल हादसे का असल कारण क्या है, इसको लेकर जाँच की जाएगी। इस रेल हादसे के बाद फिर से एक बार कवच सिस्टम चर्चा में आ गया है। हादसे के बाद प्रश्न उठ रहे हैं कि इस रूट पर कवच की क्या स्थिति है और इससे इस दुर्घटना पर क्या असर पड़ता।

क्या है कवच, कैसे करता है काम

कवच एक एंटी कोलिजन डिवाइस नेटवर्क है जो कि रेडियो कम्युनिकेशन, माइक्रोप्रोसेसर, ग्लोबर पोजिशनिंग सिस्टम तकनीक पर आधारित है। इस तकनीक की मदद से रेलवे ‘जीरो एक्सीडेंट’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होगा। इसके तहत जब दो आने वाली ट्रेनों पर इसका उपयोग होगा तो ये तकनीक उन्हें एक दूसरे की आपस में दूरी का आकलन करने में और टकराव के जोखिम को कम करने में ऑटोमेटिक ब्रेकिंग एक्शन शुरू कर देगी। इससे ट्रेनें टकराने से बच सकेंगीं।

यदि ड्राइवर ऐसी स्थिति में स्पीड कंट्रोल करना या ब्रेक लगाना भूल जाता है तो कवच (Kavach) प्रणाली ब्रेक इंटरफेस यूनिट द्वारा ट्रेन को रोक देगी। कवच प्रणाली द्वारा प्रदान की जाने वाली अन्य विशेषताओं में रेलवे फाटकों पर स्वत: सीटी बजाना और खतरे की स्थिति में अन्य ट्रेनों को नियंत्रित एवं सावधान करने के लिए ऑटो-मेनुअल SOS प्रणाली को तुरंत सक्रिय करना शामिल है। इसके अंतर्गत आसपास की ट्रेनों को अपने आप ही इसका सन्देश पहुँच जाएगा।

कवच सिस्टम के एक्टिवेट होते ही आसपास के क्षेत्र में सभी ट्रेनों का संचालन तुरंत रुक जाता है। यह तकनीक इतनी सुरक्षित है कि इसके 10000 बार में मात्र 1 बार विफल होने की संभावना होती है। इसको ट्रेन और स्टेशन दोनों पर लगाया जाता है। इसे भारत में ही पूरी तरीके से विकसित किया गया है। इसकी कीमत ऐसे विदेशी सिस्टम के मुकाबले आधी से भी कम है।

कहाँ-कहाँ लग गया कवच

कवच को रेलवे देश भर में चरणबद्ध तरीके से लगाने की योजना पर काम कर रही है। सबसे ताजा आँकड़ों के अनुसार, देश में 1,465 किलोमीटर रेलवे रूट पर कवच को लगाया जा चुका है। इसे 139 ट्रेन इंजनों में अभी तक लगाया गया है। इसके अलावा 3000 किलोमीटर रेलवे रूट पर कवच लगाने के लिए टेंडर जारी किए जा चुके हैं।

यह टेंडर देश के सबसे व्यस्ततम रूट दिल्ली- हावड़ा और दिल्ली-मुंबई के लिए जारी किए गए हैं। इन दोनों रूट को सबसे पहले कवच सुविधा से युक्त किया जाएगा। इस रूट पर भी 3000 किलोमीटर से अधिक में ऑप्टिकल फाइबर केबल डाली जा चुकी है और 170 इंजन भी इससे लैस किए जा चुके हैं। इसके साथ ही देश के अन्य रूट पर भी कवच लगाने की तैयारी चल रही है। इसके लिए भी टेंडर अलग-अलग चरण में हैं।

बालासोर हादसे के बाद भी मचा था शोर

2 जून, 2023 को ओडिशा के बालासोर में हुए रेल हादसे के बाद भी कवच सिस्टम को लेकर प्रश्न उठाए गए थे। तब भी इसकी स्थिति पर प्रश्न उठे थे। बालासोर में कोरोमंडल एक्सप्रेस एक मालगाड़ी और एक एक्सप्रेस ट्रेन से टकराई थी। इस रेल हादसे में 200 से अधिक लोगों को मौत हो गई थी।

तब यह स्पष्ट किया गया था कि जिस रूट पर हादसा हुआ वहाँ भी कवच सिस्टम नहीं लगा था। इस हादसे के बाद कवच सिस्टम को तेजी से लगाए जाने की माँग उठी थी। कवच सिस्टम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका दाखिल की गई थी। इस पर रेलवे ने जवाब भी दिया और सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे की प्रशंसा भी की थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया