भारत में बनी DNA बेस्ड कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल की इजाजत, बच्चों को भी लगेगी: ZyCoV-D के बारे में जानिए सब कुछ

साभार: एएफपी

कोरोना के खिलाफ जारी जंग के बीच देश को एक और हथियार मिल गया है। डीएनए बेस्ड कोरोना वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है। जायडस कैडिला (Zydus-Cadila) के इस वैक्सीन की इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत शुक्रवार (20 अगस्त 2021) को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने दी। यह दुनिया की पहली डीएनए आधारित कोरोना वैक्सीन है। इसे भारत में स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है। यह 12 साल या उससे अधिक उम्र के बच्चों को भी दी जा सकती है।

इस वैक्सीन की खास बात यह है कि कोरोना वैक्सीन दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन है। इसके जरिए जेनेटिकली इंजीनियर्ड प्लास्मिड्स को शरीर में इंजेक्ट किया जाता है। 3 खुराक वाले इस टीके से शरीर में कोविड-19 के स्पाइक प्रोटीन का उत्पादन होता है और इस तरह वायरस से बचाव वाले एंटीबॉडी पैदा होते हैं।

ज्यादातर कोरोना वैक्सीन के 2 डोज लगते हैं लेकिन कैडिला की इस वैक्सीन के 3 डोज लगेंगे। वैक्सीन की सबसे खास बात यह है कि यह सूई से नहीं लगाई जाएगी। इसे एक खास डिवाइस से लगाया जाएगा। जायडस कैडिला का दावा है कि इस तरीके से जब वक्सीन लगेगी तो उससे दर्द भी नहीं होगा। कंपनी यह भी दावा कर रही है कि इसके साइड इफेक्ट भी कम हैं।

इस वैक्सीन को 12-18 साल के आयु वर्ग वालों को लगाया जा सकेगा। इसके अलावा 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोग भी इस वैक्सीन को ले सकते हैं। अन्य वैक्सीनों से ये इस मायने में अलग है कि वो एम-आरएनए आधारित हैं जबकि ये वैक्सीन डीएनए बेस्ड है। सबका काम एक ही है- वायरस से सुरक्षा प्रदान करना।

इस वैक्सीन को जायडस कैडिला ने ZyCoV-D को बायोटेक्‍नोलॉजी विभाग के साथ पार्टनरशिप में बनाया है। आगे कंपनी वैक्सीन की 10 करोड़ से 12 करोड़ डोज बनाने की तैयारी कर रही है। मालूम हो कि देशभर में हजारों लोगों पर सफल परीक्षण के बाद ही इसे सरकार ने मंजूरी दी है। उससे पहले 28,000 से अधिक लोगों पर लेट-स्‍टेज ट्रायल में 66.6 फीसदी कारगर पाए जाने के बाद कैडिला हेल्‍थकेयर ने ZyCoV-D के ऑथराइजेशन के लिए अप्‍लाई किया था। कीमत की बात करें तो संभव है कि केंद्र सरकार के प्रोग्राम के तहत यह मुफ्त में मिले और यदि ऐसा नहीं होता तो इसकी कीमत भी 700-1500 रुपए के बीच लगाई जा रही है।

गौरतलब है कि ZyCoV-D देश में पूर्णत: स्वदेशी तरीके से विकसित दूसरी वैक्सीन है, जिसे DCGI की मंजूरी मिली है। इसी के साथ यह मंजूरी प्राप्त करने वाला छठा टीका बन गया है। इससे पहले अगस्त में जॉनसन एंड जॉनसन के सिंगल डोज वैक्सीन को मंजूरी दी गई थी। भारत में पहले से स्वीकृत अन्य टीके एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित कोविशील्ड और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोवैक्सिन, रूस में विकसित स्पुतनिक वी और यूएसए की मॉडर्ना हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया