‘छात्रों को विरोध का अधिकार, पर वे उन्मादी नहीं हो सकते’: IIT मद्रास में ‘बीफ फेस्ट’ के बाद हिंसा पर हाईकोर्ट, आयोजकों ने दायर की थी

मद्रास हाईकोर्ट (साभार: बार एंड बेंच)

मद्रास हाईकोर्ट (Madra High Court) ने बीफ मुद्दे (Beef Fest) पर IIT मद्रास में हुई हिंसा को लेकर दायर की गई जनहित याचिका (PIL) पर मंगलवार (14 जून 2023) को सुनवाई पूरी कर ली। इस दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि छात्रों को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन ऐसे अधिकारों का ध्यानपूर्वक प्रयोग किया जाना चाहिए।

IIT मद्रास कैंपस में साल 2017 में ‘बीफ फेस्ट’ के आयोजन के बाद हुई हिंसा की घटनाओं के बाद संस्थान में एक ‘शांति स्थापना समिति’ स्थापित करने के लिए जनहित याचिका की गई थी। याचिका पूर्व छात्र और रिसर्च स्कॉलर डिट्टी मैथ्यू और अन्य छात्रों ने दायर की थी।

याचिकाकर्ताओं ने प्रोफेसरों की एक समिति के गठन और उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में यह सुनिश्चित करने के लिए हाईकोर्ट से सुझाव देने का आह्वान किया था कि परिसर में हिंसा की कोई घटना न हो।

इस याचिका का निस्तारण करते हुए मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति पीडी औदिकेसवालू की पीठ ने कहा कि किसी को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन ऐसे विरोध शांतिपूर्ण और कानून के अनुसार होने चाहिए।

पुलिस ने रिपोर्ट में कहा था कि छात्रों ने साल 2017 की घटना के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान अराजकता फैलाया था और वे सड़कों पर बैठ गए, जिससे यातायात बाधित हुआ था। अदालत ने पाया कि ‘बीफ फेस्ट’ के बाद हुई हिंसा की जाँच के बाद छह FIR दर्ज की गई थी और ये मामले अब ट्रायल कोर्ट के समक्ष लंबित हैं।

इसको लेकर न्यायालय ने कहा, “छात्रों के अधिकार हैं, लेकिन अधिकारों का प्रयोग करने का एक तरीका है। यह सच है कि छात्रों को सही तरीके से सँभाला जाना चाहिए, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि छात्रों को निडर होने की अनुमति दी जाएँ।”

दरअसल, जनहित याचिका में कहा गया था कि साल 2017 में कुछ छात्रों ने अपने दोस्तों और बैचमेट्स को ‘बीफ फेस्ट’ के लिए आमंत्रित करते हुए एक फेसबुक पोस्ट किया था। इसमें शामिल हुए छात्रों ने पका हुआ बीफ खाया और बिक्री के लिए पशुओं की हत्या को रेगुलेट करने वाली केंद्र सरकार की अधिसूचना पर चर्चा की थी।

याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि लगभग 50 लोगों ने चर्चा में भाग लिया था और बीफ और ब्रेड खाया था। इस आयोजन के दो दिन बाद प्रतिभागियों में से एक पर छात्रों के दूसरे समूह ने हमला कर दिया था। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि छात्र को गंभीर चोटें आई हैं और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

याचिका में उन्होंने यह भी कहा कि हमलावरों की पहचान हो गई है, लेकिन आईआईटी ने कोई कार्रवाई नहीं की है। हालाँकि, उच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान कहा कि आईआईटी द्वारा दायर एक हलफनामे और अदालत के समक्ष प्रस्तुत एक पुलिस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि कॉलेज प्रबंधन ने जाँच के बाद कार्रवाई की थी।

पीठ ने कहा, “छह प्राथमिकी दर्ज की गई। निचली अदालत इस मामले की सुनवाई कर रही है। इसलिए हम मामले के गुण-दोष पर चर्चा नहीं करना चाहते और न ही इस पर अपनी टिप्पणी व्यक्त करना चाहते हैं।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया