गायों के लिए 560 किलो का छप्पन भोग, कोलकाता से राजस्थान पहुँचे परिवार ने की गौसेवा: काजू, मेवा मिठाइयाँ, सब्जी, फल सब कुछ

गौसेवा करते दिलीप और उनका परिवार (फोटो साभार: दैनिक भास्कर)

शादियों और आयोजनों में कभी-कभार सुनने में आता है कि 56 भोग बनाए गए हैं, लेकिन अगर यही 56 भोग जानवरों की सेवा के तौर पर बनाया जाए तो अचंभित करने वाला आयोजन होता है। राजस्थान के नागौर जिले से ऐसा ही मामला प्रकाश में आय़ा है, जहाँ रविवार (20 फरवरी, 2022) को एक गौशाला में गायों के लिए 560 किलो का छप्पन भोग बनाया गया। इस गौशाला में काजू, मेवा और मिठाइयों के साथ ही सब्जी, फल आदि का स्पेशल मेन्यु तैयार किया गया।

रिपोर्ट के मुताबिक, आश्चर्यचकित करने वाली यह घटना नागौर जिले के डाबड़ी गाँव स्थित संत श्री मुक्ति राम गौशाला की है। गायों के लिए इस विशेष कार्यक्रम का आयोजन कोलकाता से आए दिलीप कुमार राजगढ़िया परिवार की तरफ से किया गया। इस गौसेवा के जरिए परिवार में श्रीकृष्ण की आराधना की। पश्चिम बंगाल के कोलकाता के रहने वाले दिलीप कुमार बताते हैं कि इस गौशाला से उनका बहुत ही पुराना रिश्ता है और काफी लंबे वक्त से वो गौमाता की सेवा करना चाहते थे। दिलीप कहते हैं कि गौसेवा करके उनके परिवार को अत्यंत खुशी मिली है।

ऐसा ही गौ प्रेम में मध्य प्रदेश में भी दिखा

उल्लेखनीय है कि जिस तरह से गाय के प्रति प्रेम श्रद्धा और भक्ति का भाव नागौर की गौशाला में दिखा है। ठीक उसी तरह की गौ भक्ति या यूँ कहें कि गाय के प्रति सम्मान कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश के दमोह जिले में भी दिखा था। जिले के हटा में हाथी नाम से जानी जाने वाली गाय की मौत के बाद सैकड़ों की संख्या में लोग उमड़ पड़े और पूरे हिंदू रीति-रिवाज के साथ उस गाय की शव यात्रा निकाली। दरअसल वो गाय इतनी सीधी थी कि गौशाला में अगर किसी गाय की मौत हो जाती थी तो वो उसके बछड़ों को अपना दूध पिलाती थी। इसके अलावा छोटे बच्चे तक उसके थन में मुँह लगाकर दूध पी लेते थे। अपने इसी सीधेपन के कारण वो सभी के लिए चहेती बनी हुई थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया