49 के लिबरल नाच पर 61 सेलेब्स का पलटवार: हिन्दुओं के पलायन पर चुप, अब कर रहे नौटंकी

खुले खत के जरिए कथित बुद्धिजीवियों को सुनाई खरी-खरी

मॉब लिंचिंग के बहाने प्रधानमंत्री को पत्र लिखने वाले कथित 49 बुद्धिजीवियों को 61 सेलेब्स ने खुला खत लिखकर खरी-खरी सुनाई है। इनलोगों ने पीएम को लिखे पत्र को ‘लिबरल्स’ की नौटंकी बताते हुए ‘सेलेक्टिव गुस्सा’ और गलत नैरेटिव सेट करने की कोशिश बताया है।

साथ ही हिन्दुओं के पलायन, जेएनयू में राष्ट्रविरोधी नारेबाजी जैसी घटनाओं पर इनकी चुप्पी को लेकर सवाल उठाया है। जवाबी पत्र लिखने वाली हस्तियों में अभिनेत्री कंगना रनौत, गीतकार प्रसून जोशी, क्लासिकल डांसर सोनल मानसिंह, फिल्मकार मधुर भंडारकर जैसे नामचीन लोग शामिल हैं।

जवाबी पत्र में 61 हस्तियों ने कुछ घटनाओं का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री को खत लिखने वाले 49 लोगों से पूछा है कि वे तब क्यों चुप रहते हैं जब जय श्रीराम कहने पर लोगों को जेल में डाल दिया जाता है? जब जय श्रीराम बोलने के लिए मजबूर करने की झूठी शिकायत दर्ज करवाई जाती है? जब कैराना से हिंदू पलायन करते हैं? जब कश्मीरी पंडित घाटी से निकाल फेंके जाते हैं? जब मंदिरों को तोड़ा जाता है, जब पशु तस्कर किसानों और जवानों को मार देते हैं?

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खुले पत्र में कथित 49 बुद्धिजीवियों को देश का ‘स्वयंभू गार्जियन’ बताते हुए उनकी मंशा पर सवाल उठाया गया है। कहा गया है कि पीएम को पत्र लिखने वाले नक्सली हमलों में आदिवासियों और गरीबों के मारे जाने पर चुप थे। टुकड़े-टुकड़े गैंग पर भी इनकी जुबान नहीं खुली थी।

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पीएम को लिखे पत्र पर बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना ने कहा, “कुछ लोग अपनी हैसियत के इस्तेमाल भ्रम फ़ैलाने के लिए कर रहे हैं। लोगों को बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं कि इस सरकार में ऐसी घटनाएं हो रही है। जबकि पहली बार चीजें सही दिशा में जा रही है। हम एक बड़े बदलाव का हिस्सा बन रहे हैं। देश की बेहतरी के लिए चीजें बदलने से कुछ लोग झुंझलाहट में हैं। आम लोगों ने अपने नेताओं को चुना है। जो लोगों की इच्छा की अवहेलना करते हैं उनके मन में लोकतंत्र के लिए कोई सम्मान नहीं होता है। “

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दो दिन पहले ही कुछ अभिनेता-अभिनेत्रियों-फिल्मकार- सामाजिक कार्यकर्ता- इतिहासकार समेत विभिन्न क्षेत्रों के 49 हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखा था। इस पत्र में दलित व अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा बढ़ने का दावा करते हुए प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की माँग की गई थी। साथ ही कहा था, “अफसोस की बात है कि जय श्रीराम का इस्तेमाल आज उकसाने के लिए किया जा रहा है। यह युद्धोन्मादी और भड़काऊ नारा है। अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को राम के नाम पर डराया जा रहा है।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया