ऑर्थोडॉक्स और जैकोबाइट के बीच विवाद, दफन नहीं हो पाई 91 साल की महिला

91 वर्षीय जैकोबाइट महिला को दफ़नाने से किया इनकार,

चर्च के दो गुटों के बीच विवाद की वजह से 91 साल की एक महिला को दफनाने में अड़चन पैदा हो गई। दफनाने की विधि को लेकर मलानकारा ऑर्थोडॉक्स चर्च और जैकोबाइट सीरियन चर्च के बीच मतभेद के कारण यह स्थिति पैदा हुई। ख़बर के अनुसार, सोमवार (28 अक्टूबर) को किजाकेकेवेटिल की 91 वर्षीय महिला मरियम्मा राजन की मौत हो गई। मृतक जैकोबाइट ईसाई थी, जैकोबाइट और ऑर्थोडॉक्स ईसाइयों के बीच तनाव की स्थिति के चलते उनके अंतिम संस्कार में देरी हुई।

जैकोबाइट गुट चाहता था कि मरियम्मा के दफनाने की विधि उनके चर्च के पादरी घर पर पूरा करें। वे नहीं चाहते थे कि कब्रिस्तान में ऑर्थोडॉक्स पादरी अंतिम संस्कार की विधि को पूरा करें। सेंट मैरी चर्च ऑर्थोडॉक्स गुट के नियंत्रण में है। लिहाजा उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया। जानकारी के अनुसार, ऑर्थोडॉक्स गुट द्वारा चर्च के कब्रिस्तान में मृतका को दफ़नाने का विरोध करने के बाद पुलिस अधिकारियों और राजस्व अधिकारियों ने चर्च से 100 मीटर की दूरी पर शव यात्रा को रोक दिया। इसके बाद मृतका के परिजन अंतिम संस्कार किए बिना ही शव के साथ लौट गए।

उच्च न्यायालय के एक आदेश के अनुसार, जैकोबाइट और ऑर्थोडॉक्स गुटों के सदस्यों के पास एकसमान अधिकार हैं। हालाँकि, 1934 के संविधान के अनुसार केवल नियुक्त पादरी ही दफ़न करने की प्रक्रिया का संचालन कर सकते हैं। ज़िला कलेक्टर अदीला अब्दुल्ला ने बताया कि उन्होंने जैकोबाइट और ऑर्थोडॉक्स दोनों गुटों के साथ चर्चा की। प्रशासन के मुताबिक दोनों गुट के अपने रुख पर अड़े रहने के कारण मध्यस्थता नाकाम रही।

बताा दें कि कट्टचिरा स्थित सेंट मैरी चर्च पिछले कई महीनों से बंद था क्योंकि इसके स्वामित्व को लेकर ऑर्थोडॉक्स और जैकबाइट गुटों के बीच कई बार झड़पें हुई थीं। हालाँकि, बाद में चर्च को जुलाई में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर ऑर्थोडॉक्स गुट को सौंप दिया गया था।

पिछले साल भी इसी तरह की लड़ाई सामने आई थी। 95 वर्षीय एक व्यक्ति के शव को चर्च के कब्रिस्तान में दफ़नाने से इनकार कर दिया गया था, क्योंकि दफनाने की विधि पूरा कराने के लिए पहुॅंचा उसका पोता जैकोबाइट पादरी था। दोनों गुटों के बीच मृतकों को दफ़नाने को लेकर झगड़े कई मामले सामने आए चुके हैं। ऐसे मामलों में, मृतकों के शवों को कई दिनों तक फ्रीज (बर्फ़ में जमा) कर दिया जाता है, क्योंकि उनके परिवार के सदस्य अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के लिए कई दिनों तक संघर्ष करते रहते हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया