कर्नाटक हिजाब विवाद पर कर्नाटक HC में सुनवाई पूरी, कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित: मुस्लिम पक्ष की याचिका पर 11 दिन तक चली सुनवाई

कर्नाटक बुर्का विवाद पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई पूरी, फैसला सुरक्षित

कर्नाटक के उडुपी स्थित कॉलेज से शुरू हुए हिजाब विवाद पर जमकर हुए हंगामे के बीच एक मुस्लिम छात्रा ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर अनुमति देने के लिए कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस मसले पर 11 दिनों की लगातार सुनवाई के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जेएम खाजी की पीठ ने सुनवाई की। कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की ओर पेश हुए अधिवक्ता युसूफ मुच्छला ने तर्क देते हुए कोर्ट से शैक्षणिक संस्थानों में सिर को ढंकने देने की इजाजत देने की माँग की है। उन्होंने कहा है कि हमें ऐसा करने से रोकना सही नहीं है। वकील ने ये भी दावा किया कि इस्लामिक हदीस में भी कहा गया है कि चेहरे को ढंकने के बजाय, हिजाब पहनने की जरूरत है।

मुस्लिम पक्ष के तर्क को काउंटर करते हुए महाधिवक्ता ने कहा कि कुरान में जो कहा गया है वह अनिवार्य होते हुए भी जरूरी नहीं है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी ने कहा था कि हिजाब के मुद्दे पर सुनवाई को शुक्रवार तक समाप्त किया जाना है।

गौरतलब है कि कर्नाटक में हिजाब विवाद को बढ़ाने में सीएफआई की भूमिका सामने आई थी। पिछली सुनवाई में वकील नागानंद ने कोर्ट में कहा था कि नागानंद ने कोर्ट को बताया कि सीएफआई के लोग कॉलेज में हिजाब को अनुमति दिलवाना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि साल 2004 में कॉलेजों में यूनिफॉर्म को अनिवार्य किया गया था। तब से वही यूनिफॉर्म कॉलेज में पहनी गई। लेकिन अब सीएफआई हिजाब के लिए लोगों को भड़का रहा है। उन्होंने बताया कि सीएफआई ने कुछ शिक्षकों को भी इतना धमकाया है कि वो एफआईआर करने से डर रहे हैं।

कब से शुरू हुआ था ये विवाद

पीयू कॉलेज का यह मामला सबसे पहले 2 जनवरी 2022 को सामने आया था, जब 6 मुस्लिम छात्राएँ क्लासरूम के भीतर हिजाब पहनने पर अड़ गई थीं। कॉलेज के प्रिंसिपल रूद्र गौड़ा ने कहा था कि छात्राएँ कॉलेज परिसर में हिजाब पहन सकती हैं, लेकिन क्लासरूम में इसकी इजाजत नहीं है। प्रिंसिपल के मुताबिक, कक्षा में एकरूपता बनाए रखने के लिए ऐसा किया गया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया