495 साल बाद जन्मभूमि पर रामलला ने खेली होली, रंगोत्सव में उड़ाया गया स्पेशल गुलाल: देखिए तस्वीरें, अयोध्या और भक्त रंग से सराबोर

राम जन्मभूमि पर रंगोत्सव (फोटो साभार: ShriRamTeerth)

अयोध्या में होली इस बार बेहद खास रही। भगवान रामलला ने 495 वर्षों के बाद अपने जन्मस्थान पर भव्य महल में होली खेली। इस दौरान श्रद्धालुओं ने रंगोत्सव मनाया। रंगों का त्योहार ‘रंगोत्सव’ पहली ‘रंगभरी एकादशी’ पर राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद हनुमानगढ़ी मंदिर में भगवान को रंग लगाकर शुरू हुआ। सोमवार (25 मार्च 2024) को होली के मौके पर राम मंदिर में रामलला के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुँचे। इस विशेष मौके के लिए विशेष गुलाल भी मँगाया गया था।

अयोध्या में होली की सुबह सबसे पहले मठ मंदिरों में विराजमान भगवान को अबीर गुलाल अर्पित कर होली खेलने की अनुमति माँगी गई। इसके बाद पूरी अयोध्या रंग उत्सव के उल्लास में डूब गई। रामलला के दरबार में पुजारियों ने रामलला के ऊपर पुष्पों की वर्षा कर अपने आराध्य के साथ होली खेली। उनके राग भोग और श्रृंगार के क्रम में उन्हें अबीर गुलाल अर्पित किया गया। 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया गया। पुजारी ने भी रामलला को होली के गीत सुनाए।

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला की पहली होली के दौरान उन्हें खूब सजाया गया। माथे पर गुलाल लगाया गया। रामलला ने होली के मौके पर गुलाबी पोशाक पहनी। वहीं, राम जन्म भूमि परिसर में रामलला के दर्शन को पहुँचे श्रद्धालु भी होली के गीतों पर नाचते, झूमते, गाते नजर आए। इसी तरह पूरी रामनगरी में होली का उल्लास छाया रहा।

रामलला के लिए बनाया गया स्पेशल गुलाल

बता दें कि CSIR-NBRI के वैज्ञानिकों ने 2 खास हर्बल गुलाल तैयार किए थे, जिसमें से एक कचनार से बना है। कचनार से बना गुलाल ही रामलला को लगाया गया। कचनार को त्रेतायुग में अयोध्या का राज्य वृक्ष माना जाता था और यह हमारे आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की सुस्थापित औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल आदि गुण भी होते हैं। कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ये गुलाल दिया गया था। उन्होंने इस गुलाल को विशेष बताया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया