अजमेर दरगाह के खादिम कैसे-कैसे: कोई 100+ छात्राओं के रेप में शामिल, कोई कन्हैया के कातिल का ‘साथी’, किसी को चाहिए नूपुर शर्मा की गर्दन

अजमेर दरगाह के खादिम का अब कन्हैयाल के हत्यारे से कनेक्शन सामने आया (प्रतीकात्मक तस्वीर, साभार: ट्रिप एडवाइजर)

अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह का खादिम गौहर चिश्ती अब चर्चा में है। वजह, उसके कनेक्शन उदयपुर में कन्हैया लाल का गला काटने वालों से सामने आए हैं। वह फरार है। इसी दरगाह का एक खादिम सलमान चिश्ती राजस्थान पुलिस की गिरफ्त में है। वजह- उसे नूपुर शर्मा की गर्दन चाहिए। इतना ही नहीं दरगाह के बाहर सर तन से जुदा के नारे लगने वाले वीडियो भी सामने आए हैं।

वैसे अपराध से दरगाह के खादिमों की संलिप्तता नई नहीं है। देश के सबसे बड़े सेक्स कांड में भी दरगाह के खादिम घेरे में थे। यह घटना करीब 30 साल पुरानी है। 1992 में अजमेर में 100 से ज्यादा हिंदू लड़कियों को फँसा कर रेप किया गया। अश्लील तस्वीरों से ब्लैकमेल कर उनसे कहा गया कि वे अन्य लड़की को फँसा कर लाए। इस तरह से पूरा रेप चेन सिस्टम बनाया गया था।

फारुक चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती- इस कांड के मुख्य आरोपित थे। तीनों ही यूथ कॉन्ग्रेस के लीडर थे। फारूक उस समय इंडियन यूथ कॉन्ग्रेस की अजमेर यूनिट का अध्यक्ष था। नफीस चिश्ती कॉन्ग्रेस की अजमेर यूनिट का उपाध्यक्ष था। अनवर चिश्ती अजमेर में पार्टी का ज्वाइंट सेक्रेटरी था। साथ ही तीनों अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के खादिम भी थे। इस तरह से उनके पास राजनैतिक और मजहबी, दोनों ही ताकत थी।

बताया जाता है कि आरोपितों ने सबसे पहले एक बिजनेसमैन के बेटे के साथ कुकर्म कर उसकी अश्लील तस्वीर उतारी और उसे अपनी गर्लफ्रेंड को लाने के लिए मजबूर किया। उसकी गर्लफ्रेंड से रेप के बाद उसकी अश्लील तस्वीरें निकाल ली और लड़की को अपनी सहेलियों को लाने के लिए कहा गया। फिर तो यह सिलसिला ही चल पड़ा। बाद में तो पुलिस ने भी माना कि उन्होंने जानबूझकर खादिमों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की, क्योंकि उन्हें डर था कि इससे सांप्रदायिक तनाव फैल जाएगा।

एक के बाद एक लड़की के साथ रेप करना, न्यूड तस्वीरें लेना, ब्लैकमेल कर उसकी भी बहन/ सहेलियों को लाने के लिए कहना और उन लड़कियों के साथ भी यही घृणित कृत्य करना- इस चेन सिस्टम में 100 से ज्यादा लड़कियों के साथ भी शर्मनाक कृत्य किया।

उस जमाने में आज की तरह डिजिटल कैमरे नहीं थे। रील वाले थे। फोटो निकालने के लिए जिस स्टूडियो में दिया गया वह भी चिश्ती का दोस्त और मुस्लिम समुदाय का ही था। उसने भी एक्स्ट्रा कॉपी निकाल लड़कियों का शोषण किया। ये भी कहा जाता है कि स्कूल की इन लड़कियों के साथ रेप करने में नेता और सरकारी अधिकारी भी शामिल थे। आगे चलकर ब्लैकमैलिंग में और भी लोग जुड़ते गए।

अजमेर शरीफ दरगाह के खादिम चिश्ती परिवार का खौफ इतना था कि जिन लड़कियों की फोटो खींची गई थीं, उनमें से कइयों ने सुसाइड कर लिया। ये लड़कियाँ किसी गरीब या मिडिल क्लास बेबस घरों से नहीं, बल्कि अजमेर के जाने-माने रसूखदार घरों से आने वाली बच्चियाँ थीं। मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरो सिंह शेखावत की सरकार ने इसकी जाँच सीबी-सीआईडी को सौंप दी। हालाँकि तब तब तक काफी देर हो चुकी थी। शुरुआत में 18 आरोपितों के खिलाफ जाँच शुरू की गई थी। 30 साल पुराने इस केस में संपूर्ण न्याय मिलना अभी भी बाकी है। सेशन कोर्ट ने 1998 में 8 आरोपितों को आजीवन कारावास की सज़ा तो सुनाई लेकिन इसके 3 सालों बाद 2001 में राजस्थान हाईकोर्ट ने इनमें से 4 को बरी कर दिया। इस कांड से जुड़े 10 दोषी तो जेल की सलाखों के पीछे पहुँच चुके हैं, लेकिन कई अभी भी बाहर घूम रहे हैं।

मुख्य आरोपित फारूक चिश्ती को 2007 में सजी सुनाई गई थी, लेकिन उसे सिजोफ्रेनिया की बीमारी के बाद मानसिक रूप से विक्षिप्त घोषित कर दिया गया। नफीस को 2003 में गिरफ्तार किया गया था। इकबाल भाटी भी बेल पर बाहर है। सलीम चिश्ती को उस घटना के 20 साल बाद 2012 में गिरफ्तार किया गया था। वह बुर्के में पकड़ा गया था। सोहेल गनी चिश्ती ने साल 2018 में आत्मसमर्पण किया था। 

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया