सभी सिख अपना अलग खालिस्तान चाहते हैं: ऑपरेशन ब्लूस्टार की वर्षगाँठ पर अकाल तख्त जत्थेदार की माँग

गोबिंद सिंह लोंगोवाल, ज्ञानी हरप्रीत सिंह, ज्ञानी रघबीर सिंह (लेफ्ट से राइट) (साभार:हिंदुस्तान टाइम्स)

अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने शनिवार (6 जून,2020) को खालिस्तान के मुद्दे पर तंज कसते हुए कहा कि सभी सिख एक अलग खालिस्तान का सपना देखते हैं और वे खुशी से अलग खालिस्तान स्वीकार कर लेंगे अगर सरकार उन्हें एक करने की पेशकश करती है।

ऑपरेशन ब्लू स्टार की 36 वीं वर्षगाँठ पर अकाल तख्त प्रमुख द्वारा विवादास्पद टिप्पणी आई। बता दें यह ऑपरेशन भारतीय सेना द्वारा 1 और 8 जून, 1984 के बीच दरबार साहिब परिसर के अंदर छिपे भारी हथियारों से लैस आतंकियों को काबू करने के लिए चलाया गया था।

शनिवार को सिखों की सबसे अस्थाई सीट, अकाल तख्त में वार्षिक समारोह के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान सिखों के लिए एक अलग खालिस्तान का विवादास्पद मुद्दा उठाया।

खालिस्तान के पक्ष में उठाए जा रहे नारों पर पूछे गए सवालों के जवाब में सिंह ने कहा, “अगर समारोह के बाद कट्टरपंथी सिखों द्वारा खालिस्तान के पक्ष में नारे लगाए गए तो इसमें कोई बुराई नहीं है। अगर सरकार हमें खालिस्तान ऑफर करती है, तो हमें और कुछ नहीं चाहिए। हम इसे स्वीकार करेंगे क्योंकि हर सिख इसे चाहता है।”

हालाँकि, सिंह ने बाद में कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के आधिकारिक समारोह के दौरान इस तरह के नारे नहीं लगाए जाने चाहिए।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) के अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल ने भी सिंह के विचारों का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “यदि सरकार हमें खालिस्तान पेश करती है तो हम इसे स्वीकार करेंगे।”

दिन की शुरुआत में ऑपरेशन ब्लूस्टार में मारे गए लोगों की याद में तख्त में भोग समारोह, अरदास और कीर्तन किया गया।

सूत्रों के अनुसार, कड़ी सुरक्षा के बीच समारोह आयोजित किया गया और मीडिया को स्वर्ण मंदिर परिसर के अंदर कार्यक्रम को कवर करने की अनुमति नहीं दी गई।

कथित तौर पर पुलिस ने विभिन्न सिख संगठनों के कार्यकर्ताओं को रोकने की कोशिश भी की। जो सोशल डिस्टेंसिंग के निर्देशों का उल्लंघन कर गोल्डन टेम्पल में अपने लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए सुबह जल्दी पहुँचने की कोशिश कर रहे थे। हालाँकि, वे पुलिस कर्मियों के साथ तीखी बहस करने के बाद परिसर के अंदर जाने में कामयाब रहे।

बता दें स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार पर सुरक्षाबलों द्वारा सिमरनजीत सिंह मान के पुत्र इमान सिंह मान को सेना द्वारा रोके जाने के बाद शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के समर्थकों और पुलिस के बीच मामूली हाथापाई भी हुई। लेकिन प्रदर्शन के बाद उन्हें मंदिर के अंदर जाने की अनुमति दी गई।

कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए स्वर्ण मंदिर परिसर के बाहर 5,000 पुलिस बलों की तैनाती की गई थी। मंदिर के अंदर प्रवेश करने वाले श्रद्धालुओं के लिए पुलिस के साथ-साथ कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए स्वास्थ्य टीम को भी घटनास्थल पर तैनात किया गया था।

हालाँकि, SGPC टास्क फोर्स और सादे कपड़ों में मौजूद पुलिस द्वारा स्वर्ण मंदिर परिसर के अंदर सोशल डिस्टेंसिग का पालन नहीं कराया जा सका।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया