CM गहलोत के कार्यकाल में हुआ था ‘द्रौपदी का चीरहरण’: पति को बंधक बना दलित महिला के साथ गैंगरेप में 4 दोषियों को आजीवन कारावास

थानागाजी गैंगरेप के मामले में अशोक गहलोत की सरकार पर लगे थे लापरवाही के आरोप

राजस्थान के अलवर स्थित थानागाजी गैंगरेप मामले में एससी-एसटी कोर्ट ने सभी 5 आरोपितों को दोषी करार दिया है। मंगलवार (अक्टूबर 6, 2020) को स्पेशल कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया। ये मामला अप्रैल 26, 2019 का है, जब एक 19 वर्षीय दलित महिला का उसके पति के सामने ही इन पाँचों ने गैंगरेप किया था। इस मामले में राजस्थान की पुलिस ने FIR तक दर्ज करने में भी काफी देरी की थी।

इस मामले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत स्पेशल कोर्ट द्वारा सुनवाई की जा रही थी। पाँच आरोपितों छोटे लाल (22), हंस लाल गुर्जर (20), अशोक कुमार गुर्जर (20), इंद्रज सिंह गुर्जर (22) और एक नाबालिग के खिलाफ आईपीसी की धारा-147 (दंगेबाजी), 149 (गैर-क़ानूनी ढंग से जुटान), 323 (जानबूझ कर चोट पहुँचाना), 327 (जबरन वसूली और नुकसान), 341 (सदोष अवरोध), 354B (महिला का सम्मान भंग करना), 365 (गुप्त रूप से अपहरण), 376D (गैंगरेप), 384 (रंगदारी), 395 (डकैती) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामले दर्ज किए गए थे।

साथ ही इस मामले में एससी-एसटी एक्ट और आईटी एक्ट की धाराएँ भी लगाई गई थीं। इस घटना के बाद पूरे देश में आक्रोश का माहौल बन गया था और 2019 लोकसभा से पहले चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बसपा प्रमुख मायावती ने राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार की निंदा की थी। अशोक गहलोत दिसंबर 2018 में तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने थे। देश भर में उनकी किरकिरी हुई थी।

आरोपितों ने इस गैंगरेप का वीडियो भी शूट कर के वायरल कर दिया था, जिसके बाद जनता का आक्रोश और बढ़ गया था। पीड़िता के पति को आरोपित तीन घंटे तक पीटते रहे थे और एक आरोपित वीडियो बना रहा था। मई 2, 2019 को वीडियो वायरल होने के बाद थानागाजी के इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी। इस मामले में 32 गवाह पेश किए गए थे। एक नाबालिग की सुनवाई डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज की अदालत में चल रही थी

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अंत में अशोक गहलोत सरकार ने अलवर के एसपी और थानागाजी के एसएचओ को निलंबित कर दिया था। जून 7, 2019 को SHO के खिलाफ अपनी ड्यूटी करने में विफल रहने के कारण 166A(C) के तहत FIR दर्ज की गई। इस मामले के सम्बन्ध में सारी सूचनाएँ व सबूत होने के बावजूद उन्होंने मामला दर्ज नहीं किया था। एसपी ने घटना के 24 घंटे बाद भी घटनास्थल का दौरा नहीं किया था।

पुलिस की जाँच में उन्हें क्लीनचिट दे दी गई थी लेकिन बाद में हुए प्रशासनिक जाँच में उन्हें लापरवाही का दोषी पाया गया था। जयपुर डिविजनल कमिश्नर वर्मा ने इस मामले में प्रशासनिक जाँच की थी। सर्कल अधिकारी जगमोहन शर्मा को चार्जशीट दायर होने के बाद जिले से बाहर भेज दिया गया था। अन्य पुलिस अधिकारियों को भी जयपुर पुलिस रेंज से बाहर ट्रांसफर कर दिया गया था। अब सभी आरोपित दोषी पाए गए हैं। 4 आरोपितों को आजीवन कारावास और एक को आईटी एक्ट के तहत 5 साल जेल की सज़ा दी गई। कोर्ट ने कहा है कि ये घटना ‘द्रौपदी के चीरहरण’ जैसी है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी अलवर, राजस्थान दुष्कर्म प्रकरण का संज्ञान लेते हुए राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया था। आयोग ने मामले में पुलिस की निष्क्रियता पर मुख्य सचिव और डीजीपी से रिपोर्ट माँगी थी। वहीं, आयोग ने प्रदेश सरकार को आदेश देते हुए कहा था कि पूरे प्रकरण की 6 सप्ताह में रिपोर्ट पेश करें। पीड़िता अपने पति के साथ बाइक पर सवार होकर दोपहर 3 बजे तालवृक्ष जा रही थी, तभी थानागाजी-अलवर बाइपास रोड पर उनकी बाइक के सामने 5 युवकों ने अपनी मोटरसाइकिलें लगा दी थी।

इसके बाद वे महिला एवं उसके पति को रेत के टीलों की तरफ ले गए। वहाँ उन्होंने पति के साथ मारपीट की और दंपति को बंधक बना लिया। पाँचों युवकों ने इसके बाद दोनों पति-पत्नी के कपड़े उतरवाए। पति के साथ मारपीट की। पीड़िता के साथ भी मारपीट की और रेप की कोशिश की। शुरुआत में जब पीड़िता ने रेप की कोशिश का विरोध किया तो उसके पति को और मारा गया। अंततः पीड़िता ने अपने पति की रक्षा के लिए हार मान ली। इसके बाद उन दरिंदों ने 3 घंटे तक बारी-बारी से पीड़िता के साथ रेप किया। 11 वीडियो क्लिप भी बनाए। 

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया