‘गुजरात की सभी मस्जिदों से उतरे भोंपू’: हिंदुओं के विरोध के बाद अंबाजी की हवनशाला में लाउडस्पीकर के उपयोग पर लगा प्रतिबंध वापस

अंबाजी मंदिर में लाउडस्पीकर से प्रतिबंध हटा

हिंदू समाज के लोगों द्वारा विरोध दिखाने के बाद अंबाजी प्रशासन ने मंदिर के हवनशाला में लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाने वाले आदेश को वापस ले लिया है। शनिवार (18 दिसंबर 2021) को कच्छ संत समाज अध्यक्ष योगी देवनाथ ने ट्विटर पर इस संबंध में ट्वीट करके इस विरोध प्रदर्शन के बारे में बताया था।

योगी देवनाथ द्वारा शेयर किए गए प्रशासन के पत्र में लिखा था कि अंबाजी मंदिर की हवनशाला में ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए लाउडस्पीकरों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, क्योंकि इससे आसपास के लोगों को परेशानी हो रही थी। पत्र के साथ किए गए ट्वीट में योगी देवनाथ ने कहा था कि अगर आदेश वापस नहीं लिया गया तो गुजरात की सभी मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकरों को बंद कर दिया जाएगा।

प्रशासन द्वारा 18 दिसंबर को जारी पत्र में कहा गया था कि जिस हवनशाला में लाउडस्पीकर हैं वहाँ कई याज्ञनिक कार्य और अन्य समारोह भक्तों द्वारा किए जाते हैं। इन लाउडस्पीकर्स के कारण नजदीकी ग्रामीणों को दिक्कत होती है। इसके अलावा यह अंबाजी मंदिर कार्यालय के हर कार्य में भी परेशानी देते हैं इसलिए तत्काल प्रभाव से यहाँ लाउडस्पीकर बैन किया जाता है।

हालाँकि हिंदू समाज की नाराजगी के बाद मंदिर प्रशासन ने अपने आदेश को वापस ले लिया। दिव्य भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार हवनशाला में 14 स्थान हैं जहाँ हवन/यज्ञ किए जा सकते है। ऐसे में वहाँ कई यज्ञ होते थे और एक साथ कई यज्ञ होने से समस्या उत्पन्न होती थी।

बता दें कि 18 दिसंबर को लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाने का आदेश पारित किया गया। हालाँकि, आक्रोश के बाद जब हिंदू समुदाय ने कहा कि इससे उनकी भावनाएँ आहत हो रही हैं, तो लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाने का आदेश वापस ले लिया गया। हवन करते समय कोई व्यवधान न हो, इसके लिए वक्ताओं की संख्या कम करने का निर्णय लिया गया है।

उल्लेखनीय है कि अंबाजी मंदिर, गुजरात के बनासकांठा क्षेत्र में हिंदुओं के लिए एक तीर्थ स्थान है। ये 51 शक्तिपीठों में से एक है। हर साल लाखों तीर्थयात्री मंदिर में आते हैं। इस मंदिर का हर पूर्णिमा और नवरात्रि में विशेष महत्व होता है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, सभी शक्तिपीठ देवी सती के देह त्यागने के बाद अस्तित्व में आए थे। जब दुःख और पीड़ा से भरे भगवान शिव ने उनके शरीर को हाथों में ले लिया और पूरे ब्रह्मांड में घूमते रहे, तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से शरीर को टुकड़ों में काट दिया ताकि वे पृथ्वी पर गिरें और लोग उससे प्रार्थना कर सकें। देवी सती के हृदय का एक हिस्सा अंबाजी में गिरा और वहीं पर ये मंदिर है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया