क्रिकेट खेलते बच्चों को कुछ दिखा, गाँव वालों ने हटाई मिट्टी तो निकले नंदी महाराज: पुरातत्व विभाग ने मंदिर के संग्रहालय में स्थापित करवाया

विदिशा में मिली नंदी की प्राचीन प्रतिमा (फोटो साभार : दैनिक भास्कर)

मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में नंदी महाराज की प्राचीन प्रतिमा मिली है। प्रतिमा को लेकर ग्रामीणों ने प्रशासन व पुरातत्व विभाग को जानकारी दी थी। इसके बाद पुरातत्व विभाग ने मौके पर पहुँचकर खुदाई करवाई। फिर प्रतिमा को स्थानीय मंदिर के संग्रहालय में रखवा दिया।

दैनिक भास्कर‘ की रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार (09 मार्च 2023) को विदिशा जिले के गंजबासौदा तहसील अंतर्गत उदयपुर गाँव में बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे। इसी दौरान एक बच्चे को प्रतिमा का ऊपरी हिस्सा दिखाई दिया। बच्चों ने स्थानीय ग्रामीणों को प्रतिमा के विषय में जानकारी दी। इस पर, ग्रामीणों ने मौके पर पहुँचकर मिट्टी हटाई तो उन्हें पता चला कि यह प्रतिमा नंदी महाराज की है।

इसके बाद ग्रामीणों ने प्रतिमा मिलने की सूचना प्रशासन तथा पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को व इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज यानी इंटेक को दी। सूचना के आधार पर पुरातत्व विभाग की टीम शुक्रवार (10 मार्च, 2023) को मौके पर पहुँची। जहाँ खुदाई कर प्रतिमा को निकाला गया। फिर साफ-सफाई के बाद नंदी महाराज की इस प्राचीन प्रतिमा को स्थानीय पिसनहारी मंदिर के संग्रहालय में सुरक्षित रखवा दिया। खुदाई के दौरान प्राचीन समय में उपयोग किए जाने वाले दीपक तथा बर्तनों के भी अवशेष मिले हैं। इन अवशेषों को भी आवश्यक जाँच के लिए सुरक्षित रखवाया गया।

प्रतिमा मिलने को लेकर जिला पुरातत्व अधिकारी नम्रता यादव का कहना है कि सूचना मिलने के बाद पुरातत्व विभाग की टीम मौके पर गई थी। प्रतिमा को निकलवाकर सुरक्षित स्थान पर रखवाया गया है। यह प्रतिमा काफी प्राचीन और सुंदर है। विभाग के अन्य अधिकारियों को जानकारी दी गई है। आवश्यक निर्देश के आधार पर आगे की कार्यवाही की जाएगी।

उदयपुर गाँव के ग्रामीणों द्वारा ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि नंदी महाराज की इस प्रतिमा के आसपास कभी प्राचीन मंदिर रहा होगा। ऐसे में यदि आसपास के इलाकों में खुदाई की जाए तो संभव की नीचे कोई प्राचीन मंदिर या उसके अवशेष मिल सकते हैं।

बता दें कि गंजबासौदा तहसील से करीब 16 किलोमीटर दूर स्थित उदयपुर गाँव को काफी प्राचीन माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि 10वीं-11वीं शताब्दी में राजा उदय आदित्य के शासन में यह गाँव मुख्य धार्मिक केंद्र रहा। यह गाँव प्राचीन नीलकंठेश्वर शिव मंदिर तथा नटराज की विशालतम प्रतिमा के लिए जाना जाता है।

बता दें कि इससे पहले भी यहाँ कई प्राचीन मूर्तियाँ मिल चुकीं हैं। मार्च 2022 में यहाँ 9 मीटर लंबी और 4 मीटर चौड़ी नटराज प्रतिमा मिली थी। इस प्रतिमा को खंभा समझकर छोड़ दिया गया था। हालाँकि बाद में इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज यानी इंटेक ने इस खंभे को सीधा कर दुनिया की सबसे बड़ी नटराज प्रतिमा होने का दावा किया था। वहीं, करीब 11 साल पहले केवटन नदी के किनारे बसे सुनारी गाँव में वराह की प्रतिमा नदी में रेत खुदाई के दौरान मिली थी। प्रशासन ने बाद में इसे पुरातत्व विभाग को सौंप दिया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया