‘ड्रग माफिया’ बयान पर बाबा रामदेव ने दी सफाई, FAIMA के लीगल नोटिस को भी बताया गलत

बाबा रामदेव (फोटो साभार: New Indian Express )

एलोपैथी विवाद के बीच बाबा रामदेव ने बयान दिया था कि उनकी लड़ाई IMA से नहीं बल्कि ड्रग माफिया से है जो इलाज के नाम पर बेवजह के टेस्ट कराते हैं और दवाइयों को महँगे दामों पर बेचते हैं। आज इसी बयान पर सफाई जारी करते हुए बाबा रामदेव ने इस मामले को जनऔषधि केंद्र से जोड़कर समझाया। साथ ही FAIMA के लीगल नोटिस पर उन्हें जवाब देकर उसे वापस लेने की सलाह दी।

बाबा रामदेव ने अपने हालिया ट्वीट में कुछ दवाइयों की लिस्ट को उनके असली कीमत और बाजार में बिकने वाली कीमतों के साथ प्रस्तुत करते हुए लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जनऔषधि केंद्र इसलिए खोलने पड़े, क्योंकि कुछ लोग मूल औषधियों को ब्रांडेड के नामपर कई गुना ज्यादा दामों पर बेचकर आर्थिक शोषण कर रहे थे। आपके संज्ञान हेतु हम कुछ औषधियों की मूल्य सूची प्रस्तुत कर रहे हैं। इसी वेदना से पीड़ित व द्रवित होकर हमने ड्रग माफिया कहा।”

https://twitter.com/yogrishiramdev/status/1402245126777237506?ref_src=twsrc%5Etfw

बता दें कि बाबा राम देव ने एक न्‍यूज चैनल से बातचीत में कहा था– “मेरी लड़ाई उन ड्रग माफिया के खिलाफ है जो गैर जरूरी ऑपरेशन करते हैं, गैर जरूरी टेस्‍ट करते हैं। ये मैं नहीं कहता। मेदांता हॉस्पिटल के हेड डॉक्‍टर नरेश त्रेहान और एम्‍स के डायरेक्‍टर डॉक्‍टर रणदीप गुलेरिया भी यही कहते हैं।” बाबा ने कहा था कि वह आईएमए के खिलाफ नहीं है। आईएमए को अपनी राजनीति चलानी है, डॉक्‍टरों के बीच नेतागिरी करनी है तो उनके साथ लड़ाई का कोई सवाल ही नहीं है। आईएमए को वह गंभीरता से नहीं लेते।

इसके अलावा दवाओं और डॉक्टरों के ख़िलाफ़ उनकी टिप्पणी पर फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन द्वारा भेजे गए कानूनी नोटिस का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें कोई योग्यता नहीं है। वह बोले कि यह नोटिस अधूरी जानकारी और एक घंटे की लंबी बैठक के वीडियो के एक खंड पर आधारित है।

हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, रामदेव ने फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (FAIMA) के नोटिस के जवाब में कहा, “आपके द्वारा जारी किया गया नोटिस पूरी तरह से गलत है, योग्यता से रहित है और अधूरी जानकारी के आधार पर जारी किया गया है। इसलिए आपको सलाह दी जाती है कि आप अपना नोटिस तुरंत वापस ले लें।”

बाबा रामदेव ने नोटिस के जवाब में कहा कि उनके बयानों को संदर्भ से बाहर ले जाया गया। वह केवल प्रयोगात्मक चिकित्सा के अत्यधिक उपयोग पर सवाल उठा रहे थे। उन्होंने बताया कि इससे पहले भी कई चिकित्सा विशेषज्ञों ने भी प्रायोगिक उपचारों के अति प्रयोग के बारे में चिंता व्यक्त की है और उनमें से कई को बाद में उपचार प्रोटोकॉल से हटा दिया गया था।

वहीं FAIMA के महासचिव सुवरंकर दत्ता ने कहा है कि वे अब इस मामले में कानूनी राय लेंगे। उन्होंने कहा, “हम अपनी अगली कार्रवाई का फैसला करने के लिए आईएमए और अन्य डॉक्टर संघों के साथ मिलकर काम करेंगे। डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा और स्व-घोषित आध्यात्मिक नेताओं द्वारा आधुनिक चिकित्सा के खिलाफ व्यवस्थित गलत सूचना अभियानों को रोकने सहित प्रमुख मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए हम इस सप्ताह सभी प्रमुख संघों की एक राष्ट्रव्यापी बैठक शुरू करेंगे।’

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया