12 साल की उम्र में बांग्लादेश से भारत में घुसी रोनी बेगम, 15 साल से ‘पायल घोष’ बनकर रह रही थी: हिंदू पहचान के साथ बनवा लिए सारे दस्तावेज

15 साल से हिंदू बनकर रह रही बांग्लादेशी महिला गिरफ्तार (फोटो साभार: TimesNow)

कर्नाटक पुलिस ने बांग्लादेश की एक ऐसी महिला को पकड़ा है जो भारत में 15 साल से हिंदू बनकर रह रही थी। 27 वर्षीय इस महिला को बेंगलुरु के बाहरी इलाके से फॉरेनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफ इंडिया (FRRO) के इनपुट के आधार पर गिरफ्तार किया गया। पुलिस के अनुसार, वह बांग्लादेश के नारेल जिले की रहने वाली है। उसे 25 जनवरी को बेंगलुरु में उसके किराए के घर से गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बताया है कि तीन महीने की तलाशी अभियान के बाद उसे गिरफ्तार किया गया है।

गिरफ्तार बांग्लादेशी महिला की पहचान रोनी बेगम के रूप में हुई है। उसने अपना नाम पायल घोष रख लिया और मंगलुरु के एक डिलीवरी एक्जीक्यूटिव नितिन कुमार से शादी कर ली। महिला की गिरफ्तारी के बाद से उसका पति फरार है। पुलिस अब नितिन की तलाश कर रही है। रोनी बेगम 12 साल की उम्र में भारत आ गई थी। उसने मुंबई के एक डांस बार में काम किया। इस दौरान उसने अपना नाम बदलकर पायल घोष रख लिया और दावा किया था कि वह एक बंगाली है।

इसी दौरान उसे नितिन से प्यार हो गया और फिर दोनों ने शादी कर ली। शादी के बाद वे 2019 में बेंगलुरु के अंजननगर इलाके में रहने लगे। रोनी ने दर्जी का काम शुरू किया। मुंबई में रहते उसने पैन कार्ड बनवाया। बाद में नितिन ने बेंगलुरु में अपने दोस्त की मदद से आधार कार्ड बनवाने में कामयाबी हासिल की।

रोनी पुलिस की नजर में तब आई जब उसने अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए बांग्लादेश जाने का फैसला किया था। वह कोलकाता गई और वहाँ से उसने ढाका पहुँचने की योजना बनाई। इसी दौरान माइग्रेशन अधिकारियों को उसके पासपोर्ट पर संदेह हुआ और उन्होंने उसे जब्त कर लिया। उसे देश से नहीं जाने के लिए कहा गया। 2020 में इस घटना की जाँच के दौरान उसका बयान दर्ज किया गया था। लेकिन उसे गिरफ्तार नहीं किया था। बाद में जाँच के दौरान उसके अवैध बांग्लादेशी अप्रवासी होने की बात सामने आई।

इसके बाद FRRO ने बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर को उसके बारे में सूचित किया। इस संबंध में ब्यादरहल्ली पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। डीसीपी वेस्ट संजीव पाटिल ने बताया कि फर्जी पैन कार्ड, आधार कार्ड और वोटर आईडी दिलाने में मदद करने वाले लोगों का पता लगाने के लिए जाँच की जा रही है। 

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया