आजादी के बाद पहली बार लद्दाख में बटालिक, आर्यन घाटी के गाँवों को होगी निर्बाध बिजली आपूर्ति: PM मोदी ने पूरा किया सपना

बटालिक सेक्टर (साभार: traveltwosome.com)

देश को आजादी मिलने के बाद से अँधेरे में डूबे रहे लद्दाख के कारगिल जिले की आर्यन घाटी में अब जाकर रौशनी पहुँची है। 75वें स्वतंत्रता दिवस से पहले राज्य की ट्रांसमिशन यूटिलिटी पावरग्रिड द्वारा आर्यन वैली को इलेक्ट्रिसिटी से जोड़ दिया गया है। इससे अब कारगिल जिले में आर्यन घाटी के दूरदराज के गाँव राष्ट्रीय बिजली नेटवर्क से जुड़ गए हैं। ऐसा होने से अब ये क्षेत्र 24X7 बिजली आपूर्ति का आनंद ले सकेंगे। इससे पहले तक यहाँ के लोग डीजल जेनरेटर से मिलने वाली बिजली पर ही निर्भर थे, जिससे यहाँ के लोगों को शाम को केवल 5-6 घंटे बिजली मिलती थी।

ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए प्रधानमंत्री विकास कार्यक्रम के तहत भारत सरकार के बिजली बोर्ड ने लालुंग, सिल्मू, बटालिक, दारचिक, हरदास, सिनिकसी, गारकोन और लालुंग से दारचिक के बीच के गाँवों को जोड़ने वाली 40 किलोमीटर की ट्रांसमिशन लाइन को चालू कर दिया गया है। ऐसा होने से कारगिल जिले की आर्यन घाटी के सभी गाँव अब 220 केवी श्रीनगर-लेह ट्रांसमिशन लाइन के जरिए नेशनल ग्रिड से जुड़ गए हैं। बता दें कि बटालिक 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान अपनी रणनीतिक स्थिति के कारण फोकस क्षेत्रों में से एक था।

नेशनल पॉवर ग्रिड से जुड़ने के कारण इन गाँवों में अब सप्ताह के सातों दिन और चौबीसों घंटे बिजली रहेगी। इसका फायदा यह होगा कि यहाँ के पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही यहाँ के लोगों की जीवन शैली में भी सुधार आएगा। इसके अलावा यहाँ खाद्य प्रसंस्करण के उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा।

आर्यन वैली के लोगों का यह सपना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जनवरी 2019 में श्रीनगर-लेह ट्रांसमिशन लाइन के उद्घाटन के कारण अब हकीकत हो गया है। आजादी के 70 साल बीतने के बाद एनडीए के कार्यकाल में लद्दाख को राष्ट्रीय बिजली नेटवर्क से जोड़ने के लिए 350 किमी लंबी 220-केवी लाइन खींची गई थी। इस नेटवर्क के कारण ‘वन नेशन, वन ग्रिड, वन फ्रीक्वेंसी’ अब वास्तविकता का रूप ले रही है। इस लाइन को लद्दाख में ग्रामीण विद्युतीकरण का आधार बताया जा रहा है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि हाल ही में लद्दाख के दूर-दराज के गाँवों को पॉवर ग्रिड से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार ने 1309.71 करोड़ रुपए के इंटर स्टेट ट्रांसमिशन के कार्यों को मंजूरी दी थी। मोदी सरकार की इस परियोजना में डी/सी टावर की 220 केवी एस/सी ट्रांसमिशन लाइनें (कुल 307 किमी), कारगिल-पदुम (ज़ांस्कर) (207 किमी) और फ्यांग से डिस्किट (नुब्रा) (100 किमी) व दो 220/33 केवी ग्रिड सबस्टेशन – डिस्किट, नुब्रा (50 एमवीए) और पदुम, ज़ांस्कर (50 एमवीए) की ट्रांसमिशन लाइन शामिल हैं। इन सभी की संयुक्त लागत 1309.71 करोड़ रुपए है।

लद्दाख के उप राज्यपाल आरके माथुर 29 मई 2021 को इस परियोजना को मंजूरी मिलने पर कहा था, “ये ट्रांसमिशन लाइनें दूर-दराज के गाँवों को ग्रिड से जोड़ेंगी और दूर-दराज के गाँवों में उपयोग किए जाने वाले डीजी सेटों को चरणबद्ध तरीके से बाहर करेगी। इस तरह से कार्बन मुक्त लद्दाख की दिशा में यह एक और कदम होगा। इससे सेना और दूर-दराज के गाँवों को चौबीसों घंटे स्वच्छ बिजली मिलेगी।”

इतना ही नहीं मोदी सरकार ने अपनी स्वच्छ ऊर्जा पहल के तहत लद्दाख और कारगिल में क्रमशः 5,000 मेगावाट और 2,500 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजनाएँ भी स्थापित करने फैसला किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, लद्दाख में 5,000 मेगावाट सौर ऊर्जा स्थापित करने की प्रस्तावित योजना के कारण यह स्थान दुनिया का सबसे बड़ा सौर फोटोवोल्टिक संयंत्र बन जाएगा। इन सौर परियोजनाओं को लद्दाख और कारगिल में वर्ष 2023 तक 45,000 करोड़ रुपए की अनुमानित निवेश के जरिए पूरा किया जाएगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया