गौतम नवलखा को जमानत देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, तलोजा जेल में बंद है भीमा-कोरेगाँव हिंसा का आरोपित

सुप्रीम कोर्ट ने गौतम नवलखा की जमानत याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने भीमा-कोरेगाँव हिंसा मामले में आरोपित गौतम नवलखा की डिफॉल्ट जमानत याचिका बुधवार (मई 12, 2021) को खारिज कर दी। उसने वैधानिक जमानत की गुहार लगाते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने इस मामले में 26 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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नवलखा ने अपनी याचिका में कहा था कि राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने 90 दिन की तय अवधि में चार्जशीट नहीं दाखिल की, इसलिए जमानत का आधार बनता है। उसने 19 फरवरी को हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। 

बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि नवलखा की 34 दिन के हाउस अरेस्ट को जेल में बिताई गई अवधि नहीं माना जा सकता। हाई कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान नवलखा ने कहा था कि हाउस अरेस्ट की अवधि को हिरासत अवधि के रूप में गिनी जानी चाहिए। आदेश में कहा गया था कि दिल्ली हाई कोर्ट उसकी नजरबंदी को पहले ही वैध बता चुकी है। लिहाजा उसे गिरफ्तारी की अवधि में नहीं जोड़ा जा सकता है।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने आठ फरवरी को नवलखा की जमानत याचिका खारिज की थी। हाई कोर्ट में उसने एनआईए की विशेष अदालत के फैसले को को चुनौती दी थी। लेकिन हाई कोर्ट ने कहा था कि विशेष अदालत के फैसले में दखल देने का कोई उचित कारण दिखाई नहीं दे रहा।

गौतम नवलखा के खिलाफ जनवरी 2020 में दोबारा FIR फाइल की गई थी। उसने पिछले साल 14 अप्रैल को NIA के समक्ष सरेंडर किया था। उसे 25 अप्रैल तक 11 दिनों के लिए NIA की हिरासत में रखा गया। इसके बाद से वह नवी मुंबई के तलोजा जेल में न्यायिक हिरासत में रखा गया है। 

पुलिस के आरोपों के अनुसार, कुछ कार्यकर्ताओं ने 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में एल्गार परिषद कार्यक्रम में कथित रूप से उत्तेजक और भड़काऊ भाषण दिए थे, जिनके कारण अगले दिन जिले के भीमा-कोरेगाँव में हिंसा भड़की थी। पुलिस ने यह भी आरोप लगाया था कि इस कार्यक्रम को कुछ माओवादी संगठनों का समर्थन प्राप्त था। इस मामले में कई अन्य कार्यकर्ता और वकील भी जेल में बंद हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया