14 मुस्लिमों से शुरू हुआ, 75 साल में बन गया 10 लाख+ का जमावड़ा: भोपाल के इज्तिमा में 5000 जमातें, मस्जिद से निकल 300 एकड़ में फैला

भोपाल के इज्तिमा की तस्वीर (फोटो साभार: दैनिक भास्कर)

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आज (21 नवंबर 2022) मुस्लिमों के सबसे बड़े मजहबी आयोजनों में से एक इज्तिमा का आखिरी दिन था। इस दौरान यहाँ 5 हजार जमातें शामिल हुईं, वहीं 10 लाख से ज्यादा लोगों ने इसमें शिरकत की। पूरा कार्यक्रम 300 एकड़ एरिया में बने पंडाल में 18 नवंबर से 21 नवंबर तक आयोजित किया गया। इसके चलते चार दिन तक नगर निगम की टीमें अलर्ट मोड पर रहीं। आखिरी दिन 29 मिनट की दुआ के बाद इसका समापन हुआ। सबने मौलाना साद के साथ आमीन बोला और भीड़ धीरे-धीरे निकलना शुरू हुई।

3 देशों में होता है इज्तिमा का आयोजन

बता दें कि दुनिया में सिर्फ 3 देश ही इज्तिमा का आयोजन कराते हैं। इनमें पहला भारत, दूसरा पाकिस्तान और तीसरा बांग्लादेश है। कोरोना के कारण इस कार्यक्रम का आयोजन पिछले 2 साल से नहीं हो रहा था। यही वजह है कि जब इस साल इसका आयोजन हुआ तो पहले दिन इस कार्यक्रम में 1 हजार जमातें ही शामिल हुईं लेकिन आखिरी दिन तक यह संख्या 5 हजार तक पहुँच गई।

15 टन चावल, 100 क्विंटल सब्जी, 12 लाख पानी की बोतल

कार्यक्रम के दौरान इतनी भीड़ लगेगी इसका अंदाजा पहले ही लग चुका था, जिसे देखते हुए खाने के सारे इंतजाम किए गए थे। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट बताती है कि इस इज्तिमा कार्यक्रम के दौरान 2 दिन में 15 टन चावल का पुलाव बना, वहीं 100 क्विंटल आलू-गोभी, टमाटर मिर्च, बैंगन की सब्जी भी इस्तेमाल हुई। 

इतना ही नहीं भीड़ का अंदाजा इस बात से भी लगता है कि कार्यक्रम के शुरुआती 2 दिन में ही 12 लाख पानी की बोतलें और 10 लाख कप चाय बिक गई थीं। इसके अलावा सूजी, पाव, दाल, दूध का भी धड़ल्ले से प्रयोग हुआ था। खाने पीने के लिए 40 जोन बनाए गए थे। इनमें 6 से 7 जोन नाश्ते के थे। हर जोन में करीबन एक क्विंटल चावल, दाल बिक रहा था। केवल पाव की बात करें तो अनुमान के मुताबिक उसकी बिक्री भी 7 से 8 हजार से ज्यादा हुई। 50 रुपए में भरपेट खाना देने के लिए इस कार्यक्रम में हजारों लोगों की टीम जुटी थी। 200 लोग सुबह शाम लोगों को खिलाने में जुटे थे।

14 लोगों से हुई थी इज्तिमा की शुरुआत

उल्लेखनीय है कि भारत में इज्तिमा की शुरुआत 1947 में हुई थी। सबसे पहले इसका आयोजन मस्जिद शकूल खाँ में हुआ था। उस समय केवल 12 से 14 लोग ही थे जो इस कार्यक्रम में शामिल हुए। बाद में इसका आयोजन 1971 में बड़े स्तर पर ताजुल मसाजिद में होने लगा। धीरे-धीरे इसमें आने वालों की संख्या भी बढ़ने लगी।

2015 में इसे बैरसिया रोड स्थित ईंटखेड़ी के पास घासीपुरा में शिफ्ट किया गया। उसके बाद से ये यहीं लग रहा है। इस आयोजन के लिए भोपाल में 2 माह पहले से तैयारियाँ होती हैं। कार्यक्रम में शामिल होने वाली जमातों की बुनियादी जरूरत पूरा करने के लिए हर इंतजाम किए जाते हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया