बिहार-नेपाल सीमा पर यूरेनियम मिलने से हड़कंप, परमाणु बम बनाने में होता है इस्तेमाल: राज्य में आतंक के 3 मॉड्यूल, साजिश का इंटरनेशनल लिंक

नेपाल से भारत यूरेनियम लाए जाने के पीछे कैसी साजिश? (फोटो साभार: दैनिक जागरण)

बिहार पुलिस ने नेपाल से लाई जा रही यूरेनियम की खेप पकड़ी है, जिसके बाद आतंकियों की बड़ी साजिश का खुलासा हुआ है। बता दें कि यूरेनियम से ही परमाणु बम भी बनता है। अररिया जिले से सटी नेपाल सीमा के पास 2 किलोग्राम यूरेनियम बरामद किया गया। इसके साथ ही 15 तस्करों को भी गिरफ्तार किया गया है। विस्फोटक के निर्माण में इस यूरेनियम का इस्तेमाल किया जाना था। बता दें कि ये एक रेडियोएक्टिव पदार्थ है, जिसका इस्तेमाल परमाणु बम बनाने में भी होता है।

अरररिया जिले की जोगबनी सीमा से इसे भारत में लाया जा रहा था। इस घटना के सामने आने के बाद देश की सुरक्षा एजेंसियों के साथ-साथ सीमा पर तैनात SSB के जवानों को भी अलर्ट पर रखा गया है। भारत-नेपाल सीमा पर सख्ती बढ़ा दी गई है। हालाँकि, ये इस तरह का पहला मामला नहीं है। जून 2021 में झारखंड में लाया जा रहा 7 किलो यूरेनियम पकड़ा गया था। नेपाल पुलिस ने विराटनगर के अलग-अलग इलाकों में छपेमारी कर 2 किलोग्राम यूरेनियम जब्त किया।

इसी दौरान 15 तस्कर भी दबोचे गए। मोरंग के एसपी शांतिराज कोइराला ने बताया कि ये तस्कर नेपाल की राजधानी काठमांडू से यूरेनियम लेकर चले थे। इसकी कीमत करोड़ों रुपयों में आँकी जा रही है। फ़िलहाल ये जाँच का विषय है कि इसका स्रोत क्या है और इसे कहाँ ले जाया जा रहा था। एक किलो यूरेनियम से 24 मेगावाट ऊर्जा वाला बम का निर्माण किया जा सकता है। ये भी जानने वाली बात है कि अगस्त 1945 में अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागाशाकी पर पर गिराए गए परमाणु बम के लिए 64 किलो यूरेनियम का इस्तेमाल किया गया था।

ऐसे में 2 किलो यूरेनियम का मिलना भी अपने-आप में एक बड़ी बात है। इसके गलत हाथों में पड़ने का रिस्क सरकारें नहीं ले सकतीं, भले ही यूरेनियम से परमाणु बम बनाने की तकनीक आतंकी संगठनों और सभी देशों के पास नहीं हों। जून 2021 में बोकारो से यूरेनियम बरामद हुआ था। NIA ने इस सम्बन्ध में स्थानीय पुलिस को सूचना दी थी। अंतरराष्ट्रीय तस्करों के इसमें रोल सामने आए थे। अब बिहार में बरामदगी हुई है।

बिहार में PFI आतंकियों की गिरफ़्तारी और भारत को इस्लामी मुल्क बनाने की सशस्त्र साजिश के बाद स्थिति तनाव में है। बिहार में 3 गिरोह इसके लिए एक साथ काम कर रहे हैं। फुलवारीशरीफ का टेरर मॉड्यूल इनमें से ही एक है, सिमी के पुराने सदस्यों की मदद से भारत को इस्लामी मुल्क बनाने की साजिश का जिम्मा अतहर परवेज को सौंपा गया था। डिबेट और सेमिनारों के जरिए मदरसों में कट्टरपंथियों को खोज कर उनकी भर्ती की जाती थी।

सिमी का काम जिहाद के लिए फ़ौज तैयार करना था। अतहर परवेज और जलालुद्दीन की गिरफ़्तारी के पास 26 आतंकियों पर FIR दर्ज की गई। वहीं ‘गजवा-ए-हिन्द’ संगठन ISI के लिए नेटवर्क तैयार कर रहा था। 2023 में बड़ी तबाही मचा कर देश को कमजोर करना इसका लक्ष्य था। STF आदर फुलवारीशरीफ से गिरफ्तार मरगूब अहमद के पाकिस्तानी कनेक्शन का खुलासा भी हुआ। वहीं जमात-ए-मुजाहिद्दीन देश में आतंकी हमलों की फिराक में था। पूर्वी चंपारण के ढाका स्थित एक मदरसे से मौलवी सहित 3 गिरफ्तार किए गए।

बिहार को 4 जोन में बाँट कर सारी साजिश रची जा रही थी। पटना से नेपाल का कनेक्शन तैयार करने के लिए 6 जिलों की एक कड़ी बनाई गई थी। इनके 15 से अधिक प्रशिक्षण शिविर हैं। अतहर परवेज ने बताया है कि वो कैसे पूर्व में सिमी का सक्रिय सदस्य था। सिमी की स्थापना 1977 में अलीगढ़ में हुई थी। नेपाल में ‘मुस्लिम वर्ल्ड लीग’ और ‘द आर्गेनाईजेशन वर्ल्ड असेम्ब्ली ऑफ मुस्लिम यूथ’ से इन आतंकियों को सहयोग मिल रहा है। नेपाल की सीमा खुली है, ऐसे में इन्हें ज्यादा दिक्कत नहीं होती। नूपुर शर्मा के बहाने इन्हें मुद्दा भी मिल गया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया