BUDGET 2019: रेलवे को रफ्तार देने के लिए ₹50 लाख करोड़ की जरूरत, स्टेशनों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने का लक्ष्य

रेलवे को रफ्तार देने के लिए पीपीपी मॉडल का होगा इस्तेमाल

देश की पहली पूर्णकालिक महिला केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट शुक्रवार (जुलाई 5, 2019) को संसद में पेश कर रही हैं। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला केंद्रीय बजट पेश करते हुए निर्मला सीतारमण ने रेलवे के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ की हैं। इस दौरान वित्तमंत्री ने साफ, सुरक्षित और समयबद्ध रेल यात्रा पर जोर दिया। 

बजट भाषण देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर को 2018 से 2030 के बीच 50 लाख करोड़ रुपए की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि तेजी से विकास और यात्री माल ढुलाई सेवाओं के लिए पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप (पीपीपी) का उपयोग किया जाएगा। इस बजट में 657 किलोमीटर मेट्रो को चालू किया गया है, जबकि 300 किलोमीटर नए मेट्रो प्रोजेक्ट को मंज़ूरी मिली है। साथ ही सीतारमण ने रेलवे किराए में सुधार के लिए आदर्श किराया कानून बनाने का भी प्रस्ताव भी पेश किया है। इसके जरिए रेलवे यात्रियों की जरूरत, सुविधाओं और विभाग की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए किराया तय करेगी।

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यात्रियों के लिए सबसे बड़ी राहत ये है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने रेल बजट पेश करते हुए यात्री किराए में किसी तरह की बढ़ोत्तरी की घोषणा नहीं की है। उन्होंने आदर्श किराया कानून बनाए जाने की बात कही है। इस कानून के तहत रेल यात्रियों की जरूरत, सुविधाओं और विभागीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए रेलवे किराया तय करेगी। साथ ही उन्होंने बताया कि रेलवे स्टेशनों के जीर्णोद्धार के लिए रेलवे द्वारा इस वर्ष एक विशेष अभियान चलाया जाएगा। इसमें पूर्व रेलमंत्री पीयूष गोयल की स्टेशनों का सौंदर्यीकरण करने की योजना भी शामिल है।

वित्तमंत्री ने कहा कि भारतीय रेल और मेट्रो प्रोजेक्ट में पीपीपी मॉडल के जरिए निजी भागीदारी को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि रेल ढाँचे के मॉडर्नाइजेशन और स्वीकृत योजनाओं को पूरा करने के लिए 50 लाख करोड़ रुपए की जरूरत है। इन परियोजनाओं को वर्ष 2018 से वर्ष 2030 तक पूरा होना है। रेलवे के ढाँचागत विकास पर विशेष जोर दिया जाएगा। इसमें रेल पटरी के विस्तार और सुधारीकरण के साथ स्टेशन का ढाँचा भी शामिल होगा। स्टेशनों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने का लक्ष्य है, ताकि वहाँ हर तरह की सुविधा उपलब्ध हो।

इसके अलावा मालगाड़ियों के लिए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFCs) का निर्माण भी तेजी से किया जा रहा है। इन परियोजनाओं से रेलवे नेटवर्क का कंजेशन खत्म होगा और यात्री गाड़ियों के साथ ही माल ढुलाई को भी पहले से ज्यादा तेज और समबद्ध करना संभव हो सकेगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया