21 साल से पहले नहीं हो पाएगी लड़कियों की शादी, आधार से वोटर कार्ड भी होगा लिंक: मोदी कैबिनेट की मुहर

आधार से वोटर आईडी लिंक करने और लड़कियों की शादी बढ़ाने पर मुहर

अब वोटर कार्ड को भी आधार कार्ड से लिंक (Voter ID-Aadhaar Card Linking) करना अनिवार्य हो जाएगा। केंद्र सरकार ने बुधवार (15 दिसंबर 2021) को वोटर आईडी कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ने के लिए चुनावी कानून में प्रस्तावित संशोधनों को मँजूरी दे। साथ ही महिलाओं के लिए विवाह की कानूनी आयु 18 से 21 वर्ष तक बढ़ाने के प्रस्ताव पर भी मुहर लगा दी है। एक साल पहले स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में पीएम मोदी ने इस बारे में संकेत दिए थे।

वोटर आईडी भी आधार से होगा लिंक

चुनाव आयोग की सिफारिशों के आधार पर वर्तमान चुनाव कानून में 4 संशोधन किए जाएँगे। इसके अनुसार पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करने वालों को वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए एक साल में चार बार मौका दिया जाएगा। अभी एक जनवरी या उससे पहले 18 वर्ष के होने वालों को मतदाता के रूप में रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी जाती है। इसके अलावा सर्विस वोटर्स के लिए चुनावी कानून को जेंडर न्यूट्रल बनाया जाएगा। 

नेशनल वोटर सर्विस पोर्टल, एसएमएस, फोन या बूथ स्तर के अधिकारियों के पास जाकर आधार को मतदाता पहचान पत्र (Voter ID Card) से जोड़ा जा सकता है। अभी आधार कार्ड को वोटर आईडी से लिंक करना अनिवार्य नहीं है। बताया जा रहा है कि फर्जी मतदान या मतदान में धाँधली को रोकने के उद्देश्य से यह कदम उठाया जा रहा है।

शादी के लिए महिलाओं की उम्र 18 से 21 करने की मँजूरी

कैबिनेट की मंजूरी के बाद, सरकार बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 में एक संशोधन पेश करेगी और इसके बाद विशेष विवाह अधिनियम और हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 जैसे व्यक्तिगत कानूनों में संशोधन लाएगी। बुधवार को दी गई मँजूरी दिसंबर 2020 में जया जेटली की अध्यक्षता वाली केंद्र की टास्क फोर्स द्वारा नीति आयोग को सौंपी गई सिफारिशों पर आधारित है। इसका गठन मातृत्व की उम्र से संबंधित मामलों, मातृ मृत्यु दर को कम करने की आवश्यकता, पोषण में सुधार से संबंधित मामलों के लिए किया गया था।

जेटली ने कहा, “मैं स्पष्ट करना चाहती हूँ कि सिफारिश के पीछे हमारा तर्क कभी भी जनसंख्या नियंत्रण का नहीं था। NFHS 5 (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण) द्वारा जारी हालिया आँकड़ों ने पहले ही संकेत दिए हैं कि कुल प्रजनन दर घट रही है और जनसंख्या नियंत्रण में है। इस विचार के पीछे महिलाओं के सशक्तिकरण का विचार है।”

जेटली ने आगे कहा, “हमें 16 विश्वविद्यालयों से जवाब मिले और युवाओं तक पहुँचने के लिए 15 से अधिक गैर सरकारी संगठनों को शामिल किया गया है। ग्रामीण और हाशिए के समुदायों और सभी धर्मों और शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से समान रूप से फीडबैक लिया गया। हमें युवा वयस्कों से प्रतिक्रिया मिली कि शादी की उम्र 22-23 वर्ष होनी चाहिए। कुछ हलकों से आपत्तियाँ आई हैं, लेकिन हमने महसूस किया कि उन्हें कुछ समूहों ने ऐसा करने का निर्देश दिया था।”

क्या हुई है सिफारिश?

महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा जून 2020 में गठित टास्क फोर्स में नीति आयोग के डॉ. वीके पॉल और डब्ल्यूसीडी, स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्रालयों और विधायी विभाग के सचिव भी शामिल थे। इसने सिफारिश की है कि निर्णय की सामाजिक स्वीकृति को प्रोत्साहित करने के लिए एक व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाया जाए। इसने दूर-दराज के क्षेत्रों में शैक्षणिक संस्थानों के मामले में परिवहन सहित लड़कियों के लिए स्कूलों और विश्वविद्यालयों तक पहुँच की भी माँग की है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया