‘पत्नी के खिलाफ गवाही दो नहीं तो काटकर फेंक देंगे’: जो जज CM ममता के भतीजे के केस की कर रहीं सुनवाई, उनके पति को टॉर्चर करने का CID पर आरोप

ममता बनर्जी अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी के साथ (फोटो साभार: Live Law and The Telegraph)

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सांसद भतीजे और सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के महासचिव अभिषेक बनर्जी के मामले की सुनवाई कर रहीं कलकत्ता हाईकोर्ट की जज अमृता सिन्हा के वकील पति ने राज्य की CID पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। वकील प्रताप चंद्र डे ने आरोप लगाया है कि एक मामले में CID ने उन्हें पूछताछ के लिए दो बार थाने बुलाया और उन्हें यातना दी।

जज अमृता सिन्हा के पति प्रताप ने इस संबंध में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद माँगी है। इसके अलावा, उन्होंने कोलकाता बार एसोसिएशन, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को शिकायती पत्र लिखा है। दरअसल, CID ने उन्हें साल्टलेक के बिधाननगर दक्षिण पुलिस स्टेशन में दर्ज संपत्ति विवाद के एक मामले में CrPC की धारा 160 के तहत गवाह के रूप में पूछताछ के लिए बुलाया था।

कोलकाता बार एसोसिएशन को लिखे गए 4 पेज के पत्र में वकील प्रताप चंद्र डे ने बताया कि जाँच एजेंसी ने कैसे उन्हें सिर्फ इसलिए प्रताड़ित किया, क्योंकि उनकी पत्नी अमृता सिन्हा कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायाधीश हैं और वह ममता बनर्जी सरकार एवं टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी से संबंधित भ्रष्टाचार के मामलों की सुनवाई कर रही हैं।

वकील डे ने बताया कि उन्हें 1 दिसंबर 2023 को सीआईडी की आर्थिक अपराध शाखा ने बुलाया था। उन्होंने कहा, “वहाँ पहुँचने पर मेरे साथ एक अपराधी की तरह व्यवहार किया गया, जैसे कि मैं किसी जघन्य अपराध का आरोपित था। मुझसे एक से अधिक अधिकारियों ने पूछताछ की और केवल मेरी पत्नी एवं उनके व्यक्तिगत विवरण के बारे में प्रश्न पूछे गए।”

यह बताने के बावजूद कि यह ‘गलत पहचान’ का मामला था, सीआईडी अधिकारियों ने प्रताप चंद्र डे को परेशान करना जारी रखा। उन्होंने लिखा, “अधिकारियों ने मुझे बताया कि उन्हें मामले के विवरण में कोई दिलचस्पी नहीं है, लेकिन वे मेरी पत्नी के संबंध में जवाब चाहते हैं। उनकी इच्छा और सुविधा के अनुसार वीडियो को चालू और बंद किया जाता था। साढ़े तीन घंटे तक यातना और उत्पीड़न चलता रहा।”

कलकत्ता उच्च न्यायालय के वकील प्रताप चंद्र डे को सीआईडी ने इस साल 16 दिसंबर को फिर से तलब किया था। उन्होंने बताया, “उन्होंने स्थानीय गुंडों की तरह व्यवहार किया। वे ऊँचे स्वर में चिल्लाए। एक भी सभ्य भाषा का प्रयोग नहीं किया गया। सभी अपशब्द और गंदे अपशब्द थे। कैमरा भी लगातार चालू नहीं था।”

जज के पति ने आगे कहा, “उन्होंने (CID के अधिकारियों ने) मेरी पत्नी के खिलाफ गवाही देने के लिए मुझ पर जबरदस्त दबाव डाला। जैसे ही मैंने उनके खिलाफ कोई भी बयान देने से इनकार कर दिया, अत्याचार कई गुना बढ़ गया। उस दौरान सभी अप्रासंगिक सवाल मुझे दबाव में तोड़ने के इरादे से पूछे गए।”

कलकत्ता उच्च न्यायालय के वकील ने कहा कि सीआईडी अधिकारियों ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में जज उनकी पत्नी अमृता सिन्हा के खिलाफ ये बयान देने के लिए भारी रिश्वत देने की कोशिश की। उन्होंने कहा, “मुझे बड़ी रकम, महँगी कारें, शानदार आवासीय अपार्टमेंट और कई अन्य चीजों की पेशकश की गई, जिनका उल्लेख करने में मुझे शर्म आती है।”

उन्होंने आगे कहा, “अगर मैं उनकी सलाह के अनुसार गवाही देने से मना किया तो मुझे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई। मेरी पत्नी और बच्चे को भी धमकी दी गई है। उन्होंने कहा कि वे अपने वरिष्ठ अधिकारियों की सलाह के अनुसार कार्य कर रहे थे। अगर मैं उनके आदेश का पालन करने में विफल रहा तो वे हमें टुकड़ों में काटकर वे मेरे पूरे परिवार को बर्बाद कर देंगे।”

प्रताप चंद्र डे ने कहा, “उन्होंने मुझे पूरी रात रोके रखने के अपने इरादे का खुलासा किया और यदि वरिष्ठ अधिकारी से निर्देश मिलता है तो वे मुझे झूठे मामलों में गिरफ्तार कर सकते हैं। अपमान और प्रताड़ना इस हद तक बढ़ गई कि एक समय मैं टूट गया। अधिकारी मुझे नुकसान पहुँचाने और शारीरिक रूप से घायल करने पर तुले हुए थे। मुझ पर भारी दबाव डालने और मेरी पत्नी को भ्रष्टाचार के आरोप में फँसाने के लिए मुझसे झूठे बयान लेने के लिए वे कई बार हमला करने के उद्देश्य से मुझ पर टूट पड़े।”

उन्होंने आगे कहा, “मैंने लंबे समय तक खाना नहीं खाया था और यह बताने के बावजूद कि मुझे दवाएँ लेनी होंगी, उन्होंने मुझे छोड़ने की जहमत नहीं उठाई। मैं ऐसे ख़राब माहौल में बेहद अस्वस्थ और असहज महसूस कर रहा था। अगर थोड़ी देर और होती तो मैं कुछ देर बाद गिर जाता।”

उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा, “एक वकील, जो इस मामले से जुड़ा नहीं है, को दी गई अमानवीय यातना पूरी तरह से अवैध है और इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। एक वकील को किसी वादी का बचाव करने का पूरा अधिकार है, यदि वादी उसके पक्ष में वकालतनामा निष्पादित करता है। इसका उद्देश्य मुझे और मेरे परिवार की प्रतिष्ठा को बदनाम करना और नुकसान पहुँचाना था।”

वहीं, बंगाल CID ने इस पूरे मामले को झूठा एवं मनगढ़ंत बताया है। सीआईडी ​​ने कहा, “इस तरह के आरोपों के पीछे का इरादा न केवल संबंधित अधिकारियों की प्रतिष्ठा को खराब करना है, बल्कि चल रही जाँच पर प्रश्नचिह्न लगाना और मुद्दे को भटकाना है। CID ने कहा कि वकील डे के साथ हर तरह का सहयोग किया गया और पूछताछ की पूरी वीडियो रिकॉर्डिंग कराई गई।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया