राजनीतिक फायदे के लिए मुस्लिमों का ‘वस्तु’ की तरह हुआ इस्तेमाल: कलकत्ता हाई कोर्ट, OBC आरक्षण में ‘घुसपैठ’ पर ममता बनर्जी और लेफ्ट को किया नंगा

कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को लताड़ा (चित्र साभार: Calcutta HC & Economic Times)

कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा है कि पश्चिम बंगाल की वामपंथी और ममता सरकार ने मात्र वोट बैंक के लिए 77 मुस्लिम जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में शामिल करके आरक्षण दे दिया। कोर्ट ने कहा कि यह सब चुनावों में फायदे के लिए किया गया और आरक्षण जाति नहीं बल्कि धर्म के आधार पर दिया गया।

कलकत्ता हाई कोर्ट ने बुधवार (22 मई, 2024) को पश्चिम बंगाल सरकार के मुस्लिम जातियों को OBC में जोड़ने के निर्णय को रद्द कर दिया था। इसी दौरान कलकत्ता हाई कोर्ट ने कई टिप्पणियाँ की। कोर्ट ने मुस्लिमों को आरक्षण देना वोट बैंक की राजनीति बताया।

कोर्ट ने कहा, ” ऐसा लगता है कि इस समुदाय (मुस्लिम) का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए वस्तु की तरह किया गया है। यह बात उन घटनाओं के क्रम से साफ हो जाती है जिसके कारण 77 जातियों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करने के लिए OBC में डाला गया।”

कोर्ट ने मुस्लिम जातियों को आरक्षण देने के लिए तैयार की गई रिपोर्ट को लेकर भी नाराजगी जाहिर की और इसे नियमों और सेक्युलरिज्म के सिद्धांतों के विरुद्ध पाया। कोर्ट ने कहा, “हालाँकि, कमीशन की रिपोर्ट ऐसे बनाई गई है कि यह मजहब के आधार पर दिया गया आरक्षण ना लगे, लेकिन कोर्ट को ऐसा नहीं लगता।”

कोर्ट ने आरक्षण देने के फैसले के पहले की घटनाओं का जिक्र भी इससे जोड़ कर किया। कोर्ट ने कहा कि मुस्लिमों को आरक्षण देने के लिए बनाई गई यह रिपोर्ट CM ममता बनर्जी के मुस्लिमों को 10% आरक्षण देने के ऐलान के बाद बनाई गई थी। आयोग को यह बात मालूम होगी। कोर्ट ने आरक्षण देने के लिए कलकत्ता विश्ववविद्यालय की एक रिपोर्ट को आधार बनाए जाने को लेकर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि इस रिपोर्ट के चार महीने के भीतर ही जातियों का बँटवारा कर दिया।

कोर्ट ने उस दौरान की घटनाओं को लेकर कहा, “सभी घटनाओं की टाइमलाइन जोड़ते ही सारी बातें साफ़ हो जाती हैं। मुख्यमंत्री का ऐलान, आयोग का बिजली की रफ़्तार से 77 जातियों को आरक्षण देने की सिफारिश, राज्य सरकार का इनको आरक्षण देना और फिर कलकत्ता विश्वविद्यालय की यह रिपोर्ट और फिर उसके आधार पर जातियों का बँटवारा।”

कोर्ट ने कहा कि इन बातों के आधार पर कहा जा सकता है कि यह आरक्षण केवल और केवल मजहब के आधार पर दिया गया। ममता सरकार ने दौरान कोर्ट के सामने दलील पेश की कि यह आरक्षण सच्चर समिति में मुस्लिमो की खराब हालत को लेकर सामने आई बातों को के बाद दिया गया। इस दलील कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि सच्चर समिति पर केवल देश के राष्ट्रपति ही एक्शन ले सकते हैं ना कि राज्य सरकार। कोर्ट ने इस दौरान इस आरक्षण को अन्य कानूनों और नियमों का उल्लंघन भी बताया।

गौरतलब है कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने बुधवार (22 मई, 2024) को पश्चिम बंगाल की सरकार के 77 मुस्लिम जातियों को OBC में जोड़ने के निर्णय को रद्द कर दिया था। इन मुस्लिम जातियों को 2010 में वामपंथी सरकार के दौरान OBC में जोड़ा गया था जबकि ममता सरकार में इन्हें नौकरियों में आरक्षण दिया गया था। हाई कोर्ट ने 2010 के बाद जारी किए गए सभी OBC प्रमाण पत्र भी रद्द कर दिए थे।  हाईकोर्ट ने 2010 के बाद से अब तक जारी किए गए करीब 5 लाख ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द कर दिए थे।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया