‘दिल्ली दंगों और किसानों के प्रदर्शन से बिगड़ी कानून-व्यवस्था’: केंद्र ने हाई कोर्ट को बताया LG ने क्यों नियुक्त किए SPP

'दिल्ली दंगे और किसानों के विरोध ने सार्वजनिक कानून व्यवस्था बिगाड़ा': एलजी द्वारा नियुक्त SPP का केंद्र ने किया बचाव, बताया- राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा

पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगो और किसानों के आंदोलन से जुड़े मामलों पर बहस करने के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) की ओर से नियुक्त विशेष लोक अभियोजकों (SPP) का केंद्र सरकार ने बचाव किया है। केंद्र सरकार ने गुरुवार (27 जनवरी, 2022) को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा है कि अत्यधिक संवेदनशील प्रकृति के होने के कारण यह मामले राष्ट्रीय महत्व के हैं। ऐसे में यह केवल इसलिए कि दिल्ली में घटनाएँ हुईं, इस आधार पर सीधे दिल्ली सरकार के नियंत्रण में आने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र और दिल्ली के एलजी की ओर से प्रस्तुत कॉमन काउंटर हलफनामे में कहा गया है, “दिल्ली दंगों और किसान आंदोलन, दोनों मामलों ने सार्वजनिक व्यवस्था में गड़बड़ी पैदा की, जिससे देश की कानून और व्यवस्था में भरोसे को दोबारा बहाल करने के लिए दर्ज हुई सभी एफआईआर के कुशल, निष्पक्ष और न्यायसंगत अभियोजन की जरूरत है।”

हलफनामे में संयुक्त रूप से कहा गया है, “अनुच्छेद 239 AA के माध्यम से संविधान ने दिल्ली को एक ऐसा अनोखा दर्जा प्रदान करने का प्रयास किया है। बालकृष्ण समिति ने केंद्र शासित प्रदेश दिल्‍ली के लिए विधानसभा की सिफारिश करते हुए कहा था कि दिल्ली देश की राजधानी के रूप में समग्र राष्ट्र के लिए अद्वितीय स्थान रखती है और इसलिए यह राष्ट्रीय हित में है कि केंद्र सरकार उच्च स्तर की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राजधानी के मामलों पर व्यापक नियंत्रण रखे।”

बता दें कि किसानों के विरोध और दिल्ली दंगों से संबंधित मामलों पर बहस के लिए अपनी पसंद के अभियोजकों का एक पैनल नियुक्त करने के केजरीवाल सरकार कैबिनेट के फैसले को पलटने के उपराज्यपाल के एक आदेश के खिलाफ दिल्ली सरकार की ओर से दायर एक याचिका में केंद्र और उपराज्यपाल की तरफ से मौजूदा जवाबी हलफनामा दायर किया गया है। दिल्ली सरकार की याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि जाँच एजेंसी यानी दिल्ली पुलिस द्वारा एसपीपी की नियुक्ति एसपीपी की स्वतंत्रता पर आक्षेप करती है और निष्पक्ष सुनवाई की संवैधानिक गारंटी का उल्लंघन करती है।

जिसे देखते हुए दिल्ली सरकार ने दिल्ली पुलिस की सिफारिशों को खारिज कर दिया था और अपनी पसंद का पैनल नियुक्त किया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बाद में, एलजी ने संविधान के अनुच्छेद 239-एए(4) के प्रावधान के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया और दिल्ली पुलिस की ओर से चुने गए अधिवक्ताओं को उन मामलों के बहस के लिए एसपीपी के रूप में नियुक्त किया गया।

हलफनामें में इस बात का भी जिक्र है कि दिल्ली दंगों और किसानों के विरोध के मामलों ने संवेदनशील होने के साथ ही, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बहुत ध्यान आकर्षित किया है। ऐसे में हलफनामे में कहा गया, “उपराज्यपाल केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली के प्रशासक के रूप में कार्य करते हुए राष्ट्रपति के प्रतिनिधि होते हैं। इसलिए, ऐसे मामलों में, जहाँ संसद के बनाए कानूनों से कुछ मुद्दे सामने आएँ हैं, ऐसे में लेफ्टिनेंट गवर्नर पर उन मामलों में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने की जिम्मेदारी है।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया