उन्नाव बलात्कार मामला: सेंगर पर झूठे आर्म्स एक्ट केस में भी आरोप तय, SC का 20 अन्य मामलों में पड़ने से इंकार

उन्नाव दुष्कर्म आरोपित कुलदीप सिंह सेंगर के भाई की हार्ट अटैक से मौत (फ़ाइल फ़ोटो)

उन्नाव बलात्कार मामले में पीड़िता के पिता को झूठे आर्म्स एक्ट मुकदमे में फँसाने को लेकर दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट (जहाँ उच्चतम न्यायालय ने मामला यूपी से स्थानांतरित कराया था) ने आरोपित कुलदीप सिंह सेंगर और अन्य के खिलाफ आरोप तय कर दिया है। अदालत ने प्रथम-दृष्टया मामले को बड़ी साजिश माना है। इसके पहले आरोपित विधायक पर पॉक्सो एक्ट धारा 120B और गैंगरेप के भी आरोप शुक्रवार (9 अगस्त) को तय किए थे।

CBI चार्जशीट के हिसाब से गवाहियाँ

उन्नाव के बांगरमऊ से विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के अलावा माखी पुलिस थाने के तत्कालीन प्रभारी अशोक सिंह भदौरिया, सब-इंस्पेक्टर कामता प्रसाद सिंह, कॉन्स्टेबल आमिर खान और सेंगर के भाई अतुल सिंह सेंगर को भी आरोप बनाया गया था। आरोप है अप्रैल, 2017 में सेंगर के हाथों बलात्कार का शिकार होने वाली पीड़िता के पिता को आर्म्‍स एक्ट के झूठे मामले में फँसाने, उनपर हमला करने, और उनकी न्यायिक हिरासत में हत्या का। अब इस मामले में सीबीआई द्वारा दायर चार्जशीट (आरोपपत्र) के हिसाब से गवाहियाँ होंगी।

इसी साल एक संदिग्ध सड़क हादसे में बुरी तरह घायल होने के बाद वह लड़की फ़िलहाल एम्स में मौत से लड़ रही है। उसके चाचा महेश सिंह को भी सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश से तिहाड़ जेल स्थानांतरित करा दिया है। महेश सिंह आरोपित विधायक के भाई अतुल सेंगर द्वारा दायर 19 साल पुराने के मामले में 10 साल की सजा काट रहे हैं

‘हम मामले का दायरा बढ़ाना नहीं चाहते’

जस्टिस दीपक गुप्ता और बीआर गढ़वी की बेंच ने पीड़िता के परिवार पर उत्तर प्रदेश में दायर 20 अन्य मुकदमों की स्टेटस रिपोर्ट राज्य सरकार से माँगने या उनमें हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। बेंच ने कहा कि वे अपने सामने लंबित मामले का न दायरा बढ़ाना चाहते हैं, न ही अन्य मामलों में हस्तक्षेप करना चाहते हैं

उच्चतम न्यायालय ने चार मुकदमें- 2017 का बलात्कार का मुकदमा, पीड़िता के पिता को आर्म्‍स एक्ट के झूठे मामले में फँसाना, इनकी हिरासत में मौत, और पीड़िता के गैंग-रेप का मामला- उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित किए थे। तीस हज़ारी कोर्ट के जिला जज जस्टिस धर्मेश शर्मा को चारों मामले सौंप कर सर्वोच्च अदालत ने रोज़ाना सुनवाई करते हुए 45 दिन में सभी मामलों का निपटारा करने का निर्देश दिया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया