PM आवास के पास ₹40 लाख में आलीशान घर, बूढ़ी महिला से ठगी कर राइडिंग क्लब पर कब्जा: जो कभी बीनता था कूड़ा, अब करोड़ों का साम्राज्य

संजय राय शेरपुरिया (साभार: नवभारत टाइम्स)

VVIP तक पहुँच का दावा कर लोगों को ठगने वाले महाठग संजय राय शेरपुरिया ने एक बुजुर्ग महिला को भी ठग लिया। शेरपुरिया ने दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास के पास स्थित बुजुर्ग महिला की बेशकीमती जमीन को महज 40 लाख में ले लिया। प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी चार्जशीट में इसका खुलासा किया है।

शेरपुरिया ने दिल्ली राइडिंग क्लब के मालिक को सिर्फ 40 लाख रुपए देकर उसे अपने कब्जे में ले लिया। उसने क्लब की मालकिन बुजुर्ग महिला को झाँसा दिया था कि वह बुढ़ापे में उसकी देखभाल करेगा। इसके बाद साल 2017 में इस संपत्ति पर कब्जा कर लिया और बुजुर्ग महिला को गुरुग्राम में एक किराए के घर में ले जाकर रख दिया।

इतना ही नहीं, उसने क्लब को अपना कार्यालय और निवास स्थान बनाया लिया। इस बेशकीमती संपत्ति के आधार पर उसने कई व्यवसायियों के साथ सौदे भी किए। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस क्लब के बारे में शेरपुरिया को जानकारी उसके ड्राइवर ने दी थी। ड्राइवर ने बताया कि सहगल की उम्र काफी अधिक है और वह इसका प्रबंधन नहीं कर पा रही हैं। इसके बाद उसने इस क्लब की बुजुर्ग मालकिन बीरू सहगल को झाँसे में लेने की योजना बनाने लगा।

प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार, “संजय प्रकाश राय उर्फ संजय राय शेरपुरिया खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय और भारत सरकार का करीबी दिखाना चाहता था। उसने महसूस किया कि अगर प्रधानमंत्री आवास के करीब की संपत्ति हाउस नंबर 1, डीआईडी के पास, सफदरजंग रोड, नई दिल्ली मिल जाए तो उसे खुद को पीएम के करीबी के रूप में दिखाना बहुत आसान हो जाएगा।”

ईडी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के गाजीपुर का रहने वाला और सिर्फ दसवीं पास इस महागठ ने बीरू सहगल को अपने झाँसे में लेने के लिए उनके साथ कई बैठकें कीं और समझाने में कामयाब रहा कि वह उनके पिता के स्थान पर इस क्लब का प्रबंधन करेगा। शेरपुरिया ने यहाँ तक वादा कर दिया कि वह इस परिसर में उनके लिए एक घर बनवा देगा।

ED के अनुसार, पूछताछ में शेरपुरिया ने बताया, “काफी चर्चा के बाद बीरू सहगल मेरे प्रस्ताव पर सहमत हो गईं। उन्होंने 2018-19 में डीआरसी का पूरा नियंत्रण मेरे हाथों में सौंप दिया। मेरे और बीरू सहगल के बीच एक मौखिक समझौता हुआ था कि जब तक वह जीवित रहेंगी, तब तक मैं उनके दैनिक खर्चों को पूरा करने के लिए आर्थिक सहायता देता रहूँगा।”

बाद में शेरपुरिया ने अपनी पत्नी कंचन राय के खाते से सितंबर 2017 में सहगल को 20 लाख रुपए दिया। इसके बाद उसने अपनी कंपनी पीबी ब्रॉडकास्ट मीडिया लिमिटेड (जिसे पहले कैंपेन बॉक्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता था) के खाते से फरवरी 2020 में और 20 लाख रुपए दिया। इसके बाद उसने अपने भतीजे प्रदीप राय को क्लब का मैनेजर नियुक्त कर दिया।

साल 2017 में वह अपने परिवार को लाकर इस क्लब में रहने लगा और बीरू सहगल को वहाँ से हटाकर गुरुग्राम वाले किराए के फ्लैट में रखने लगा। इसके बाद बीरू सहगल ने इस संपत्ति पर से अपना अधिकार खत्म करते हुए उसकी बागडोर संजय राय शेरपुरिया को दे दिया। ED ने चार्जशीट में कहा है कि इस तरह शेरपुरिया ने एक महिला के खराब स्वास्थ्य का फायदा उठाया और ‘मामूली मुआवजा’ देकर ‘अमूल्य संपत्ति’ पर कब्जा कर लिया।

दिल्ली राइडिंग क्लब दिल्ली के सफदरजंग मकबरे के पीछे तीन एकड़ में फैला है। यहीं पास में ही प्रधानमंत्री का भी आवास है। इसकी स्थापना द्वितीय विश्वयुद्ध के अनुभवी कैप्टन कैप्टन कुंदन सिंह ने सन 1968 में एक अमेरिकी दंपत्ति के साथ मिलकर की थी। कैप्टन सिंह ने बाद में इस संपत्ति को अपनी बेटी बीरू सहगल को दे दिया था। तब से वह इसका प्रबंधन कर रही थीं।

ED के अनुसार, शेरपुरिया की गुजरात और महाराष्ट्र में एक दर्जन से अधिक कंपनियाँ थीं, जिनमें भारी घाटा हुआ था। इस कारण उस पर कर्ज चढ़ गया था। उसने बैंकों से सैकड़ों करोड़ रुपए का लोन ले रखा था। बैंकों ने जब उससे लोन की रिकवरी शुरू की तो शेरपुरिया साल 2016 में दिल्ली आ गया। उसने गुरुग्राम में एक फ्लैट किराए पर ले लिया। उसके बाद उसने बीरू सहगल के बारे में जानकारी मिली और उनकी संपत्ति पर कब्जा कर लिया।

UP STF ने किया था गिरफ्तार

दरअसल, शेरपुरिया के फ्रॉड को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार को एक गुमनाम चिट्ठी मिली थी। इसमें कहा गया था कि वह भाजपा के बड़े नेताओं के नाम का इस्तेमाल कर लोगों का फाँसता है। इसके बाद उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स ने व्यक्तिगत लाभ के लिए प्रधानमंत्री के नाम का धोखाधड़ी के लिए दुरुपयोग करने और व्यवसायियों को धोखा देने के लिए इस साल अप्रैल में गिरफ्तार कर लिया था।

कूड़ा बीनने से लेकर करोड़ों का साम्राज्य खड़ा करने तक का सफर

यूपी के गाजीपुर के मूल निवासी संजय राय शेरपुरिया का जन्म असम में हुआ था। उसके पिता वहीं काम करते थे। उसके घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उसके पास स्कूल की फीस देने के भी पैसे तक नहीं थे। स्कूल का फीस देने के लिए वह सप्ताह में 2 दिन कूड़ा बीनता था। इसी पैसे से वह थ अपनी और भाई-बहनों की पढ़ाई पूरी करता था। कहा जाता है कि शेरपुरिया सिर्फ दसवीं तक पढ़ा है।

बाद में वह गुजरात जाकर 15,500 रुपए महीना पर सिक्योरिटी सुपरवाइजर की नौकरी शुरू की। वहाँ मन नहीं लगा तो सबसे पहले शेरपुरिया ने देना बैंक से 7 साल के लिए 90,000 रुपए लोन लिया था। इससे उसने फुटपाथ पर काम शुरू किया। इसके बाद किराए की दुकान ले ली। फिर थोक विक्रेता का काम शुरू किया। धीरे-धीरे हेरफेर करके पेट्रोलियम का धंधा शुरू कर दिया। देखते ही देखते बहुत कम समय में उसने अपनी कंपनी भी खोल ली और करोड़ों का लेन-देन करने लगा।

इस दौरान वह PMO, संघ, भाजपा, प्रसिद्ध कथावाचकों और नामी पत्रकारों के साथ अपनी फोटो दिखाकर व्यापारियों को गुमराह करता था और अपना फायदा लेता था। कुछ समय बाद शेरपुरिया स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 349 करोड़ 12 लाख रुपए लेकर भाग गया। बैंक ने उसे डिफॉल्टर घोषित कर दिया। इसके अलावा, भी उसने कई बैंकों से कर्ज ले रखा था। उसने फॉर यूथ नाम का एक एनजीओ भी बना रखा है, जिसमें करोड़ों रुपए की विदेशी फंडिंग होती है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया