झमाझम दिवाली, तड़ातड़ बम… वायु प्रदूषण (AQI) पराली से भी कम: हिंदू धर्म को टारगेट करना कब होगा बंद?

दिल्ली के प्रदूषण की बड़ी वजह पटाखे नहीं बल्कि पराली जैसे कारक हैं (चित्र साभार: TNIE & TERI)

दिल्ली में प्रदूषण और जहरीली हवा के लिए दिवाली के पटाखों को जिम्मेदार बताया जाता है। दिवाली हिंदुओं का पर्व है, इसलिए मीडिया, वामपंथी, सेकुलर, कथित पत्रकार आदि सभी लोग दिवाली के पीछे पड़ जाते हैं। सच्चाई कोषों दूर है लेकिन। सच्चाई क्या है, वो आँकड़ों ने बता दिया है। आँकड़ों के अनुसार दीवाली से पहले के प्रदूषण के स्तर और आज (13 नवम्बर 2023) के प्रदूषण में कोई ख़ास अंतर नजर नहीं आया है।

दिल्ली में बड़ी मात्रा में लोगों ने पटाखे फोड़े हैं जबकि सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को लेकर प्रतिबंध भी लगाया था। दिवाली पर इतने पटाखे फूटने के बाद यह आँकड़ा देखना दिलचस्प है कि दिल्ली-NCR की एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) पर क्या असर पड़ा है – यह दिवाली से पहले कितना था, दिवाली के बाद कितना है?

आँकड़ों से यह स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली को हर साल गैस चैम्बर बनाने की जिम्मेदार किसानों की पराली जलाने की घटना और अन्य कारक (कंस्ट्रक्शन/गाड़ियाँ आदि) हैं ना कि साल में एक दिन जलाए जाने वाले पटाखे। इस बात को आँकड़े भी सिद्ध कर रहे हैं। आँकड़ों में एकसमानता रखने के लिए हमने दिवाली के 1 दिन पहले और दिवाली से 1 दिन बाद के आँकड़े लिए। जगह और समय भी एक ही रखे ताकि वायु प्रदूषण के संबंधित कारकों में बहुत ऊँच-नीच ना हो।

दिवाली, पटाखे और AQI: कितना असर

दिवाली से एक दिन पहले 11 नवम्बर को सुबह 8 बजे दिल्ली के इंडिया गेट के पास स्थित मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 246 पर था। दिवाली के बाद 13 नवंबर की सुबह 8 बजे यह AQI 214 पर है।

दिल्ली के ही नेहरु नगर का AQI 11 नवम्बर को सुबह 8 बजे 258 पर था, जबकि 13 नवंबर को सुबह 8 बजे यह 242 पर है।

अब NCR के आँकड़ों को भी देख लिया जाए। क्या यहाँ दिवाली के पटाखों से कोई फर्क पड़ा है? दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के इलाकों को देखते हैं। गाजियाबाद के वसुंधरा इलाके में 11 नवम्बर को AQI 186 के स्तर पर था जबकि 13 नवंबर की सुबह यह 196 पर है।

दिल्ली के सबसे प्रदूषित इलाके कहे जाने वाले आनंद विहार में भी कोई ख़ास फर्क दिवाली के पटाखों का नहीं दिखा है। यहाँ पर 11 नवम्बर को AQI 296 पर था जबकि दिवाली के बाद 13 नवंबर को यह 312 पर है।

ऐसे में स्पष्ट हो रहा है कि दिल्ली में हवा जहरीली बनाने के लिए पटाखे अकेले जिम्मेदार नहीं है। दिवाली के लगभग 15 दिन पहले से ही दिल्ली की हवा खराब होना चालू हो गई थी, जब पंजाब में धान कटाई के साथ ही पराली जोरशोर से जलाई जा रही थी।

AQI के आँकड़े, टारगेट पर दिवाली

फर्जी पत्रकार, वामपंथी, सेकुलर टाइप के लोग जब आँकड़ों से संबंधित कुछ शेयर करते हैं, तो खेल करते हैं। यह खेल समय या जगह से संबंधित किया जाता है। आम पब्लिक इस खेल को सामान्यतः नहीं समझ पाती है। जैसे राजदीप को ही ले लीजिए। आनंद विहार के AQI को लेकर उसने जो आँकड़े शेयर किए, वो प्रोपगेंडा ही है… सच से कोसों दूर।

किसी जगह के एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) के आँकड़े को समय बदल कर शेयर कर देने से रिजल्ट देखने वालों को आसमान-जमीन का फर्क दिखेगा। इसको ऐसे समझ सकते हैं। दिवाली की रात 12 बजे से सुबह 5-6 बजे तक अगर कोई किसी जगह का AQI शेयर करता है तो वो निश्चित ही बढ़ा रहेगा क्योंकि तब हवा में नमी बहुत होती है। ऐसे में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पार्टिकल हवा में ज्यादा देर तक लटके रहते हैं इसी नमी के कारण। राजदीप जैसे लोग आँकड़ों में यही खेल करके सोशल मीडिया पर टारगेट करते हैं – दिवाली को, हिंदू धर्म को।

पराली, AQI और AAP

दिल्ली में 10 नवम्बर को हुई बारिश से प्रदूषण से कुछ राहत मिली थी। इससे पहले 8 नवम्बर को दिल्ली के कई इलाकों का AQI 500 के पार था। आनंद विहार में इसी दिन सुबह 10:30 बजे AQI का स्तर 999 था। नेशनल स्टेडियम के पास 378, नेहरु नगर का 400 था।

गौरतलब है कि इसी दौरान पंजाब में पराली जलाने की दर 2,000/दिन को भी पार कर गई थी। ऐसे में पंजाब की पराली के धुंए से दिल्ली में प्रदूषण हो रहा था। IIT दिल्ली की एक स्टडी में भी यह बात सिद्ध हुई थी कि दिवाली के पटाखे दिल्ली में प्रदूषण का बड़ा कारण नहीं हैं।

पंजाब में इस वर्ष सितम्बर से लेकर नवम्बर के बीच पराली जलाने की 23,000 से अधिक घटनाएँ सामने आ चुकी हैं। पंजाब की आप सरकार के मुख्यमंत्री भगवंत मान इसे रोकने में असफल रहे हैं। पंजाब के किसान उनके अफसरों से ही पराली में आग लगवा रहे हैं। उनकी इस असफलता पर पर्दा डालने के लिए दिल्ली के AAP प्रवक्ता आगे आ रहे हैं।

AAP वाले अब यह सिद्ध करने में जुटे हैं कि पंजाब की पराली से नहीं बल्कि हरियाणा की पराली से प्रदूषण होता है। वहीं दिल्ली के भीतर आम आदमी पार्टी सरकार के कूड़े का प्रबन्धन ना करने और समय से स्मॉग टावर समेत प्रदूषण नियन्त्रण सम्बन्धी कदम ना उठाने के कारण दिल्ली जहरीली हवा में साँस लेने को मजबूर है।

अर्पित त्रिपाठी: अवध से बाहर निकला यात्री...