जानलेवा मोमोज: दिल्ली में 50 साल के व्यक्ति की मौत के बाद AIIMS ने किया अलर्ट, कहा- अच्छे से चबाए बिना निगला तो घोंट सकता है दम

दिल्ली में मोमोज खाने से मौत (प्रतीकात्मक तस्वीर, साभार: जायका रेसिपी.कॉम)

दिल्ली में एक 50 साल के व्यक्ति की मौत मोमोज (Momos) खाने से होने की बात सामने आई है। इस तरह मौत का यह देश की राजधानी में पहला केस बताया जा रहा है। दक्षिणी दिल्ली से इस व्यक्ति को मृत अवस्था में एम्स लाया गया था। पुलिस की पड़ताल से पता चला कि रेस्टोरेंट में खाना खाते वक्त वह गिर गया था।

दरअसल इस व्यक्ति की मौत गला चोक होने की वजह से हुई थी। पोस्टमार्टम से पता चला कि ऐसा मोमोज खाने की व​जह से हुआ। गले 5×3 सेंटीमीटर साइज का मोमोज फँसने के बाद दम घुटने से उसकी मौत हुई। शव के CT स्कैन से साँस की नली में कुछ फँसने की बात सामने आई थी।

जर्नल ऑफ फॉरेंसिक इमेजिंग के नवीनतम संस्करण में इस संबंध में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। मिंट ने AIIMS के फोरेंसिक विभाग के प्रमुख डॉ. सुधीर गुप्ता के हवाले से बताया है, “यह निष्कर्ष चिकित्सकीय राय के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। लेकिन इसका पता केवल CT Scan से ही चल सकता है। परंपरागत विजुअल पोस्टमार्टम में इसका पता नहीं लगाया जा सकता है।”

AIIMS की चेतावनी

मोमोज से मौत के पहले मामले के सामने आने के बाद दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के विशेषज्ञों ने खाना खाते समय सावधानी बरतने की चेतावनी दी है। एम्स के फोरेंसिक विशेषज्ञों का कहना है कि मोमोज एक लोकप्रिय स्ट्रीट फूड है। लेकिन मैदे और तेल के इस्तेमाल की वजह से यह काफी स्लिपरी (चिकना) होता है। यदि अच्छी तरह चबाए बिना इसे निगला जाए तो यह गले में फँस सकता है। ऐसा होने पर दम घुटने से व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।

AIIMS के फोरेंसिक डिपार्टमेंट के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. अभिषेक यादव कहते हैं, “स्टीमी मोमोज दिल्ली के पसंदीदा स्ट्रीट फूड में से एक हैं। मोमोज ऊपर से फिसलन भरा और मुलायम होता है, जिसे अगर सही से चबाए बिना ही निगल लिया जाए तो ये घातक हो सकता है। इस मामले में मौत का कारण न्यूरोजेनिक कार्डिएक अरेस्ट था, जो मोमोज खाने के बाद दम घुटने से हुआ था।”

डॉ. यादव ने आगे कहा, “मोमोज 5×3 सेंटीमीटर आकार के होते हैं, जो काफी बड़ा है। लोगों को इसे खाने को लेकर सतर्क रहना चाहिए। जब भी ऐसी घटना हो तो मोमोज खाने वाले के पेट पर तेज दबाव डालने की जरूरत होती है। यह तब तक किया जाना चाहिए, जब तक फँसा भोजन मुँह से बाहर न आ जाए।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया