दिलबर नेगी का भी एक सपना था, उसका भी एक परिवार था जो दिल्ली हिन्दू-विरोधी दंगों में जल गया!

दिलबर नेगी और उनके परिजन

दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों में क्रूरता से मारे गए लोगों में से एक नाम उत्तराखंड के रहने वाले महज बीस साल के दिलबर नेगी (दिलावर नेगी) का भी था। दंगों में हुई कुछ क्रूर हत्याओं में से दिलबर नेगी की हत्या भी एक है। उत्तराखंड की कुछ कड़वी सच्चाइयों में से एक यह भी है कि आज भी सुदूर गाँव के छोटे बच्चों को भी रोजगार और पढ़ाई के लिए पहाड़ के अपने पैतृक गाँव छोड़कर शहरों में जाना होता है। आर्थिक रूप से गरीब परिवार की मदद करने के लिए फ़ौज में भर्ती होने के अपने सपने को छोड़कर बीस साल के दिलबर नेगी को अभी दिल्ली आए हुए कुछ ही महीने हुए थे।

ऑपइंडिया की दिलबर के परिवार से बातचीत

मृतक दिलावर नेगी (आधार कार्ड के अनुसार) को घर में दिलबर बुलाते थे। उनके घर में 2 भाई और 2 बहनें हैं। घर पर एक छोटा भाई देवेंद्र भी है, जिन्होंने ऑपइंडिया के साथ बातचीत में परिवार का हाल साझा किया। दिलबर के पिता पिछले 8 साल से बीमार हैं और बच्चे ही पारम्परिक खेती करते आ रहे हैं। दिलबर के घरवालों ने बताया कि भारतीय सेना में जाना दिलबर का सपना था। आखिरी बार जब फ़ौज की भर्ती आई थी तो दिलबर दौड़ में सेलेक्ट भी हो गया था, लेकिन लम्बाई कम होने के कारण उन्हें भर्ती प्रक्रिया से बाहर होना पड़ा था। हालाँकि, दिलबर के हौंसले तब भी बुलंद थे और वो फिर से सेना में भर्ती होने की कोशिश करने वाले थे।

दिलबर नेगी ने अपने परिवार की आर्थिक मदद के लिए दिल्ली में एक हलवाई की दुकान में नौकरी शुरू की थी। उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के दिलबर ने 12वीं पास करने के बाद घर छोड़ दिया था। वो दिल्ली गया और शाहदरा के चमन पार्क में एक दुकान में काम करने लगा था। कमाई का कुछ हिस्सा वो घर भेज दिया करता था और जितना बचना था उससे अपना खर्च चलाता था। लेकिन 24 फरवरी की रात दिलबर की जिंदगी की आखिरी रात साबित हुई, उस रात में अचानक सब कुछ बदल गया। दंगों की आग में दिलबर को जलाया गया। दिलबर नेगी की हत्या में आरोपित मोहम्मद शाहनवाज को गिरफ्तार भी कर लिया गया है। उसने जलती हुई दुकान से भाग रहे दिलबर के हाथ-पैर काटकर तड़पते हुए जलती हुई आग में झोंक दिया था।

इस घटना के कुछ देर बाद दंगों के बीच ही दिलबर के दोस्त श्याम के साथ ऑपइंडिया की बात हुई थी। श्याम ने ही ऑपइंडिया से बातचीत में दिलबर नेगी के साथ हुई क्रूरता के बारे में अवगत कराया था। उस समय दिलबर नेगी के साथी श्याम दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में अपने उपचार के लिए भर्ती थे। श्याम भी उत्तरखंड के पौड़ी गढ़वाल के ही रहने वाले हैं। दंगों के समय श्याम पर भी हमला हुआ।

24 फरवरी की रात को जब दिलबर नेगी दुकान की बेकरी के गोदाम में सो रहा था, उसी समय दंगाइयों ने गोदाम में आग लगा दी। दंगाइयों ने दिलबर के हाथ-पैर काटे और अधमरी अवस्था में ही उसे आग के हवाले कर दिया। दिलबर के साथी श्याम का कहना था कि दंगाइयों ने उस पर भी हमला किया, जिससे वो गंभीर रूप से घायल हो गया। होश आने पर उसने अपने आप को गुरु तेग बहादुर अस्पताल में भर्ती पाया। श्याम पौड़ी गढ़वाल के ईडा गाँव का ही रहने वाला है।

पौड़ी जिले से ही हैं CDS बिपिन रावत और NSA अजीत डोभाल, भारतीय सेना को लेकर है युवाओं में जूनून

गौरतलब है कि इस समय भारत के CDS जनरल बिपिन रावत और NSA अजीत डोभाल भी उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले से ही हैं। उत्तराखंड में युवाओं के अंदर भारतीय सेना के प्रति विशेष लगाव देखा जाता है। खासकर ग्रामीण वर्ग के युवा सुबह दौड़ लगाने से लेकर स्कूल में होने वाले खेलकूद में खूब प्रतिभाग करते हैं और इसके पीछे वो शान से भारतीय सेना में शामिल होने को अपना उद्देश्य बताते हैं। यही कारण है कि देवभूमि के साथ ही उत्तराखंड को वीरभूमि भी कहा जाता है। देश की आजादी से पहले जहाँ तीन विक्टोरिया क्रॉस सहित 364 वीरता पदक उत्तराखंड के नाम रहे हैं वहीं, आजादी के बाद भी उत्तरखंड के जवानों ने देश और सरहद की रक्षा में तत्परता से भाग लिया है। आजादी के बाद से अब तक यहाँ के बहादुरों ने एक परमवीर चक्र, छह अशोक चक्र, 13 महावीर चक्र, 32 कीर्ति चक्र सहित 1343 वीरता पदक अपने नाम किए हैं।

दिलबर नेगी के परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए विवरण

यदि आप भी मृतक दिलबर नेगी के परिवार की आर्थिक सहायता करना चाहते हैं तो दिलबर नेगी के पिता श्री गोपाल सिंह के बैंक खाते में सहायता राशि जमा कर सकते हैं। गोपाल सिंह (Gopal Singh) एसबीआई बैंक खाता (SBI Bank Account) विवरण इस प्रकार हैं-

एकाउंट संख्या – 32890125631
(शब्दों में– THREE,TWO,EIGHT,NINE,ZERO,ONE,TWO,FIVE,SIX,THREE,ONE)
IFSC : SBIN0007928
(शब्दों में – एसबीआई एन जीरो, जीरो, जीरो, सात, नौ, दो, आठ)

आशीष नौटियाल: पहाड़ी By Birth, PUN-डित By choice