हिंदू लड़की B.Tech, मुस्लिम लड़का मजदूर… 49 दिनों से लापता लेकिन FIR नहीं: दिल्ली पुलिस को HC की फटकार

दिल्ली पुलिस को HC की फटकार

18 दिसंबर 2020 को जारी किए गए आदेश में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को एक मामले में एफ़आईआर नहीं दर्ज करने के लिए फटकार लगाई है। इस मामले में एक हिन्दू लड़की के पिता ने आरोप लगाया था कि मुस्तफ़ा नाम का युवक उनकी बेटी को ‘सुनियोजित तरीके’ से अपने साथ ले गया।

हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि लड़की को बरामद करके अदालत के सामने पेश किया जाए। न्यायाधीश विपिन संघी और रजनीश भटनागर की पीठ ने कहा है कि एफ़आईआर दर्ज करने के बाद इस मामले की जाँच दिल्ली, अपराध ब्यूरो की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट को सौंप दिया जाए।

लाइव लॉ के मुताबिक़ लड़की के पिता ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (हैबियस कॉरपस पेटीशन) दायर की थी, जिससे उनकी बेटी की तलाश की जा सके, जो 7 नवंबर 2020 से ही लापता चल रही है। आरोपित युवक का पूरा नाम सैय्यद मुस्तफ़ा है, जिसने लड़की को घर से ही उठा लिया था। लड़की के पिता ने यह आरोप भी लगाया है कि इस घटना के दिन ही आरोपित उसे ट्रेन से कोलकाता लेकर चला गया। 

लड़की बी.टेक और मुस्लिम व्यक्ति मजदूर

याचिका में पीड़िता के पिता ने बताया है कि उनकी बेटी ने बी.टेक किया है, जबकि आरोपित युवक मजदूर है। लड़की के गायब होने के ठीक बाद से ही आरोपित मुस्तफ़ा का पिता भी फ़रार चल रहा है। वहीं प्रशासन ने अदालत के समक्ष अपनी रिपोर्ट में कहा कि लड़की ने मुस्तफ़ा से शादी की है और इस बारे में उसने अपने परिवार को भी बताया था कि वह खुश है और उसे परेशान नहीं किया जाए। 

FIR नहीं दर्ज करने के लिए एसएचओ को अदालत की फटकार

एसएचओ ने अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए बताया कि एफ़आईआर इसलिए नहीं दर्ज की गई क्योंकि उन्हें निकाहनामा दिया गया था, जिसे देख कर यह स्पष्ट था कि हिन्दू लड़की ने मुस्तफ़ा से शादी की है। जब अदालत ने उस निकाहनामे की पुष्टि करने के लिए कहा तब पुलिस ने कहा कि तमाम कोशिशों के बावजूद निकाहनामे की पुष्टि नहीं हो पाई थी। 

एसएचओ की लापरवाही पर फटकार लगाते हुए अदालत ने कहा, “हम इस बात से हैरान हैं कि ऐसे हालातों में भी इन्होंने (एसएचओ) एफ़आईआर दर्ज करना ज़रूरी नहीं समझा। वह खाली इस बयान के आधार पर आगे बढ़ गए, जिसमें दावा किया गया है कि लड़की ने मुस्तफ़ा से शादी की है। इस मामले में एसएचओ ने अपनी ज़िम्मेदारी की पूरी तरह अनदेखी की है।” 

अदालत ने यह भी कहा कि उनके लिए इस बात पर भरोसा करना मुश्किल है कि लड़की ने अपनी सहमति से बयान दिया है। अदालत ने पुलिस को आदेश दिया कि वह लड़की को अदालत के सामने पेश करें।

इस आदेश के साथ-साथ अदालत ने कहा, “लड़की के बरामद होने के बाद उसे दिल्ली लेकर आया जाए और अगली तारीख़ के पहले कम से कम 4 दिन तक नारी निकेतन में रखा जाए, जिससे उस पर किसी भी पक्ष का दबाव न हो।” इसके अलावा अदालत ने एसएचओ को लड़की के पिता और परिजनों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखने का आदेश दिया।          

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया