निर्भया के दोषियों को फाँसी से पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया 7 दिन का समय, माँ ने किया फैसले का स्वागत

निर्भया गैंगरेप के चार दोषियों को तीन मार्च को मिलेगी फॉंसी

लगातार टल रही निर्भया के दोषियों के फाँसी की तारीख के बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है, जिसमें कोर्ट ने कहा है कि चारों दोषियों को सात दिन का समय दिया जाता है, जिससे कि सभी आरोपित अपने-अपने कानूनी विकल्पों का प्रयोग कर सकें। हाईकोर्ट के इस फैसले का निर्भया की माँ ने खुले दिल से स्वागत किया है।

वहीं केंद्र सरकार द्वारा फाँसी की रोक के ख़िलाफ़ डाली गई याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया। केन्द्र की याचिका को ख़ारिज करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि चारों दोषियों के ख़िलाफ़ अलग-अलग समय पर डेथ वारंट जारी नहीं किया जा सकता। इसी को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने मामले के चारों दोषियों को एक हफ्ते का समय दे दिया है, जिससे कि वे अपने सभी कानूनी विकल्पों का प्रयोग कर सके।

जस्टिस कैत ने सुनवाई करते हुए कहा कि दोषियों ने सजा में देरी करने की रणनीति अपनाई है। इसलिए मैं सभी दोषियों को 7 दिनों के भीतर उनके कानूनी उपचार के लिए निर्देशित करता हूँ, जिसके बाद अदालत को उम्मीद है कि अधिकारियों को कानून के अनुसार काम करना होगा। इसके बाद अदालत ने पटियाला हाउस कोर्ट के आदेश से अलग जाकर फैसला लेने से इनकार कर दिया।

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तीन घंटे तक चली इस सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम में रेप पीड़िता निर्भया के माता-पिता भी मौजूद रहे। सुनवाई के बाद मीडिया से बात करते हुए निर्भया की माँ आशा देवी ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि अब जल्द ही निर्भया के दोषियों को फाँसी मिल सकेगी। ज्ञात हो कि निर्भया गैंग रेप के चारों दोषियों के दो बार डेथ वारंट जारी हो चुके हैं, लेकिन कानूनी पेच के कारण अभी तक उनको फाँसी नहीं हो सकी है।

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वहीं बुधवार को संसद भवन में भी दोषियों को जल्द फाँसी देने वाला मुद्दा उठा। आप नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने केन्द्र सरकार पर दोषियों को फाँसी देने में देरी का आरोप लगाया तो वहीं कैबिनेट मंत्री और बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने आप पार्टी पर जवाब देते हुए पलटवार किया। इस पर सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है, इस पर विवाद खड़ा करना ठीक नहीं। पूरे देश ने रोड पर आकर निर्भया के दोषियों को फाँसी देने की माँग की थी।

गौरतलब है कि 16 दिसंबर 2012 को वसंत विहार इलाके में चलती बस में युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। इस मामले में निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों की सजा को बरकरार रखा था। जबकि एक आरोपित ने जेल के अंदर ही खुदकशी कर ली थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया