फर्जी वीजा और खाड़ी देशों में नौकरी के नाम पर अरशद ने 83 लोगों को लूटा: गैंग के 4 सदस्य गिरफ्तार; छानबीन में 360 पासपोर्ट बरामद

जाली वीसा गैंग का पर्दाफाश (साभार: आजतक)

दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने विदेश भेजने नाम पर 83 लोगों से ठगी करने वाले रैकेट का भंडाफोड़ किया है। यह रैकेट लोगों को फर्जी वीसा के जरिए लोगों से ठगी करता था। दिल्ली पुलिस ने रैकेट से जुड़े चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इस रैकेट का सरगना अरशद है।

इरशाद हिंदी के साथ-साथ अरबी भाषा का भी जानकार है। वह लोगों को खाड़ी देशों में नौकरी लगवाने की गारंटी देकर उनसे ठगी करता था। इसके लिए वह जाली वीसा लगाता और अधिक से अधिक रुपए माँगता था। इस गैंग ने अब तक 83 लोगों के साथ धोखाधड़ी की है।

पकड़े गए आरोपियों के नाम अरशद, राम अनमोल, श्रुति और गुलबहार उर्फ शमीम है। पुलिस ने आरोपितों के पास से 360 पासपोर्ट, 59 जाली वीसा, जाली स्टांप, लैपटॉप, मोबाइल फोन, ढाई लाख रुपए नकद और एक पिस्टल बरामद किया है। पुलिस ने बताया, “आरोपित एक व्यक्ति से 80,000 से लेकर 1,00,000 रुपए तक वसूलते थे।

पुलिस के अनुसार, धर्मेंद्र कुमार नाम के एक व्यक्ति ने इस संबंध में शिकायत की थी। उस शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया गया था। धर्मेंद्र ने अपनी शिकायत में कहा था कि उसने सोशल मीडिया पर वीसा संबंधों जरूरतों के लिए एक विज्ञापन देखा। उस विज्ञापन के जरिए उसने फिजा प्लेसमेंट नाम की एक प्लेसमेंट एजेंसी से संपर्क किया था।

आरोपितों ने धर्मेंद्र से कहा था कि वे उसे खाड़ी देशों और मध्य एशिया में नौकरी और वीसा दिलाने में उसकी मदद करेंगे। इसके बाद धर्मेंद्र ने आरोपितों को 90,000 रुपए दिए। इसके बाद आरोपितों ने जाली वीसा की कॉपी और दुबई का हवाई टिकट दे दिया, जो रद्द कर दिया गया।

धर्मेंद्र कुमार जब प्लेसमेंट एजेंसी के पास गया तो पता चला कि आरोपित अपना ऑफिस बंद करके भाग गए हैं। इसके बाद धर्मेंद्र ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद पुलिस ने जाँच की पता चला कि यह गैंग लोगों को ठगने का काम करता है। मौका देखकर पुलिस ने जनकपुरी में छापेमारी की और आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया।

अरशद जनकपुरी के साथ-साथ कनॉट प्लेस में भी ऑफिस खोल रखा था। दोनों जगहों पर लोगों को ठगने का काम किया जाता था। वह एक कॉल सेंटर भी चलाता था, जहाँ लड़कियाँ लोगों को कॉल करके विदेश भेजने के नाम पर फाँसती थीं। ये लोग थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद अपना ठिकाना बदल लेते थे और सोशल मीडिया के माध्यम से फिर लोगों को फाँसते थे।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया