पत्रकार राणा अयूब की ₹1.77 करोड़ की संपत्ति को ED ने किया जब्त: मदद के नाम पर इकठ्ठा किए धन को खुद खर्चे, पिता और बहन को किया मालामाल

राणा अयूब (टीएफआई पोस्ट)

लोगों की मदद के नाम पर धन की उगाही औऱ उस पैसे की गड़बड़ी करने के मामले में प्रोपेगेंडा पत्रकार राणा अयूब (Rana Ayyub) के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत बड़ी कार्रवाई की है। एजेंसी ने अयूब की 1.77 करोड़ रुपए की संपत्ति को कुर्क कर लिया है। ईडी ने कहा है कि राणा अयूब ने एक प्लानिंग के तहत आम जनता को धोखा दिया है।

प्रवर्तन निदेशालय के आदेश में कहा गया है कि राणा अयूब के घोटाले की शुरुआत तभी से शुरू हो गई थी, जब उसने पैसा इकट्ठा करने के बाद उसे अपने और अपने परिवार के सेविंग अकाउंट से विदड्रॉ करना शुरू कर दिया था। ईडी के मुताबिक, अयूब के 50 लाख रुपए के फिक्स्ड अमाउंट नेट बैंकिंग से बुक किए गए और एक अलग करेंट अकाउंट खोला गया। बाद में उसके बचत बैंक खाते और उसकी बहन और पिता के बैंक खाते से फंड का ट्रांसफर किया गया। लेकिन Ketto.org के जरिए जिस उद्देश्य के लिए धन की उगाही की गई थी, उसके लिए इसका इस्तेमाल नहीं हुआ।”

एजेंसी ने अपने आदेश में राणा अयूब द्वारा जुटाए गए फंड और उसको दुरुपयोग को ‘अपराध की आय’ करार दिया औऱ कहा कि इसके (फंड) अधिग्रहण, कब्जे, उपयोग और फिर इसे साफ सुथरी संपत्ति के तौर पर पेश किया है, लेकिन फिर भी यह मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 की धारा 3 के तहत परिभाषित मनी लॉन्ड्रिंग की धारा 4 के अंतर्गत यह एक दंडनीय अपराध है। राणा अयूब के खिलाफ कार्रवाई को PMLA कानून के तहत अनुसूचित अपराध माना जाता है।

हालाँकि, इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने अभी तक कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की है। लेकिन, ईडी ने कहा है कि अगर एजेंसी चार्जशीट फाइल करने का इंतजार करती है औऱ राणा अयूब की संपत्ति को ईडी अटैच नहीं करती है तो भी एजेंसी के पास यह मानने का कारण है कि इस पैसे को चुरा लिया जाएगा। ऐसे में बाद में इसे अटैच कर पाना असंभव हो जाएगा।

अटैचमेंट ऑर्डर में कहा गया है, “पूरे मामले को देखने और जाँचने के बाद, मेरे पास यह यकीन करने के पर्याप्त कारण है कि उपरोक्त पैरा 21 के तहत बताई गई राशि अपराध की आय के मूल्य के बराबर है, जैसा कि पीएमएलए, 2002 की धारा 2 (1) (यू) के तहत परिभाषित किया गया है, जिसे राणा अयूब ने, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से, अनुसूचित अपराध से संबंधित आपराधिक गतिविधि के परिणामस्वरूप प्राप्त किया था, जिसे स्थानांतरित करने या ट्रांसफर के माध्यम से गायब किया जा सकता है, या किसी तीसरे पक्ष के हित के लिए खर्च किया जा सकता है। जिससे पीएमएलए, 2002 के अध्याय III के तहत अपराध की आय के ऐसे मूल्य की जब्ती से संबंधित कार्रवाई में निराशा हो सकती थी और इस प्रकार उपरोक्त राशि तत्काल अनंतिम कुर्की के लिए उत्तरदायी है जैसा कि पीएमएलए की धारा 5 की उप-धारा (1) के तहत शक्ति प्रदान किया गया है।”

प्रवर्तन निदेशालय ने राणा अयूब द्वारा जुटाए गए फंड को अपने आदेश के जारी किए जाने की तारीख से लेकर 180 दिनों तक के लिए अस्थायी तौर पर अटैच कर लिया है।

राणा अयूब के खिलाफ दर्ज किए गए केस

गौरतलब है कि प्रोपागैंडा पत्रकार राणा अयूब के खिलाफ गाजियाबाद के इंदिरापुरम पुलिस स्टेशन में 7 सितंबर 2021 को आईपीसी की धारा 403, 406, 418, 420, आईटी अधिनियम की धारा 66 डी और मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट-2002 की धारा 4 के तहत प्राथमिकी दर्ज किया गया था। इसमें अयूब पर ये आरोप लगाया गया था है कि उसने चैरिटी के नाम पर गलत तरीके से आम जनता से धन की वसूली की थी। हिंदू आईटी सेल के विकास शाकृत्यायन ने अगस्त 2021 में ये एफआईआर दर्ज करवाया था।

प्राथमिकी में राणा द्वारा चलाए गए तीन अभियानों का जिक्र किया गया है।

(A) अप्रैल-मई 2020 के दौरान झुग्गीवासियों और किसानों के कल्याण के नाम पर धन की उगाही।

(B) जून-सितंबर 2020 के दौरान असम, बिहार और महाराष्ट्र के लिए राहत कार्य के नाम पर वसूली।

(C) मई-जून 2021 के दौरान भारत में कोविड-19 से प्रभावित लोगों के लिए सहायता के लिए।

प्राथमिकी में उल्लेख किया गया है कि राणा अयूब पेशे से पत्रकार हैं और सरकार से किसी भी प्रकार की अनुमति या रजिस्ट्रेशन के बिना ही वो विदेशी धन प्राप्त कर रही थीं। जबकि, ऐसा करने के लिए विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम 2010 के तहत सरकार की अनुमति या रजिस्ट्रेशन आवश्यक है।

PMLA के तहत ईडी द्वारा की गई जाँच

इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय को 11 नवंबर 2021 को शिकायतकर्ता ने इस मामले की जानकारी के साथ एक ईमेल भेजा था। इसमें उसने केटो द्वारा डोनर्स को भेजे गए एक पत्र को भी अटैच किया था। केटो ने दान करने वाले लोगों को बताया कि तीन अभियानों के लिए ₹1.90 करोड़ और 1.09 लाख डॉलर (कुल 2.69 करोड़ रुपए) मिले थे, जिसमें से केवल ₹1.25 करोड़ खर्च किए गए हैं। केटो के पत्र में कहा गया है, “दानदाताओं को उपयोग किए गए धन के विवरण के लिए कैम्पेनर rana.ayub@gmail.com से संपर्क करना होगा।”

ईमेल मिलने के बाद जब प्रवर्तन निदेशालय ने मामले की जानकारी के लिए केटो से संपर्क किया। ईडी के एक्शन के बाद 15 नवंबर 2021 को केटो फाउंडेशन के वरुण सेठ ने ईडी को जानकारी दी और कहा:

  1. फंड रेजिंग कैम्पेन को ‘www.ketto.org’ वेबसाइट के जरिए शुरू किया था, जो कि ऑनलाइन माध्यम से शुरू किए गए थे, जो एक निजी कंपनी केटो ऑनलाइन वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित किया जा रहा है। वरण सेठ इसके निदेशकों में से एक हैं।
  2. राणा अयूब ने 23 अगस्त 2021 को केटो को एक ईमेल भेजा था, जिसमें उसने जानकारी दी थी कि उसे केटो से कुल ₹2.70 करोड़ रुपए की राशि मिली थी, जिसमें से उन्होंने लगभग ₹1.25 करोड़ खर्च किए और उन्हें कर के रूप में फंड से ₹90 लाख का भुगतान करना बाकी है। जबकि उसने 50 लाख रुपए को छोड़ दिया, जो लाभार्थियों तक पहुँचे ही नहीं।

ईडी को दिया गया वरुण सेठ का बयान

  1. वरुण सेठ ने ईडी को बताया कि वो मैसर्स केटो ऑनलाइन वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों में से एक हैं। यह भारत से होने वाले सामाजिक और चिकित्सा के लिए एक ऑनलाइन क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म है।
  2. राणा अयूब ने पिछले 20 महीनों के दौरान Ketto.org पर 3 फंड रेजिंग कैम्पेन शुरू किए थे। जब भी कोई यूजर Ketto.org के जरिए फंड रेजिंग कैम्पेन शुरू करता है तो वो Ketto के उपयोग की शर्तों, गोपनीयता पॉलिसी और प्लेटफॉर्म पर धन जुटाने के लिए डिजिटल समझौते से सहमत होते हैं। इसके अलावा कैम्पेन करने वाला व्यक्ति फंड निकालने के लिए केवाईसी डिटेल्स आधार कार्ड, पैन कार्ड, कैंसल चेक भी जमा करते हैं।
  3. राणा अयूब ने तीन फण्ड रेजिंग कैम्पेन शुरू किया था और तीनों से ही उसने पैसे निकाले थे।

तीनों कैम्पेन के लिए निकाली गई धनराशि

A) अपने पहले अभियान में कोरोना पीड़ितों की मदद के लिए राणा अयूब ने 82,55,899 रुपए का फंड इकट्ठा किया था, जिसमें से से उसने 79,63,640 रुपए निकाले थे। इस कैम्पेन में डोनर्स को 1,00,983 अमेरिकी डॉलर (7,582,483 रुपए) लौटाए गए। दिलचस्प बात यह है कि इस अभियान से पैसे खुद राणा अयूब और उसके पिता मोहम्मद अयूब वक्फ के खातों में निकाले गए।

B) अभियान 2 (झुग्गीवासियों और किसानों की मदद के लिए): 71,37,217 रुपए एकत्र किए गए, 68,84,560 रुपए निकाले गए। इसके अतिरिक्त, 75,600 अमरीकी डालर जुटाए गए और 73,332 अमरीकी डालर निकाले गए। राणा अय्यूब के पिता और अय्यूब के परिवार के एक सदस्य इफ्फत शेख (Iffat Shaikh) के खाते में भी राशि निकाली गई।

ग) अभियान 3 (असम, बिहार और महाराष्ट्र के लिए राहत कार्य): 42,01,368 रुपए जुटाए गए, 40,53,640 रुपए निकाले गए। इसके अतिरिक्त, 37,203 अमरीकी डालर जुटाए गए और 36,087 अमरीकी डालर निकाला गया। इस अभियान से राशि राणा अयूब के पिता के खाते में भी ट्रांसफर की गई।

  1. राणा अय्यूब और उनके परिवार के सदस्यों का केवाईसी विवरण देने के बाद पैसे निकाले गए।
  2. केटो ऑनलाइन वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड किसी भी विदेशी फंड का प्रबंधन नहीं करता है। किसी भी विदेशी फंड का प्रबंधन केटो ऑनलाइन वेंचर्स इंक (केटो यूएसए) द्वारा किया जाता है। एक कैम्पेनर जो केटो वेबसाइट पर फंड जुटाता है, उसके पास अपनी पसंद से विदेशी फंड स्वीकार करने का विकल्प होता है; केटो कैंपेनर को अपने अभियान के लिए विदेशी धन स्वीकार करने या न करने का विकल्प देता है। केटो फंड निकालने वाले उपयोगकर्ता से यह घोषणा भी लेता है कि उसके पास विदेशी फंड स्वीकार करने के लिए आवश्यक सरकारी मंजूरी है।

इसके अलावा, 10 दिसंबर 2021 को, वरुण सेठ ने निम्नलिखित खुलासे के साथ विभाग के सवालों का जवाब देते हुए ईडी को एक और ईमेल लिखा:

ईडी ने वरुण सेठ से पूछा है कि क्या मोहम्मद अय्यूब वक्विफ और इफ्फत शेख पैसे निकालने के योग्य हैं। सेठ ने कहा कि वे केवल एक धन इकठ्ठा करने वाला मंच हैं और धन जुटाने वाला व्यक्ति निकासी के लिए लाभार्थियों को जोड़ सकता है और केटो का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

राणा अय्यूब द्वारा मोहम्मद अय्यूब वक्विफ और इफ्फत शेख के बैंक खातों के माध्यम से जुटाई गई धनराशि को वापस लेने के कारणों के बारे में, उन्होंने प्रस्तुत किया कि भुगतान कैंपेनर द्वारा ऑनलाइन अनुरोध पर किया जाता है और केटो द्वारा बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के सीधे लाभार्थी के खाते में ट्रांसफर होता है। केटो आगे कुछ भी जानने की स्थिति में नहीं है।

ईडी ने इफ्फत शेख को समन जारी किया और उनका जवाब:

6 दिसंबर को एक ईमेल में, इफ़्फ़त ने ईडी को बताया कि वह दुबई में थी और अपने पति के खराब स्वास्थ्य और ओमिक्रॉन के कारण लगाए गए यात्रा प्रतिबंधों के कारण, वह सम्मन के जवाब में भारत की यात्रा नहीं कर सकती थी। उसने आगे कहा कि उसकी बहन राणा अयूब को पावर ऑफ अटॉर्नी दी गई थी और आवश्यक दस्तावेज मुंबई में जमा कर दिए गए थे। राणा अयूब द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों में कहा गया है कि राणा अयूब ने खर्च का व्योरा दिया था। राहत कार्यों पर 40 लाख; रुपए की राशि, 74.50 लाख पीएम केयर फंड / सीएम केयर फंड में दान दिया। 1.05 करोड़ का आयकर भुगतान किया जा चुका है।

ED द्वारा मोहम्मद अयूब वक़िफ़ को समन और राना अयूब के माध्यम से उनकी प्रतिक्रिया:

राना अयूब ने अपने पिता की ओर से ईमेल पर ED को जवाब देते हुए कहा कि उन्हें दो ब्रेन स्ट्रोक हो चुके हैं और वे व्हीलचेयर पर हैं। उसने कहा कि सितंबर तक उसने पीएम केयर को दान की गई राशि सहित उसे प्राप्त एक-एक पैसा खर्च कर दिया था और उसने 29.09.2021 को ईडी कार्यालय मुंबई को सभी जानकारी/दस्तावेज जमा कर दिए थे। इस दस्तावेज में कहा गया है कि सुश्री राना अयूब ने 40 लाख रुपए राहत कार्यों पर खर्च किए, 74.50 लाख रुपए पीएम केयर फंड/सीएम केयर फंड में दिए और 1.05 करोड़ रुपए का आयकर भुगतान किया।

राना अयूब को ED ने समन भेजा और विभाग को उनका बयान

  1. राना अयूब का दावा है कि उन्हें केवल भारतीय रुपए में राशि मिली, लेकिन केटो द्वारा दिए गए विवरण उनके दावे पर सवाल खड़े करता है।
  2. उनका दावा है कि उसकी बहन और पिता के खाते में हस्तांतरित की गई राशि को बाद में उसके खाते में हस्तांतरित कर दिया गया था, जिसका उपयोग उन उद्देश्यों के लिए किया गया था जिनके लिए उन्हें माँगा गया था।
  3. उन्होंने दानदाताओं की सूची ED को सौंपी है।
  4. विदेशी मुद्रा लेने से संबंधित RBI की गाइडलाइन के तहत ना ही उनके पिता या बहन और ना ही उन्हें पंजीकृत ईमेल पर कोई सूचना मिली कि उनके पास एफसीआरए का पंजीकरण नहीं है, क्योंकि भारतीय मुद्रा में धन प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होती और ना ही केटो द्वारा इस संबंध में कोई मौखिक या लिखित सूचना मिली।
  5. राहत कार्य के लिए उपयोग खाद्यान्न, तिरपाल शीट, कोविड के लिए आवश्यक सामग्री (दस्ताने, मास्क, हैंड सैनिटाइज़र सहित, प्रवासी श्रमिकों को घर भेजना, उनके लिए परिवहन की व्यवस्था) की खरीद और इसके लिए 40 लाख रुपए का भुगतान। तिरपाल शीट, खाद्यान्न आदि का वितरण राहत कार्यों के हिस्सा थे। राहत कार्य में किये गये व्यय के बिलों की मूल प्रतियां आयकर विभाग को दी गईं।

पहला कैम्पेन के बाद पिता के नाम पर 50 लाख रुपए की फिक्स डिपॉजिट पर राना अयूब का बयान

राहत कार्यों के नाम पर जनता से इकट्ठा किए गए फंड में से राना अयूब ने 19 मई 2020 को अपने पिता के नाम पर 50 लाख रुपए की फिक्स डिपॉजिट की। राना अय्यूब ने उल्लासपूर्वक बताया कि उन्होंने अस्पताल के लिए पर्याप्त पैसे जमा किए हैं, लेकिन मौजूदा सरकार की निगरानी के कारण गैर-सरकारी संगठन और वे निर्वाचित सदस्य, जिनसे उन्होंने संपर्क किया था, शांत पड़ गए।

ED को उन्होंने आगे बताया कि उनके “नोबल कॉज” के बारे में जानने वाले बैंक मैनेजर ने उन्हें रुपयों की एफडी करने का सुझाव दिया, ताकि 50 लाख रुपए की एफडी पर मिले ब्याज से अस्पताल के लिए अतिरिक्त पैसा जमा होगा। राना ने दावा किया कि उन्होंने एफडी केवल इसलिए की, ताकि इससे काम में मदद मिले और अस्पताल के लिए रखे पैसे से ब्याज मिले।

दिलचस्प बात यह है कि राना अयूब और केटो के बीच हुए समझौते में इस कैम्पेन का उद्देश्य ‘नासिक और लातूर के 2,000 गरीब किसानों और धारावी एवं नवी मुंबई के गरीब लोगों को तेल, चावल, चीनी, दाल, अस्पताल का बिल आदि देकर मदद करना’ बताया गया था। इसमें अस्पताल बनाने का उद्देश्य नहीं बताया गया था।

इसको लेकर राना अयूब का कहना था कि उनकी याद में इस तरह का कोई समझौता नहीं हुआ था।

Nupur J Sharma: Editor-in-Chief, OpIndia.