टेरर फंडिंग से जुड़े अवैध इ-टिकटिंग रैकेट का पर्दाफाश: गुलाम मुस्तफा गिरफ़्तार, हामिद फरार

आरपीएफ ने एक बड़े अवैध टिकटिंग रैकेट का किया पर्दाफाश

भारतीय रेलवे ने अवैध टिकट ख़रीद-बिक्री पर करारा प्रहार करते हुए एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया है। आरपीएफ ने एक ऐसे रैकेट पर शिकंजा कसा, जो अवैध टिकट की दुनिया में पाँव पसारे हुए था। इस मामले में मदरसा से शिक्षित एक आरोपित को गिरफ़्तार किया गया है, जिसने ख़ुद से सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट की पढ़ाई की और फिर अवैध कारगुजारियों में लग गया। वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि इस अवैध टिकटिंग रैकेट के तार टेरर फंडिंग से जुड़े हैं।

इस रैकेट का आतंकियों से क्या रिश्ता है, अधिकारीगण ये पता लगाने में जुटे हैं। आरोपित गुलाम मुस्तफा को भुवनेश्वर से गिरफ़्तार किया गया। उसके पास से भारतीय रेलवे के 563 व्यक्तिगत आईडी कार्ड्स मिले हैं। उसने 2400 एसबीआई शाखाओं की सूची व उनका पूरा विवरण अपने पास रखा हुआ था। यह भी पता चला है कि उसने 600 क्षेत्रीय व ग्रामीण बैंकों में अकाउंट खोल रखे थे। पिछले 10 दिनों से आईबी, स्पेशल ब्यूरो, ईडी और एनआईए गिरफ़्तार आरोपित से पूछताछ में लगी हुई है।

मदरसा शिक्षित गुलाम मुस्तफा के तार न सिर्फ़ आतंकियों की फंडिंग से जुड़े हैं बल्कि मनी लॉन्डरिंग का एंगल भी निकल कर सामने आ रहा है। इस रैकेट के सबसे बड़े सरगना का नाम हामिद अशरफ है। हामिद अशरफ ही इस गैंग का मुख्य कर्ताधर्ता है और पूरी साज़िश को अंजाम देने वाला मास्टरमाइंड भी वही है।

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जाँच एजेंसियाँ हामिद अशरफ की तलाश में लग गई है। वो भी एक सॉफ्टवेयर डेवलपर है। 2019 में गोंडा के एक स्कूल में हुए बम धमाके में भी उसका हाथ सामने आया था। फ़िलहाल उसके दुबई भाग जाने की आशंका जताई जा रही है। हामिद अवैध टिकटिंग रैकेट के सहारे प्रति महीने 15 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त किया करता था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया