मोदी सरकार का 1.5 साल वाला प्रस्ताव भी किसान संगठनों को मंजूर नहीं, कृषि कानूनों को रद्द करने पर अड़े

मोदी सरकार का 1.5 साल वाला प्रस्ताव भी किसान संगठनों को मंजूर नहीं

तीन नए कृषि कानूनों पर गतिरोध दूर करने के लिए बुधवार (जनवरी 20, 2021) को मोदी सरकार द्वारा थोड़ी नरमी दिखाते हुए कानूनों को डेढ़ वर्ष तक निलंबित रखे जाने के प्रस्‍ताव को आज किसान नेताओं ने ठुकरा दिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह कहा जा रहा है कि सरकार से 10वें दौर की बातचीत में रखे गए प्रस्‍तावों पर चर्चा के लिए संयुक्त किसान मोर्चा की आज गुरुवार को कई घंटों आम सभा हुई, जिसमें किसान नेताओं ने यह निर्णय लिया।

किसान नेताओं ने अपने निर्णय में कहा है कि नए कृषि कानूनों के डेढ़ साल तक स्‍थगित करने के केंद्र सरकार के प्रस्‍ताव को किसान संगठनों ने खारिज कर दिया है। संयुक्‍त किसान मोर्चा ने बाकायदा बयान जारी कर बताया कि तीनों कृषि कानून पूरी तरह रद्द हों। साथ ही आंदोलन की मुख्य लंबित माँग 3 कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाने को दोहराया गया। किसान नेताओं ने 26 जनवरी को रिंग रोड पर ही ट्रैक्‍टर परेड करने की बात भी कही है।

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बुधवार को 10वीं दौर के बातचीत में केंद्र सरकार ने किसानों को यह भी प्रस्ताव दिया था कि कृषि कानूनों को लेकर एक कमेटी बना देते हैं। आज किसान इसी प्रस्ताव पर बात करने के लिए इकट्ठा हुए थे जिसमें उन्होंने सरकार के प्रस्ताव को पूर्णतया ख़ारिज कर दिया।

गौरतलब है कि बुधवार को बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि आज हमारी कोशिश थी कि कोई निर्णय हो जाए। किसान यूनियन क़ानून वापसी की माँग पर अड़ी थी और सरकार खुले मन से क़ानून के प्रावधान के अनुसार विचार करने और संशोधन करने के लिए तैयार थी। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय के लिए कृषि सुधार क़ानूनों को स्थगित किया है। जिसे देखते हुए सरकार 1-1.5 साल तक भी क़ानून के क्रियान्वयन को स्थगित करने के लिए तैयार है। कहा जा रहा है कि इस दौरान किसान यूनियन और सरकार बात करें और समाधान ढूँढे।

बुधवार को मीटिंग के बाद किसान नेता दर्शन पाल ने बताया कि बैठक में तीन कृषि कानूनों और एमएसपी पर बात हुई थी। सरकार ने कहा हम तीन कानूनों का एफिडेविट बनाकर सुप्रीम कोर्ट को देंगे और हम 1-1.5 साल के लिए रोक लगा देंगे। एक कमेटी बनेगी जो 3 क़ानूनों और एमएसपी का भविष्य तय करेगी। हमने कहा हम इस पर विचार करेंगे।

कल यानि 22 जनवरी 2021 को सरकार एवं किसानों के बीच होने वाली 11वें दौर की वार्ता से पहले आज किसान नेताओं की तरफ से यह यह फैसला आना बेहद अहम माना जा रहा है। क्योंकि, किसान नेताओं ने बुधवार को सरकार के प्रस्‍तावों को तत्काल स्वीकार नहीं किया था और कहा था कि वे आपसी चर्चा के बाद सरकार के समक्ष अपनी राय रखेंगे। और आज किसान नेताओं के जवाब से यह गतिरोध बढ़ता ही नजर आ रहा है।

आज जिस तरह से किसान नेताओं का कहना है कि तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और सभी किसानों के लिए सभी फसलों पर लाभदायक एमएसपी के लिए एक कानून बनाने की बात पर वह कायम हैं। यह किसान आंदोलन की मुख्य माँगे हैं और वे इस पर अडिग हैं। उससे यह साफ़ नजर आ रहा है कि आगे संकट और गहराने वाला है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया