‘त्रिपुण्ड-रुद्राक्ष देख कर स्कूल ने निकाल दिया, टॉर्चर किया’: मेरठ की हिन्दू छात्रा का दर्द, स्कूल बोला – माहौल खराब कर रही थी

त्रिपुण्ड-रुद्राक्ष के कारण छात्रा को स्कूल से निकाला, मेरठ की घटना (फोटो साभार: ETV)

उत्तर प्रदेश के मेरठ में माथे पर त्रिपुंड और हाथ में रुद्राक्ष पहनने के चलते एक स्कूल पर छात्रा को निकालने का आरोप लगा है। पीड़ित छात्रा का कहना है कि त्रिपुंड और रुद्राक्ष पहनने के चलते उसे स्कूल से निकाला गया है। वहीं स्कूल प्रबंधन का कहना है कि छात्रा से त्रिपुंड छोटा करने के लिए कहा गया था। लेकिन वह नहीं मान रही थी। स्कूल का माहौल खराब कर रही थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मामला मेरठ के मोदीपुरम इलाके में स्थित सुभाष इंटर कॉलेज का है। यहाँ पढ़ने वाली 11वीं क्लास की छात्रा का कहना है कि वह माथे पर त्रिपुंड और हाथ में रुद्राक्ष पहनकर स्कूल जाती थी। इस पर क्लास टीचर और प्रिंसिपल ने आपत्ति जताते हुए उसे स्कूल से निकालने की धमकी दी थी। साथ ही माथे पर लगे त्रिपुंड छोटा करने के लिए कहा गया था।

इस पर वह छोटा त्रिपुंड लगाकर स्कूल जाने लगी थी। लेकिन इसके बाद भी प्रिंसिपल ने उसे जमकर फटकार लगाई और अभद्र व्यवहार कहते हुए स्कूल से बाहर निकाल दिया। पीड़िता का यह भी कहना है कि वह अपने क्लास के अन्य छात्रों को ‘द कश्मीर फाइल्स’ और ‘द केरल स्टोरी’ जैसी फिल्मों के बारे में बात कर जागरूक कर रही थी। इसलिए स्कूल मैनेजमेंट ने उसे निष्कासित किया है।

पीड़ित छात्रा का कहना है, “सावन के कारण मैं त्रिपुंड लगाकर स्कूल जाती थी। इस पर मैम ने मुझे ऑफिस में बुलाकर डाँटा। मैंने कहा कि सावन में मैं बिना त्रिपुंड लगाए घर से बाहर नहीं निकलती। तो उन्होंने स्कूल आने से मना कर दिया और मुझे टॉर्चर किया गया।” पीड़ित छात्रा की माँ का कहना है कि स्कूल मैनेजमेंट ने उनकी बेटी से परिजनों को साथ लाने के लिए कहा था। इस पर वह स्कूल गई थीं। जहाँ त्रिपुण्ड लगाने को लेकर हिंदू रीति-रिवाजों का हवाला देने के बाद भी प्रिसिंपल ने उनकी बात नहीं सुनी और नाम काटने की बात कहकर स्कूल से जाने के लिए कह दिया।

वहीं इस पूरे मामले में स्कूल की प्रिंसिपल भावना चौहान का कहना है कि छात्रा को त्रिपुंड लगाने से नहीं रोका गया था। वह तो पूरे माथे पर तिलक लगाकर आती थी। उसे त्रिपुंड छोटा करने के लिए कहा गया था। लेकिन उसने ऐसा करने से मना कर दिया था। उसे कई बार समझाने की कोशिश की गई। लड़की के परिजनों को भी इस बारे में बताया गया तो उन्होंने भी त्रिपुंड छोटा करने से मना कर दिया था।

प्रिसिंपल का यह भी कहना है कि एक लड़की के त्रिपुंड लगाकर आने से अन्य धर्म के लोग भी अपने धार्मिक कार्य करने की इजाजत माँगते हैं। इसके अलावा वह स्कूल में दूसरे धर्म के बच्चों पर कमेंट करती थी। इससे स्कूल का माहौल खराब हो रहा था। वहीं, मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक ओंकार शुक्ला का कहना है कि किसी की धार्मिक भावनाओं को लेकर पढ़ाई करने से नहीं रोका जा सकता। अगर त्रिपुंड लगाने के चलते स्कूल आने से रोका गया है तो यह उचित नहीं है। मामले की जाँच की जा रही है। इसके बाद कार्रवाई होगी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया