गरबा के दौरान मुस्लिम टीचर ने DJ बंद कर लगाया ताजिया का मजहबी शोक: बच्चों का छाती पीटते Video सामने आया, गुजरात में PFI कनेक्शन का संदेह

गुजरात के स्कूल में गरबा के दौरान ताजिया का संगीत

गुजरात (Gujarat) के एक स्कूल में नवरात्रि के दौरान एक आयोजित फंक्शन में बच्चों से गरबा कराने के बजाए उनसे ताजिया प्ले कराया गया। स्कूल के मुस्लिम शिक्षक ने गरबा की जगह ताजिया प्ले के लिए बच्चों पर दबाव डाला। इस घटना को लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, मामला गुजरात के खेड़ा जिले का है। जिले के नाडियाद के हथाज गाँव स्थित प्ले सेंटर स्कूल में यह घटना को अंजाम दिया गया। बताया जा रहा है कि नवरात्रि के उत्सव को लेकर 30 सितंबर 2022 को स्कूल में गरबा का आयोजन किया गया था। इस दौरान मुस्लिम टीचर की यह करतूत सामने आई।

स्कूल ने गरबा आयोजन में सभी बच्चों को स्कूल आने के लिए कहा था। हालाँकि, जब आयोजन किया गया तो गरबा वाली संगीत की जगह ताजिया का संगीत बजाया गया। इस दौरान बच्चों को विधर्मी नामों वाली टी-शर्ट पहने हुए ताजिया का प्रदर्शन करते देखा गया।

इसका वीडियो भी सामने आया है। वीडियो में दिख रहा है कि गरबा करने के बजाय स्कूल के पुरुष और महिला छात्रों को मुहर्रम के जुलूस के दौरान शोक के हिस्से के रूप में दोनों हाथों से अपनी छाती पीटते हुए देखा जा सकता है।

इस बात की जानकारी जब ग्रामीणों को मिली तो वे भड़क उठे। उन्होंने जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर दोषियों को सजा दिलाने की माँग की है। हिंदू धर्म सेना के अध्यक्ष खेड़ा ने कहा, “हमने एक ज्ञापन सौंपा है। कल नदियाड के हथाज गाँव के एक प्राथमिक विद्यालय में एक दिवसीय गरबा कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। छात्र गरबा कर रहे थे और डीजे सिस्टम चल रहा था। इसी बीच गरबा थम गया।”

खेड़ा ने आगे कहा, “स्कूल के शिक्षकों में मुस्लिम शिक्षक हैं और हमें इससे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन समस्या यह है कि उन्होंने अचानक गरबा बंद कर दिया और मजहबी पाठ करने लगे। उन्होंने छात्रों को धार्मिक प्रतीकों वाली टी-शर्ट भी पनने के लिए दी थी।”

इस घटना के पीछे हाल ही में प्रतिबंधित किए गए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का हाथ बताया जा रहा है। स्कूल में ऐसे करने के पीछे क्या उद्देश्य है और यह योजना क्यों बनाई गई और किसके अनुरोध पर अनुरोध किया गया, इसकी जाँच की जा रही है।

बता दें कि ताजिया अरबी शब्द अज़ा से बना है, जिसका अर्थ है मृतक को याद करना। यह आमतौर पर शिया मुसलमानों द्वारा किया जाता है, जहाँ वे कर्बला की लड़ाई में पैगंबर मुहम्मद के पोते हुसैन की मौत को फिर से याद करते हैं। मुहर्रम में ताजिया के जुलूस में ले जाने पर अलग-अलग गाने बजाए जाते हैं और इस्लामिक धार्मिक नारे लगाए जाते हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया