हज यात्रा मुस्लिमों के लिए छुट्टी नहीं, इसे संविधान का प्राप्त है संरक्षण: दिल्ली हाईकोर्ट ने ‘मजहबी अधिकार’ बता केंद्र के फैसले पर लगाई रोक

हज का प्रतीकात्मक तस्वीर (साभार: TOI)

दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने बुधवार (7 जून 2023) को कहा है कि हज यात्रा और उससे जुड़े समारोह ‘धार्मिक अभ्यास’ के दायरे में आते हैं। ये भारत के संविधान द्वारा संरक्षित है। न्यायालय ने कुछ हज समूह आयोजकों (HGO) के पंजीकरण को निलंबित करने और उनके हज कोटे को स्थगित रखने के केंद्र सरकार के फैसले पर रोक लगा दी है।

न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने कहा, “हज तीर्थयात्रा और उसमें शामिल समारोह धार्मिक प्रथा के दायरे में आते हैं, जो भारत के संविधान द्वारा संरक्षित है। धार्मिक स्वतंत्रता आधुनिक भारतीय गणराज्य के संस्थापकों की दृष्टि के अनुरूप संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत गारंटी और प्रतिष्ठापित सबसे पोषित अधिकारों में से एक है।”

न्यायालय ने कहा कि भारत का संविधान का सभी नागरिकों को अपने धर्म को मानने, आचरण करने और उसका प्रचार करने की स्वतंत्रता की गारंटी देता है और यह स्वतंत्रता सबसे पोषित अधिकारों में से एक है। इससे उन्हें अलग नहीं किया जा सकता है।

हाईकोर्ट ने यह फैसला HGO द्वारा केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दी। केंद्र ने पिछले महीने हज समूहों के पंजीकरण और कोटा को निलंबित कर दिया था। इसके साथ ही उन्होंने कारण बताओ नोटिस भी दिया था। HGO ने यह भी कहा था कि केंद्र का यह फैसला मनमाना है।

हालाँकि, केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के वकील ने तर्क दिया कि मंत्रालय के अधिकारियों की एक टीम के याचिकाकर्ता एचजीओ के कार्यालय परिसर में दौरे किया था। उस दौरान यह बात सामने आई थी कि एचजीओ के संबंधित पंजीकरण को उनके जानबूझकर गलतबयानी और गलत सूचना दी गई थी। इसके आधार पर पंजीकरण स्थगित रखने का आदेश दिया गया था।

इस दौरान कोर्ट को बताया गया कि सरकार गंभीर दंडात्मक कार्रवाई पर विचार कर रही है, जिसमें एचजीओ को काली सूची में डालना और पंजीकरण रद्द करना शामिल होगा। कोर्ट को यह भी बताया गया कि सरकार इन गैर-अनुपालन वाले एचजीओ के हाथों में तीर्थयात्रियों के भाग्य को सौंपने का जोखिम उठाने को तैयार नहीं है।

इसके अलावा, इन एचजीओ को कानून के गंभीर उल्लंघनों के खुलासे के बाद तीर्थयात्रियों को सऊदी अरब ले जाने की अनुमति देना द्विपक्षीय समझौते की भावना में नहीं होगा। इसके तहत सरकार को यह सुनिश्चित करने का दायित्व है कि केवल कानून का अनुपालन करने वाले और सत्यापित एचजीओ ही पंजीकृत होंगे।

मामले पर विचार करने के बाद अदालत इस निष्कर्ष पर पहुँची कि पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी करने के साथ-साथ एचजीओ को आवंटित कोटा पर प्रतिबंध और शर्तें लगाई जा सकती हैं, लेकिन यह उन तीर्थयात्रियों के खिलाफ नहीं होनी चाहिए, जो नेक नीयत से तीर्थ यात्रा करने के लिए उनके साथ पंजीकृत हैं।

न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि एक विकल्प की तलाश की जानी चाहिए और इसे लागू किया जाना चाहिए, ताकि कानून के काम करने के साथ ही हज जाने वाले यात्रियों के लिए लिए बाधा न बने। न्यायालय ने कहा कि हज यात्रा केवल एक छुट्टी नहीं है, बल्कि यह उनके धर्म और आस्था का पालन करने का एक माध्यम है।

कोर्ट ने कहा कि न्यायालय तीर्थयात्रियों के अधिकार का रक्षक होने के नाते इस संबंध में आवश्यक कदम उठाएगा। इसलिए कोर्ट ने याचिकाकर्ता एचजीओ के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट और हज कोटे को स्थगित रखने के केंद्र सरकार के फैसले पर रोक लगा दी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया