विदेशी फंडिंग, केरल में जिहादी वर्कशॉप, जाति के नाम मीडिया में लेख: यूपी में दंगों की PFI ने ऐसे रची थी साजिश

हाथरस मामले में PFI ने रची थी दंगों की साजिश (फाइल फोटो)

सितंबर 2020 में हाथरस में एक दलित युवती की हत्या के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। पता चला है कि उसके बाद हुए बवाल के लिए पूरी सोची-समझी साजिश तैयार की गई थी। STF ने इस मामले की चार्जशीट दायर की है, जिसमें इसका शाहीन बाग़ और दिल्ली में हुए दंगों से भी लिंक सामने आया है। मथुरा कोर्ट में दायर चार्जशीट में PFI के 8 सदस्यों को आरोपित बनाया गया है। बता दें कि अक्टूबर 2020 में अतिकुर रहमान, आलम, सिद्दीकी कप्पन और मसूद एक स्विफ्ट डिजायर में पकड़े गए थे।

उनके पास से 6 स्मार्टफोन, 1 लैपटॉप और 1717 प्रिंटेड कागज़ बरामद किए गए थे। उनमें जाति और समुदाय के नाम किस तरह से हिंसा भड़कानी है और वेबसाइट बना कर इंटरनेट पर लोगों को जोड़ना है, इसका ब्यौरा था। ‘जस्टिस फॉर हाथरस’ वेबसाइट बना कर दंगा भड़काने की साजिश रची गई थी। STF ने इसके पीछे एक आतंकी संगठन का हाथ होने की बात कही है, जो भारत को विभाजित करना चाहता था।

उक्त आतंकी गिरोह को देश-विदेश से अच्छी-खासी फंडिंग हुई थी। जिन चारों को गिरफ्तार किया गया था, वो PFI के कहने पर ही मथुरा से हाथरस जा रहे थे। अन्य अभियुक्त हैं: सरवर अली- कैराना, मुफ्ती शहजाद- गाजियाबाद, मुनीर- कैराना, साजिश- कैराना, फरमान- हापुड़, अहमद परवेज- गाजियाबाद, अकरम- गाजियाबाद, नसीरुद्दीन- बिजनौर, नूर हसन- हापुड़, आवेद- मेरठ, मोहम्मद दानिश- त्रिलोकपुरी, रउफ- केरल, साजिद बिन सईद- दिल्ली, मोहम्मद इलियास- दिल्ली।

ये सभी PFI की विभिन्न शाखाओं से जुड़े हुए हैं। सिद्दीकी कप्पन के व्हाट्सऐप डेटा, मोबाइल लोकेशन और आरोपित रऊफ शरीफ के बयान से पता चला है कि PFI ने एक वर्कशॉप भी आयोजित किया था। ये वर्कशॉप काफी गुप्त रखा गया था। इस वर्कशॉप में सभी को टास्क दिया गया था कि उत्तर प्रदेश में अलग-अलग सांप्रदायिक घटनाओं की आड़ में वो दंगे करें। विदेश से फंडिंग आई। फिर दंगों की आड़ में आतंकी घटना की साजिश भी बनाई गई।

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बरूदीन और फिरोज खान को लखनऊ से दबोचा गया, जिनके पास से मिली विस्फोटक सामग्रियों से स्पष्ट है कि किसी बड़े आतंकी घटना की साजिश थी। आतंकियों के पास से बरामद लैपटॉप में प्रतिबंधित संगठन SIMI के आतंकियों की भड़काऊ स्पीच भी मिली। चैट्स से पता चला कि दलितों और आदिवासियों के नाम पर भड़काने की कोशिश थी। साथ ही मीडिया में कई सांप्रदायिक लेख भी लिखे गए थे। गुप्त व्हाट्सएप्प ग्रुप बना कर दंगा भड़काने की साजिश थी।

बता दें कि दिल्ली दंगों में भी PFI की फंडिंग के सबूत मिले थे। जिस वर्कशॉप की बात STF ने की है, उसे केरल में आयोजित किया गया था। इनके तार रिहेब इंडिया फाउंडेशन नामक संस्था से जुड़े हुए हैं। रउफ शरीफ के बैंक खाते में आई रकम 18 लाख रुपए से शाहीन बाग स्थित दफ्तर का किराया दिया गया था।

जहाँ तक सिद्दीकी कप्पन की बात है, वो पत्रकार है। उसके खिलाफ UAPA के तहत कार्रवाई की जा रही है। ED ने उससे जुड़े 1.36 करोड़ रुपए के अवैध लेन-देन का पता लगाया है। उसने अल-कायदा के संस्थापक आतंकी ओसामा बिन लादेन को ‘शहीद’ बताया था। कई दंगों का वो मास्टरमाइंड है और केरल में ऐसी कितनी ही साजिश रच चुका है। यूपी पुलिस ने 5000 पन्नों की चार्जशीट दायर की है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया